नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया है. IIMC के देशभर में 6 सेंटर भी हैं. UGC के इस फैसले को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने संस्थान के लिए ऐतिहासिक दिन बताया है. साथ ही प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री का धन्यवाद किया है. पिछले साल जून में ही केंद्र सरकार ने डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए मान्यता के मानकों को हल्का करके अधिसूचित किया था तभी से आईआईएमसी को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने का रास्ता साफ हो गया था. सरकार ने डिग्री प्रदान करने वाले संस्थानों की एक नई श्रेणी भी पेश की थी.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने UGC (मानित विश्वविद्यालय संस्थान) विनियम, 2023 जारी किया, जो अब पहले के नियमों से अलग है. यूजीसी अधिनियम 1956 में केंद्र सरकार को विश्वविद्यालय के अलावा किसी अन्य संस्थान को मानित विश्वविद्यालय संस्थान का दर्जा देने का प्रावधान है. विनियमों का पहला सेट वर्ष 2010 में अधिसूचित किया गया था, जिसे 2016 और 2019 में संशोधित किया गया था.
जानिए, आईआईएमसी के बारे मेंः भारतीय जनसंचार संस्थान एक मीडिया संस्थान है, जिसकी स्थापना 17 अगस्त 1965, दिल्ली में हुई थी. संस्थान के पूरे भारत में छह क्षेत्रीय केंद्र हैं. ये केंद्र नई दिल्ली, ढेंकनाल (ओडिशा), आइजोल (मिजोरम), अमरावती (महाराष्ट्र), जम्मू (जम्मू और कश्मीर), कोट्टायम (केरल) में हैं. मीडिया क्षेत्र के सैकड़ों उल्लेखनीय पूर्व छात्र आईआईएमसी से निकले हैं.
क्या होता है डीम्ड विश्वविद्यालयः भारत में उन उच्चतर शिक्षा संस्थाओं को डीम्ड यूनिवर्सिटी (मानद विश्वविद्यालय) कहते हैं. इन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सलाह पर भारत सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मानित विश्वविद्यालय की मान्यता दी जाती है. जिन संस्थानों को मानित विश्वविद्यालय घोषित किया जाता है, वे विश्वविद्यालय के शैक्षिक स्तरों और विशेषाधिकारों का उपयोग करते हैं.
मानित विश्वविद्यालय शिक्षा के किसी विशिष्ट क्षेत्र में ऊंचे स्तर पर कार्य करने वाले संस्थान हैं. डीम्ड विश्वविद्यालय की स्थिति प्राप्त संस्थान न केवल अपने पाठ्यक्रम को निर्धारित करने की पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त करते हैं, बल्कि प्रवेश नीति, विभिन्न पाठ्यक्रमों के शुल्क तथा छात्रों के लिए निर्देश भी बनाने के लिये स्वतन्त्र होते हैं. डीम्ड विश्वविद्यालय के अभिभावक विश्वविद्यालय इनके प्रशासन पर नियंत्रण नहीं कर सकते. इनकी डिग्रियां अभिभावक विश्वविद्यालय द्वारा ही प्रदान की जाती हैं. हालांकि, कई समविश्वविद्यालयों को उनके अपने नाम के तहत डिग्री प्रदान करने की अनुमति है.