नई दिल्ली: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने प्रमुख ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती कर इसे 4.75-5 फीसदी कर दिया. यह चार साल से अधिक समय में पहली बार दरों में कटौती है. अमेरिका में ब्याज दर निर्धारित करने वाली संस्था फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की दो दिवसीय बैठक बुधवार को संपन्न हुई.
कुछ सेक्टर को फेड रेट कटौती का सीधा लाभ मिल सकता है. आईटी सेक्टर में मांग में बढ़ोतरी देखी जा सकती है. क्योंकि यूएस कॉर्परेशन उधार लेने की लागत कमी के कारण अपने आईटी बजट का विस्तार कर सकता है. इसके अलावा कंज्यूमर गुड्स और इंफ्रा स्ट्रक्चर जैसे अन्य सेक्टर्स में भी बढ़ोतरी हो सकती है.
FOMC बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए अमेरिकी फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा कि कुल मिलाकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत है और श्रम बाजार में मंदी आई है, जबकि महंगाई में काफी कमी आई है.
यूएस फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने बुधवार को कहा कि हमारी (अमेरिकी) अर्थव्यवस्था कुल मिलाकर मजबूत है और पिछले दो वर्षों में हमारे लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. महंगाई अगस्त में 7 फीसदी के शिखर से अनुमानित 2.2 फीसदी तक काफी कम हो गई है. आगे कहा कि महंगाई के जोखिम कम हो गए है. यूएस फेडरल फंड रेट अब 4.75-5 फीसदी के दायरे में हैं.
यह दर कटौती, जो चार साल के बाद हुई है. पिछली ब्याज दर में कटौती 15 मार्च, 2020 को हुई थी.
आरबीआई पर फेड कट का असर
फेड की इस रेट कटौती के फैसले पर आरबीआई का रिएक्शन महत्वपूर्ण होगी. ऐतिहासिक रुप से भारतीय रेपो रेट अमेरिकी दरों से प्रभावित रही है. हालांकि आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहले ही संकेत दे दिया है ति भारत को इसका अनुसरण करने और अपने दरें कम करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है.
भारतीय शेयर बाजार पर असर
समय के साथ, यूएस फेड की ब्याज दरों में कटौती से बंधक, ऑटो लोन और क्रेडिट कार्ड के साथ-साथ व्यावसायिक लोन के लिए उधार लेने की लागत कम हो जाएगी. बिजनेस खर्च बढ़ सकता है, और इसलिए अमेरिका में शेयर की कीमतें भी बढ़ सकती हैं. कंपनियां और उपभोक्ता लोन को कम दर वाले लोन में पुनर्वित्त कर सकते हैं. उच्च व्यय से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे भारतीय बाजारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.