नई दिल्ली: भारत का बाजार नियामक सेबी कथित तौर पर अपने डेरिवेटिव ट्रेडिंग नियमों में कई बदलाव करने पर विचार कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन बदलावों का उद्देश्य ऑप्शन ट्रेडिंग में विस्फोटक बढ़ोतरी से होने वाले जोखिमों को संबोधित करना होगा. इसमें ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के लिए हाई मार्जिन और अधिक डिटेल्ड खुलासे शामिल हो सकते हैं.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले चार महीनों में एक्सचेंजों, ब्रोकर्स और फंड हाउस के साथ कई बैठकों के बाद बदलावों पर विचार किया जा रहा है. यह तब हुआ है जब खुदरा निवेशकों की वजह से पिछले कुछ सालों में भारत में इंडेक्स और स्टॉक ऑप्शन में ट्रेडिंग में उछाल आया है. इसके परिणामस्वरूप बाजार सहभागियों और सरकारी अधिकारियों ने चेतावनी दी है, जबकि इंडेक्स ऑप्शन का अनुमानित मूल्य 2023-24 में पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना से अधिक बढ़कर 907.09 ट्रिलियन डॉलर हो गया है.
रिपोर्ट के अनुसार इसमें पहला कदम जिस पर नियामक विचार कर रहा है. वह है स्टॉक में अंडरलेइंग कैश वॉल्यूम के साथ ऑप्शन ट्रेडिंग को जोड़ना. ताकि कम लिक्विड स्टॉक में ओपन पोजीशन के निर्माण को रोका जा सके. ऐसे मामलों में जहां कैश मात्रा के रिलेटिव ऑप्शन पोजीशन का अत्यधिक निर्माण होता है. ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए मार्जिन की आवश्यकता बढ़ जाएगी.
यह तब हुआ जब इस महीने की शुरुआत में सेबी ने पर्सनल स्टॉक डेरिवेटिव के लिए सख्त नियमों का सुझाव दिया था, जो लागू होने पर इलिक्विड स्टॉक से जुड़े डेरिवेटिव को हटा देगा. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये बदलाव चर्चा के चरण में हैं और अगले कुछ महीनों में सार्वजनिक परामर्श के लिए रखे जाएंगे.