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कम जमीन में धान की खेती से ऐसे हो सकते हैं मालामाल, SRI तकनीक से धरती उगलेगा सोना - Rice plantation using SRI technique

अगर आप भी धान की खेती कर रहे हैं तो आपको SRI तकनीक का उपयोग जरूर करना चाहिए क्योंकि इस तकनीक से बिना ज्यादा मेहनत के धान की बंपर पैदावारी कर सकते हैं. तो इस ऑर्टिकल के माध्यम से जानिए कि SRI तकनीक क्या है और कौन-कौन सी टिप्स फॉलो करके आप कम रकबे में ही ज्यादा उत्पादन कर सकते हैं.

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कम जमीन में धान की खेती से ऐसे हो सकते हैं मालामाल (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 11, 2024, 8:43 PM IST

शहडोल। मध्य प्रदेश का शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां खरीफ के सीजन में धान की खेती सबसे ज्यादा बड़े रकबे में की जाती है. छोटा किसान हो या बड़ा किसान. हर कोई धान की खेती ही करना पसंद करता है. ऐसे में अगर आप के पास कम जमीन है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. बस कुछ तकनीक का ध्यान रखें और कुछ टिप्स फॉलो करें तो आप भी कम रकबे में ही बंपर पैदावार हासिल कर सकते हैं. धान की रोपाई में SRI पद्धति किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. एक्सपर्ट्स की मानें तो इस सिस्टम से धान रोपाई करने से उत्पादन में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी होती है.

कम जमीन में धान की खेती से ऐसे हो सकते हैं मालामाल (Etv Bharat)

आखिर क्या है SRI तकनीक ?

कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि धान ट्रांसप्लांट करने के लिए 'श्री' पद्धति तीन शब्दों से मिलकर बना है SRI यानि सिस्टम ऑफ राइस इंटेंसिफिकेशन (SRI). धान रोपाई की ये तकनीक छोटे किसानों के लिए ज्यादा ठीक मानी जाती है. यह तकनीक बड़े किसानों के लिए थोड़ा महंगी हो सकती है क्योंकि इसमें लेबर ज्यादा लगती है. लेबर का इंगेजमेंट इस तकनीक से धान की रोपाई करने में ज्यादा होता है. ये भी है कि इसमें उत्पादन सबसे अधिक मिलता है, किसी भी अन्य तकनीक से सबसे ज्यादा उत्पादन SRI पद्धति से मिलता है.

Rice plantation using SRI technique
कम जमीन में धान की खेती से ऐसे हो सकते हैं मालामाल (ETV Bharat)

इस तरह करें धान की रोपाई

डॉ. मृगेंद्र सिंह के मुताबिक, धान रोपाई की SRI तकनीक इंटेंसिव क्रॉपिंग है, गहन खेती जिसको कहते हैं. इसमें एक तो बीज की मात्रा बहुत कम लगती है. 2 किलो से लेकर के 2.5 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से बीज लगता है. इसमें हम जो नर्सरी तैयार करते हैं उसको थोड़ा सा ऊंची जगह पर लगाना चाहिए, जिसे उखाड़ने में सहूलियत हो और सबसे बड़ी बात इसमें ज्यादा से ज्यादा 10 से 12 दिन के अंदर ही धान की नर्सरी को दूसरे खेतों में रोपना चाहिए. एसआरआई पद्धति में एक तो बीज की मात्रा कम लगती है क्योंकि इसमें स्पेसिंग ज्यादा रखी जाती है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि इसे आप लाइन टू लाइन लगाएं. एक स्टैंडर्ड साइज स्पेसिंग के हिसाब से लगाने से और फायदा होगा.

Rice plantation using SRI technique
SRI तकनीक से करें धान की रोपाई (ETV Bharat)

SRI तकनीक रोपाई में इन बातों का रखें ख्याल

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि जितना आप 1 दिन में लगा सकते हैं उस हिसाब से ही नर्सरी को खेत से निकालें. इसमें नर्सरी निकालते जाएं और खेत पर रोपते जाएं. जब खेत से नर्सरी को उखाड़ते हैं, अगर ये बीज सहित उखड़ के आ जाए तो और अच्छा होता है. इसमें पानी नहीं भरा जाता है, जब पानी नहीं भरा जाएगा तो निश्चित रूप से इसमें खरपतवार आएंगे. खरपतवार हटाने के लिए आपको कूनोवीडर चलाना होता है. इसलिए इस तकनीक से रोपा लगाते समय एक लाइन में लगाना जरूरी होता है, अगर आपकी फसल लाइन से नहीं लगी है तो आप कूनोवीडर नहीं चला पाएंगे.

Rice plantation using SRI technique
कम जमीन में धान की खेती से ऐसे हो सकते हैं मालामाल (ETV Bharat)

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कूनोवीडर से होते हैं दो फायदे

डॉ. सिंह के मुताबिक, धान की रोपाई के 10 से 15 दिनों बाद आप उसमें कूनोवीडर का उपयोग कर सकते हैं. कूनोवीडर हाथ से चलने वाली मशीन होती है. इसके दो फायदा होते हैं, एक तो खरपतवार नष्ट हो जाता है, दूसरा जड़ों में एरियेशन होता है. इस पद्धति से रोपा लगाने में आपको एक पौधे से लगभग 100 कल्ले तक मिल सकते हैं. औसत की बात करें तो एक पौधे से 40 से 50 कंसे निकलते हैं. इन कंसों में खास बात ये होती है कि सारे कंसे इफेक्टिव वाले आते हैं. SRI तकनीक से रोपाई करने से बंपर उत्पादन होता है. किसी भी तकनीक से धान की रोपाई करने से ज्यादा उत्पादन एसआरआई तकनीक से होता है. एक हेक्टेयर के पीछे 100 क्विंटल तक उपज मिलने की संभावना रहती है.

