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'बचपन में पिता नसीरुद्दीन शाह गणित के लिए डांटते थे, क्योंकि वो भी कमजोर थे', विवान शाह ने खोले कई राज - नसीरुद्दीन शाह

Actor Vivan Shah: फिल्मी दुनिया में जब भी कोई कलाकार आता है, तो उसकी एक चाहत होती है कि वह नसीरुद्दीन शाह जैसी एक्टिंग करें. उनकी तरह डायलॉग बोलें. उनकी तरह नेचुरल काम करें. यह कई कलाकारों की कोशिश रहती है. इसलिए कई कलाकार अपने मन में ही उनको गुरु मान लेते हैं. यहां तक की नसीरुद्दीन शाह के बेटे विवान शाह भी अपने पिता को ही अपना गुरू मानते हैं.

Actor Vivan Shah
Actor Vivan Shah
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 17, 2024, 1:28 PM IST

Updated : Feb 17, 2024, 2:19 PM IST

नसीरुद्दीन शाह के बेटे विवान शाह से बातचीत

पटनाः फिल्मी दुनिया की जानी मानी हस्ती नसीरुद्दीन शाह के बेटे विवान शाह इन दिनों पटना में हैं. वह अगले तीन दिनों तक पटना में हाउस आफ वैरायटी थिएटर में नाटक का मंचन करेंगे. प्रेमचंद की लिखी नाटक गुल्ली डंडा और कुछ पन्ने का मंचन करने वाले हैं. इस बीच ईटीवी भारत से विवान शाह ने खुलकर बात की और बताया कि उनके जीवन में पिता नसीरुद्दीन शाह का कितना प्रभाव है. पेश है विवान शाह से बातचीत के कुछ अंश..

सवाल- आपके जीवन में आपके पिता नसीरुद्दीन शाह का कितना प्रभाव है ?

विवान शाह - बहुत गहरा प्रभाव रहा है. मेरे पिता का मेरे जीवन पर बहुत ही असर है. मैं उनको आदर्श मानता हूं. मैंने जो कुछ भी सीखा है उनसे सिखा है. जो मेरी क्राफ्ट है जो एक अभिनेता की कला की क्राफ्ट होती है वह काफी बेहतर हुई है. बहुत सुधारने की कोशिश हमेशा से रही है और मैं अपने पिताजी की मदद से काफी सुधार पाया हूं अपनी कला को और अपने क्राफ्ट को.

सवाल- अपने पिता के करीब आप अपने आप को कितना मानते हैं?

विवान शाह- मैं उनके करीब बहुत हूं. मैं उनसे लगातार सीखता रहता हूं. बातचीत करता हूं. मैं अपनी सोच विचार उनके साथ शेयर करता हूं. डिस्कशन करता हूं, उनसे मैं लगातार सीखता रहता हूं. हम साथ में काम करते हैं. अलग-अलग साहित्य, नाटक, फिल्में हम लोग एक दूसरे से शेयर करते हैं. हम लोग आर्टिस्टिक कोलैबोरेटर है एक दूसरे के साथ. हमारा उनके साथ एक बहुत ही खूबसूरत रिश्ता है.

सवाल- आपकी बातों से लगता है कि आपके पिता नसीरुद्दीन शाह आपके गुरु भी है. तो क्या गुरु जी से डांट पड़ी है?

विवान शाह- हां मुझे डांट जरूर पड़ती है और यह हमेशा किसी भी प्रकार के गुरु जी से डांट पड़ती रहती होगी. डांट एक प्रक्रिया है, हिस्सा है. फुटबॉल या क्रिकेट का कोच अपने खिलाड़ियों को कभी-कभार डांटता होगा, वैसे ही नाटक या किसी प्रकार की कला में हम काम करते हैं, कभी कभार ऐसा भी होता है कि मुझे डांट पड़ती.

सवाल - हमारे दर्शक यह जानना चाहते हैं कि विवान को अपने पिताजी से पहली डांट कब पड़ी थी? जब नसीर साहब ने कहा था कि विवान तुमने यह गलती कर दी है?

विवान शाह- मेरे बचपन में गणित को लेकर शायद पिताजी ने डांटा होगा. वह गणित सिखाने की कोशिश करते थे कि गणित मैं पढ़ लूं. वह भी गणित में कमजोर थे मैं भी गणित में कमजोर था. अब मेरा गणित थोड़ा बेहतर हो चुका है. उस समय गणित के चक्कर में काफी डांट खाई थी हमने. बचपन में जब हम लोग पढ़ाई करते थे, माता-पिता जब पढ़ाते थे तो उस समय डांट पड़ती थी.

सवाल - आपने पहली बार जब नसीर साहब से कहा था कि मैं भी फिल्मों में आना चाहता हूं, मंच पर आना चाहता हूं तो उनका रिएक्शन क्या था?

