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हद से ज्यादा गुस्सा इन खतरों को करता है इनवाइट - Excessive anger effect on Body - EXCESSIVE ANGER EFFECT ON BODY

Excessive anger effect on Body : अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में हाल ही में प्रकाशित हुए एक शोध में कहा गया है कि ज्यादा गुस्सा हृदय रोग या स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है. यह शोध अलग-अलग प्रकार की भावनाओं से जुड़े पुराने अनुभवों को याद पर ह्रदय के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर किया गया था.

anger causes heart disease and stroke is result of excessive angry behavior
प्रतीकात्मक फोटो (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 7, 2024, 5:31 AM IST

Updated : May 7, 2024, 6:21 PM IST

हैदराबाद : हमारे देश में बहुत प्रचलित कहावत है कि गुस्सा शैतान के घर का द्वार है. यानी बहुत ज्यादा गुस्सा हमे ऐसा व्यवहार करने पर मजबूर कर सकता है जो ना सिर्फ अपने बल्कि दूसरों के लिए भी अच्छा नहीं होता हैं. लेकिन बहुत ज्यादा गुस्सा सिर्फ हमारे कामकाज व सोचने की क्षमता को ही प्रभावित नहीं करता है बल्कि हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है और इस बात की पुष्टि चिकित्सक भी करते हैं. वहीं हाल ही में हुए एक शोध में इस बात की पुष्टि भी हुई है की ज्यादा गुस्सा हृदय रोग या स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है.

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में हाल ही में प्रकाशित हुए न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय इस शोध में शोधकर्ता यह पता लगाने की कोशिश की थी की अलग-अलग भावनाओं से जुड़े पुराने अनुभवों को थोड़ी देर के लिए भी याद करने से संवहनी तंत्र पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है. जिसके नतीजों में सामने आया की उदासी या चिंता जैसी अन्य भावनाएं नहीं लेकिन ऐसी भावनाओं को याद करना जो गुस्से के ट्रिगर होने का कारण बन सकती है या जिनके कारण गुस्सा ज्यादा बढ़ जाता है, हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता हैं. शोध में बताया गया है कि क्रोध के संक्षिप्त क्षण भी रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकते हैं, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है. लेकिन उदासी और चिंता जैसी अन्य भावनाएँ रक्त वाहिकाओं में समान प्रतिक्रिया उत्पन्न नहीं करती हैं.

शोध के दौरान हुए प्रयोग के आधार पर शोध के नतीजों में कहा गया है कि माइंडफुलनेस अभ्यास और ध्यान, क्रोध प्रतिक्रियाओं को प्रबंधित करने और बार-बार क्रोध आने के नकारात्मक स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने में मदद कर सकते हैं.

कैसे हुआ शोध
एक स्थापित प्रोटोकॉल का उपयोग करते हुए इस शोध में शोधकर्ताओं ने औसतन 26 वर्ष की आयु वाले 280 युवा वयस्कों को विषय बनाया था. जिन्हे क्रोध, चिंता, उदासी या तटस्थता के प्रति भावनात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए डिज़ाइन किए गए चार कार्यों में से एक दिया गया था. शोध में शोधकर्ताओं ने इन कार्यों को करने से पहले, उसके दौरान और बाद में प्रतिभागियों के रक्त वाहिका फैलाव और सेलुलर फ़ंक्शन को मापा था . जिसमें पाया गया कि जिन प्रतिभागियों ने क्रोध की स्थिति का अनुभव किया था , उनमें भावना के प्रारंभिक अनुभव के बाद 40 मिनट तक रक्त वाहिकाओं की परत में रक्त वाहिका के फैलाव में हानि हुई थी. गौरतलब है कि रक्त वाहिका के फैलाव से उच्च रक्तचाप और हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी संबंधित जटिलताएं हो सकती हैं.

शोध के नतीजों में कोलंबिया यूनिवर्सिटी इरविंग मेडिकल सेंटर में मुख्य अध्ययन लेखक और मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. दाइची शिम्बो ने बताया है कि शोध के दौरान जिन प्रतिभागियों ने गुस्से का अनुभव किया था उनमें इस प्रक्रिया के दौरान रक्त वाहिका में शिथिलता पाई गई थी. हालांकि इस परिवर्तन के लिए जिम्मेदार कारणों के बारे में भी अभी कुछ स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है लेकिन इस शोध से यह जरूर स्पष्ट हो गया है कि क्रोध और रक्त वाहिका की शिथिलता के बीच के संबंधों की जांच करने से हृदय संबंधी समस्याओं के जोखिम वाले लोगों के लिए प्रभावी हस्तक्षेप व लक्ष्यों की पहचान करने में मदद मिल सकती है.

गौरतलब है कि क्रोध से उच्च रक्तचाप व हृदय रोगों के ट्रिगर होने से जुड़े मुद्दों पर बहुत लंबे समय से चर्चा व शोध होते रहे हैं वहीं चिकित्सक भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं. दरअसल जानकारों का कहना है कि क्रोध उच्च स्तर पर एड्रेनालाईन विस्फोट जारी कर सकता है, जो बदले में हृदय प्रणाली पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है.

वह बताते हैं कि शोध में पता चला है की हमारी रक्त वाहिकाओं के इस तरह के (गुस्से के कारण) व्यवहार परिवर्तनों के प्रति प्रतिक्रिया से स्ट्रोक और एथेरोस्क्लोरोटिक हृदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है. वह बताते हैं कि हालांकि इस शोध में चिंता या उदासी जैसी अन्य भावनाओं से इस तरह के प्रभाव देखने में नहीं आए हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य भावनाएं हृदय स्वास्थ्य को बिल्कुल भी प्रभावित नहीं कर सकती हैं. शोध में इस बारे में विस्तृत शोध की जरूरत की बात कही गई है. anger , angry behavior , heart disease , cardiovascular disease , cvd .

