नई दिल्ली: अपने अंतरिम बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने FY24 के विनिवेश लक्ष्य को पहले के बजटीय 51,000 करोड़ रुपये से संशोधित कर 30,000 करोड़ रुपये कर दिया है. इसके अलावा, वित्त वर्ष के लिए लक्ष्य 50,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है. एयर इंडिया और एनआईएनएल के निजीकरण के बाद, सरकार के विनिवेश के सपने धराशायी हो गए हैं. सरकार लगातार पांचवें वर्ष अपने विनिवेश लक्ष्य से चूक गई है.
वित्त मंत्री सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के अपने पिछले बजट में घोषणा की थी कि सरकार लगभग 51,000 करोड़ रुपये जुटाने की कोशिश कर रही है. निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) की वेबसाइट से पता चलता है कि सरकार इस वित्तीय वर्ष में अब तक 10,051.73 करोड़ रुपये जुटाने में कामयाब रही है, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश) के माध्यम से आया है.
सरकार ने सबसे पहले 2019 के आसपास भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) और कॉनकोर जैसी कंपनियों के लिए निजीकरण योजनाओं की घोषणा की थी, लेकिन कोविड-19 महामारी फैलने के बाद इसमें देरी हो गई. बीईएमएल, एससीआई, एचएलएल लाइफ केयर, एनएमडीसी स्टील और आईडीबीआई बैंक जैसे सीपीएसई की रणनीतिक बिक्री चालू वित्त वर्ष में पूरी होने की संभावना है. अब विश्लेषकों का कहना है कि आम चुनाव के बाद ही इन कंपनियों का निजीकरण किया जा सकता है.