शहडोल। मध्य प्रदेश का शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां खरीफ के सीजन में धान की खेती सबसे ज्यादा बड़े रकबे में की जाती है. छोटा किसान हो या बड़ा किसान. हर कोई धान की खेती ही करना पसंद करता है. ऐसे में अगर आप के पास कम जमीन है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. बस कुछ तकनीक का ध्यान रखें और कुछ टिप्स फॉलो करें तो आप भी कम रकबे में ही बंपर पैदावार हासिल कर सकते हैं. धान की रोपाई में SRI पद्धति किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. एक्सपर्ट्स की मानें तो इस सिस्टम से धान रोपाई करने से उत्पादन में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी होती है.

कम जमीन में धान की खेती से ऐसे हो सकते हैं मालामाल (Etv Bharat)

आखिर क्या है SRI तकनीक ?

कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि धान ट्रांसप्लांट करने के लिए 'श्री' पद्धति तीन शब्दों से मिलकर बना है SRI यानि सिस्टम ऑफ राइस इंटेंसिफिकेशन (SRI). धान रोपाई की ये तकनीक छोटे किसानों के लिए ज्यादा ठीक मानी जाती है. यह तकनीक बड़े किसानों के लिए थोड़ा महंगी हो सकती है क्योंकि इसमें लेबर ज्यादा लगती है. लेबर का इंगेजमेंट इस तकनीक से धान की रोपाई करने में ज्यादा होता है. ये भी है कि इसमें उत्पादन सबसे अधिक मिलता है, किसी भी अन्य तकनीक से सबसे ज्यादा उत्पादन SRI पद्धति से मिलता है.

Rice plantation using SRI technique
कम जमीन में धान की खेती से ऐसे हो सकते हैं मालामाल (ETV Bharat)

इस तरह करें धान की रोपाई

डॉ. मृगेंद्र सिंह के मुताबिक, धान रोपाई की SRI तकनीक इंटेंसिव क्रॉपिंग है, गहन खेती जिसको कहते हैं. इसमें एक तो बीज की मात्रा बहुत कम लगती है. 2 किलो से लेकर के 2.5 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से बीज लगता है. इसमें हम जो नर्सरी तैयार करते हैं उसको थोड़ा सा ऊंची जगह पर लगाना चाहिए, जिसे उखाड़ने में सहूलियत हो और सबसे बड़ी बात इसमें ज्यादा से ज्यादा 10 से 12 दिन के अंदर ही धान की नर्सरी को दूसरे खेतों में रोपना चाहिए. एसआरआई पद्धति में एक तो बीज की मात्रा कम लगती है क्योंकि इसमें स्पेसिंग ज्यादा रखी जाती है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि इसे आप लाइन टू लाइन लगाएं. एक स्टैंडर्ड साइज स्पेसिंग के हिसाब से लगाने से और फायदा होगा.

Rice plantation using SRI technique
SRI तकनीक से करें धान की रोपाई (ETV Bharat)

SRI तकनीक रोपाई में इन बातों का रखें ख्याल

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि जितना आप 1 दिन में लगा सकते हैं उस हिसाब से ही नर्सरी को खेत से निकालें. इसमें नर्सरी निकालते जाएं और खेत पर रोपते जाएं. जब खेत से नर्सरी को उखाड़ते हैं, अगर ये बीज सहित उखड़ के आ जाए तो और अच्छा होता है. इसमें पानी नहीं भरा जाता है, जब पानी नहीं भरा जाएगा तो निश्चित रूप से इसमें खरपतवार आएंगे. खरपतवार हटाने के लिए आपको कूनोवीडर चलाना होता है. इसलिए इस तकनीक से रोपा लगाते समय एक लाइन में लगाना जरूरी होता है, अगर आपकी फसल लाइन से नहीं लगी है तो आप कूनोवीडर नहीं चला पाएंगे.

Rice plantation using SRI technique
कम जमीन में धान की खेती से ऐसे हो सकते हैं मालामाल (ETV Bharat)

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कूनोवीडर से होते हैं दो फायदे

डॉ. सिंह के मुताबिक, धान की रोपाई के 10 से 15 दिनों बाद आप उसमें कूनोवीडर का उपयोग कर सकते हैं. कूनोवीडर हाथ से चलने वाली मशीन होती है. इसके दो फायदा होते हैं, एक तो खरपतवार नष्ट हो जाता है, दूसरा जड़ों में एरियेशन होता है. इस पद्धति से रोपा लगाने में आपको एक पौधे से लगभग 100 कल्ले तक मिल सकते हैं. औसत की बात करें तो एक पौधे से 40 से 50 कंसे निकलते हैं. इन कंसों में खास बात ये होती है कि सारे कंसे इफेक्टिव वाले आते हैं. SRI तकनीक से रोपाई करने से बंपर उत्पादन होता है. किसी भी तकनीक से धान की रोपाई करने से ज्यादा उत्पादन एसआरआई तकनीक से होता है. एक हेक्टेयर के पीछे 100 क्विंटल तक उपज मिलने की संभावना रहती है.

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