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इस समय की गई एरोबिक-एक्सरसाइज हो सकती है फायदेमंद

हैदराबाद : हमारे देश में बहुत प्रचलित कहावत है कि गुस्सा शैतान के घर का द्वार है. यानी बहुत ज्यादा गुस्सा हमे ऐसा व्यवहार करने पर मजबूर कर सकता है जो ना सिर्फ अपने बल्कि दूसरों के लिए भी अच्छा नहीं होता हैं. लेकिन बहुत ज्यादा गुस्सा सिर्फ हमारे कामकाज व सोचने की क्षमता को ही प्रभावित नहीं करता है बल्कि हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है और इस बात की पुष्टि चिकित्सक भी करते हैं. वहीं हाल ही में हुए एक शोध में इस बात की पुष्टि भी हुई है की ज्यादा गुस्सा हृदय रोग या स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है.

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में हाल ही में प्रकाशित हुए न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय इस शोध में शोधकर्ता यह पता लगाने की कोशिश की थी की अलग-अलग भावनाओं से जुड़े पुराने अनुभवों को थोड़ी देर के लिए भी याद करने से संवहनी तंत्र पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है. जिसके नतीजों में सामने आया की उदासी या चिंता जैसी अन्य भावनाएं नहीं लेकिन ऐसी भावनाओं को याद करना जो गुस्से के ट्रिगर होने का कारण बन सकती है या जिनके कारण गुस्सा ज्यादा बढ़ जाता है, हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता हैं. शोध में बताया गया है कि क्रोध के संक्षिप्त क्षण भी रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकते हैं, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है. लेकिन उदासी और चिंता जैसी अन्य भावनाएँ रक्त वाहिकाओं में समान प्रतिक्रिया उत्पन्न नहीं करती हैं.

शोध के दौरान हुए प्रयोग के आधार पर शोध के नतीजों में कहा गया है कि माइंडफुलनेस अभ्यास और ध्यान, क्रोध प्रतिक्रियाओं को प्रबंधित करने और बार-बार क्रोध आने के नकारात्मक स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने में मदद कर सकते हैं.

कैसे हुआ शोध
एक स्थापित प्रोटोकॉल का उपयोग करते हुए इस शोध में शोधकर्ताओं ने औसतन 26 वर्ष की आयु वाले 280 युवा वयस्कों को विषय बनाया था. जिन्हे क्रोध, चिंता, उदासी या तटस्थता के प्रति भावनात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए डिज़ाइन किए गए चार कार्यों में से एक दिया गया था. शोध में शोधकर्ताओं ने इन कार्यों को करने से पहले, उसके दौरान और बाद में प्रतिभागियों के रक्त वाहिका फैलाव और सेलुलर फ़ंक्शन को मापा था . जिसमें पाया गया कि जिन प्रतिभागियों ने क्रोध की स्थिति का अनुभव किया था , उनमें भावना के प्रारंभिक अनुभव के बाद 40 मिनट तक रक्त वाहिकाओं की परत में रक्त वाहिका के फैलाव में हानि हुई थी. गौरतलब है कि रक्त वाहिका के फैलाव से उच्च रक्तचाप और हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी संबंधित जटिलताएं हो सकती हैं.

शोध के नतीजों में कोलंबिया यूनिवर्सिटी इरविंग मेडिकल सेंटर में मुख्य अध्ययन लेखक और मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. दाइची शिम्बो ने बताया है कि शोध के दौरान जिन प्रतिभागियों ने गुस्से का अनुभव किया था उनमें इस प्रक्रिया के दौरान रक्त वाहिका में शिथिलता पाई गई थी. हालांकि इस परिवर्तन के लिए जिम्मेदार कारणों के बारे में भी अभी कुछ स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है लेकिन इस शोध से यह जरूर स्पष्ट हो गया है कि क्रोध और रक्त वाहिका की शिथिलता के बीच के संबंधों की जांच करने से हृदय संबंधी समस्याओं के जोखिम वाले लोगों के लिए प्रभावी हस्तक्षेप व लक्ष्यों की पहचान करने में मदद मिल सकती है.

गौरतलब है कि क्रोध से उच्च रक्तचाप व हृदय रोगों के ट्रिगर होने से जुड़े मुद्दों पर बहुत लंबे समय से चर्चा व शोध होते रहे हैं वहीं चिकित्सक भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं. दरअसल जानकारों का कहना है कि क्रोध उच्च स्तर पर एड्रेनालाईन विस्फोट जारी कर सकता है, जो बदले में हृदय प्रणाली पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है.

वह बताते हैं कि शोध में पता चला है की हमारी रक्त वाहिकाओं के इस तरह के (गुस्से के कारण) व्यवहार परिवर्तनों के प्रति प्रतिक्रिया से स्ट्रोक और एथेरोस्क्लोरोटिक हृदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है. वह बताते हैं कि हालांकि इस शोध में चिंता या उदासी जैसी अन्य भावनाओं से इस तरह के प्रभाव देखने में नहीं आए हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य भावनाएं हृदय स्वास्थ्य को बिल्कुल भी प्रभावित नहीं कर सकती हैं. शोध में इस बारे में विस्तृत शोध की जरूरत की बात कही गई है. anger , angry behavior , heart disease , cardiovascular disease , cvd .

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Last Updated : May 7, 2024, 6:21 PM IST
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