विवान शाह- ऐसा मोमेंट कभी आया तो नहीं था. यह ग्रैजुएल प्रक्रिया थी. यह चीज बहुत ही अद्भुत तरीके से हुई. ऐसा कभी मोमेंट नहीं आया जब मैंने जाकर ऐसा कहा होगा कि मैं फिल्मों में आना चाहता हूं, अभिनेता बनना चाहता हूं. एक फिल्म कर रहे थे साथ में, उस फिल्म को करने के दौरान मुझे एहसास हुआ कि मुझे अभिनेता बनना चाहिए.

सवाल- उस समय नसीरुद्दीन शाह का क्या रिएक्शन था? क्या उन्होंने नहीं कहा कि तुम कुछ और भी कर सकते थे ?

विवान शाह- नहीं वह खुश थे. बहुत खुश थे. उसके बाद मैं उनसे बहुत कुछ सीखने लगा और वह मुझे सिखाने लगे. डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बनता है, अभिनेता का बेटा अभिनेता बनता है लेकिन, मैं इस वजह से अभिनेता नहीं बनना चाहता था. शायद मैं कुछ और करना चाहता था. मैं हिस्टोरियन बनना चाहता था. कई अलग-अलग चीज थी, कई अलग-अलग रुचियां थी जीवन में, जिसे मैं करना चाहता था. मैं अभी भी करता हूं. मैं एक नोवलिस्ट हूं, मैं लेखक बनना चाहता था, साहित्यकार बनना चाहता था.

सवाल- पहला बड़ा ब्रेक आपको कब मिला और बड़े कलाकारों के साथ कब आपने स्क्रीन शेयर किया?

विवान शाह- पहली फिल्म मेरी 'सात खून माफ' थी. उसके बाद दूसरी फिल्म हैप्पी न्यू ईयर थी. दोनों फिल्मों में बड़े-बड़े कलाकार थे. यह काम करने का मौका मिला, यह स्पेशल चीज है और मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला.

सवाल- क्या नसीरुद्दीन शाह की मदद आपको मिली, पुत्र होने का फायदा मिला?

विवान शाह - हमारे सोच विचार बिल्कुल ही ऐसी नहीं हैं. हम सिर्फ कला पर ध्यान देते हैं. काम पर ध्यान देते हैं. उन्होंने मेरी कला और क्राफ्ट के तौर पर बहुत मदद की है. सिखाया है. मैं उनका एक विद्यार्थी हूं. इस नजरिया से देखा जाए तो उन्होंने बहुत मदद की है मेरी. मुझे उनसे बहुत सीखने को मिला है. शायद आप यह सवाल व्यापारिक तौर पर पूछ रहे हैं तो हम लोग व्यापारी नहीं है. हम कलाकार हैं, उन सब चीजों में पड़ना ही नहीं चाहिए.

सवाल- आपके पिता एक अच्छे कलाकार हैं, एक अच्छे पिता हैं या फिर एक अच्छे गुरु हैं?

विवान शाह- वह तीनों हैं. वह एक अच्छे पिता हैं और गुरु के तौर पर भी बहुत अच्छे हैं.

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नसीरुद्दीन शाह के बेटे विवान शाह से बातचीत

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सवाल- आपके जीवन में आपके पिता नसीरुद्दीन शाह का कितना प्रभाव है ?

विवान शाह - बहुत गहरा प्रभाव रहा है. मेरे पिता का मेरे जीवन पर बहुत ही असर है. मैं उनको आदर्श मानता हूं. मैंने जो कुछ भी सीखा है उनसे सिखा है. जो मेरी क्राफ्ट है जो एक अभिनेता की कला की क्राफ्ट होती है वह काफी बेहतर हुई है. बहुत सुधारने की कोशिश हमेशा से रही है और मैं अपने पिताजी की मदद से काफी सुधार पाया हूं अपनी कला को और अपने क्राफ्ट को.

सवाल- अपने पिता के करीब आप अपने आप को कितना मानते हैं?

विवान शाह- मैं उनके करीब बहुत हूं. मैं उनसे लगातार सीखता रहता हूं. बातचीत करता हूं. मैं अपनी सोच विचार उनके साथ शेयर करता हूं. डिस्कशन करता हूं, उनसे मैं लगातार सीखता रहता हूं. हम साथ में काम करते हैं. अलग-अलग साहित्य, नाटक, फिल्में हम लोग एक दूसरे से शेयर करते हैं. हम लोग आर्टिस्टिक कोलैबोरेटर है एक दूसरे के साथ. हमारा उनके साथ एक बहुत ही खूबसूरत रिश्ता है.

सवाल- आपकी बातों से लगता है कि आपके पिता नसीरुद्दीन शाह आपके गुरु भी है. तो क्या गुरु जी से डांट पड़ी है?

विवान शाह- हां मुझे डांट जरूर पड़ती है और यह हमेशा किसी भी प्रकार के गुरु जी से डांट पड़ती रहती होगी. डांट एक प्रक्रिया है, हिस्सा है. फुटबॉल या क्रिकेट का कोच अपने खिलाड़ियों को कभी-कभार डांटता होगा, वैसे ही नाटक या किसी प्रकार की कला में हम काम करते हैं, कभी कभार ऐसा भी होता है कि मुझे डांट पड़ती.

सवाल - हमारे दर्शक यह जानना चाहते हैं कि विवान को अपने पिताजी से पहली डांट कब पड़ी थी? जब नसीर साहब ने कहा था कि विवान तुमने यह गलती कर दी है?

विवान शाह- मेरे बचपन में गणित को लेकर शायद पिताजी ने डांटा होगा. वह गणित सिखाने की कोशिश करते थे कि गणित मैं पढ़ लूं. वह भी गणित में कमजोर थे मैं भी गणित में कमजोर था. अब मेरा गणित थोड़ा बेहतर हो चुका है. उस समय गणित के चक्कर में काफी डांट खाई थी हमने. बचपन में जब हम लोग पढ़ाई करते थे, माता-पिता जब पढ़ाते थे तो उस समय डांट पड़ती थी.

सवाल - आपने पहली बार जब नसीर साहब से कहा था कि मैं भी फिल्मों में आना चाहता हूं, मंच पर आना चाहता हूं तो उनका रिएक्शन क्या था?

विवान शाह- ऐसा मोमेंट कभी आया तो नहीं था. यह ग्रैजुएल प्रक्रिया थी. यह चीज बहुत ही अद्भुत तरीके से हुई. ऐसा कभी मोमेंट नहीं आया जब मैंने जाकर ऐसा कहा होगा कि मैं फिल्मों में आना चाहता हूं, अभिनेता बनना चाहता हूं. एक फिल्म कर रहे थे साथ में, उस फिल्म को करने के दौरान मुझे एहसास हुआ कि मुझे अभिनेता बनना चाहिए.

सवाल- उस समय नसीरुद्दीन शाह का क्या रिएक्शन था? क्या उन्होंने नहीं कहा कि तुम कुछ और भी कर सकते थे ?

विवान शाह- नहीं वह खुश थे. बहुत खुश थे. उसके बाद मैं उनसे बहुत कुछ सीखने लगा और वह मुझे सिखाने लगे. डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बनता है, अभिनेता का बेटा अभिनेता बनता है लेकिन, मैं इस वजह से अभिनेता नहीं बनना चाहता था. शायद मैं कुछ और करना चाहता था. मैं हिस्टोरियन बनना चाहता था. कई अलग-अलग चीज थी, कई अलग-अलग रुचियां थी जीवन में, जिसे मैं करना चाहता था. मैं अभी भी करता हूं. मैं एक नोवलिस्ट हूं, मैं लेखक बनना चाहता था, साहित्यकार बनना चाहता था.

सवाल- पहला बड़ा ब्रेक आपको कब मिला और बड़े कलाकारों के साथ कब आपने स्क्रीन शेयर किया?

विवान शाह- पहली फिल्म मेरी 'सात खून माफ' थी. उसके बाद दूसरी फिल्म हैप्पी न्यू ईयर थी. दोनों फिल्मों में बड़े-बड़े कलाकार थे. यह काम करने का मौका मिला, यह स्पेशल चीज है और मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला.

सवाल- क्या नसीरुद्दीन शाह की मदद आपको मिली, पुत्र होने का फायदा मिला?

विवान शाह - हमारे सोच विचार बिल्कुल ही ऐसी नहीं हैं. हम सिर्फ कला पर ध्यान देते हैं. काम पर ध्यान देते हैं. उन्होंने मेरी कला और क्राफ्ट के तौर पर बहुत मदद की है. सिखाया है. मैं उनका एक विद्यार्थी हूं. इस नजरिया से देखा जाए तो उन्होंने बहुत मदद की है मेरी. मुझे उनसे बहुत सीखने को मिला है. शायद आप यह सवाल व्यापारिक तौर पर पूछ रहे हैं तो हम लोग व्यापारी नहीं है. हम कलाकार हैं, उन सब चीजों में पड़ना ही नहीं चाहिए.

सवाल- आपके पिता एक अच्छे कलाकार हैं, एक अच्छे पिता हैं या फिर एक अच्छे गुरु हैं?

विवान शाह- वह तीनों हैं. वह एक अच्छे पिता हैं और गुरु के तौर पर भी बहुत अच्छे हैं.

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Last Updated : Feb 17, 2024, 2:19 PM IST
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