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भारतीय रुपये की दिलचस्प कहानी...महात्मा गांधी की तस्वीर और नोट का रिश्ता - Mahatma Gandhi on currency notes

Mahatma Gandhi on currency notes- आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मना रहा है. महात्मा गांधी की एक फोटो जो हमारे दिमाग पर हमेशा छाई रहती है. वह है उनकी नोट पर छपी फोटो. लेकिन क्या आपको महात्मा गांधी की फोटो और भारतीय करेंसी नोट पर आने का इतिहास पता है. क्या आपको पता है कि महात्मा गांधी की फोटो करेंसी पर कब आई थी? पढ़ें पूरी खबर...

Mahatma Gandhi on currency notes
करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी (IANS Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 2, 2024, 10:28 AM IST

नई दिल्ली: किसी देश की मुद्रा अपने प्रतीकों और छवियों के माध्यम से उसके इतिहास, संस्कृति और विरासत की कहानी चुपचाप बताती है. दुनिया भर में, कई देश अपने संस्थापक नेताओं को अपने नोटों पर सम्मान देते हैं. अमेरिका में जॉर्ज वाशिंगटन, पाकिस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना और चीन में माओत्से तुंग तो वहीं भारत में, हमारे करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर है.

हालांकि, नए स्वतंत्र भारत में करेंसी नोटों पर गांधी की तस्वीर को पहले खारिज कर दिया गया था. बहुत बाद में गांधी ने हमारे करेंसी नोटों पर अपनी तस्वीर छापनी शुरू की.

महात्मा गांधी को शुरू में कैसे खारिज किया गया?
हालांकि यह स्वाभाविक लगता है कि राष्ट्रपिता के रूप में गांधी स्वतंत्रता के बाद करेंसी नोटों पर दिखाई देने के लिए स्पष्ट पसंद होंगे. लेकिन वे पहली पसंद नहीं थे. तो, कौन था? यहां बताया गया है कि कैसे गांधी को भारतीय मुद्रा का चेहरा बन गए.

RBI की वेबसाइट के मुताबिक कॉलोनियल पीरियड से स्वतंत्र भारत में मुद्रा प्रबंधन का ट्रांजिशन काफी हद तक सहज रहा. 14 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को कॉलोनियल पीरियड से भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की गई. हालांकि, गणतंत्र की स्थापना 26 जनवरी, 1950 को हुई थी. इस अंतराल के दौरान, रिजर्व बैंक ने मौजूदा नोट जारी करना जारी रखा. भारत सरकार ने 1949 में नए डिजाइन का 1 रुपये का नोट जारी किया.

स्वतंत्र भारत के लिए प्रतीकों का चयन किया जाना था. शुरू में, यह महसूस किया गया कि राजा के फोटो को महात्मा गांधी के फोटो से बदल दिया जाना चाहिए. इस आशय के डिजाइन तैयार किए गए थे. अंतिम विश्लेषण में, गांधी जी के फोटो के स्थान पर सारनाथ में सिंह की आकृति को चुनने पर आम सहमति बनी. नोटों के नए डिजाइन काफी हद तक पहले की तर्ज पर थे.

आजादी के बाद कई सालों तक बैंक नोटों पर भारत की समृद्ध विरासत और प्रगति का जश्न मनाया जाता रहा. 1950 और 60 के दशक के नोटों पर बाघ और हिरण जैसे राजसी जानवरों की तस्वीरें थीं. हीराकुंड बांध और आर्यभट्ट उपग्रह जैसे औद्योगिक उन्नति के प्रतीक और बृहदेश्वर मंदिर. ये डिजाइन भारत के विकास और आधुनिकीकरण के साथ-साथ इसकी सांस्कृतिक विरासत पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने को दर्शाते थे.

पहली बार गांधी जी की फोटो कब छपी?
1969 में गांधी जी की जन्म शताब्दी के जश्न के दौरान पहली बार उनकी तस्वीर करेंसी नोट पर छपी थी. इस डिजाइन में गांधी जी बैठे हुए थे और बैकग्राउंड में उनका सेवाग्राम आश्रम था. आपको बता दें कि महात्मा गांधी और भारतीय करेंसी नोट का संबंध 55 सालों से भी पुराना है. सबसे पहले गांधी जी की याद में 100 रुपये के नोट पर उनकी फोटो छापी गई थी. गांधी जी का जन्म साल 1869 में हुआ था. वहीं, साल 1969 में जब उनकी जन्म के 100 साल मनाई गई तो 100 रुपये के नोट पर गांधी जी नजर आए.

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नई दिल्ली: किसी देश की मुद्रा अपने प्रतीकों और छवियों के माध्यम से उसके इतिहास, संस्कृति और विरासत की कहानी चुपचाप बताती है. दुनिया भर में, कई देश अपने संस्थापक नेताओं को अपने नोटों पर सम्मान देते हैं. अमेरिका में जॉर्ज वाशिंगटन, पाकिस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना और चीन में माओत्से तुंग तो वहीं भारत में, हमारे करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर है.

हालांकि, नए स्वतंत्र भारत में करेंसी नोटों पर गांधी की तस्वीर को पहले खारिज कर दिया गया था. बहुत बाद में गांधी ने हमारे करेंसी नोटों पर अपनी तस्वीर छापनी शुरू की.

महात्मा गांधी को शुरू में कैसे खारिज किया गया?
हालांकि यह स्वाभाविक लगता है कि राष्ट्रपिता के रूप में गांधी स्वतंत्रता के बाद करेंसी नोटों पर दिखाई देने के लिए स्पष्ट पसंद होंगे. लेकिन वे पहली पसंद नहीं थे. तो, कौन था? यहां बताया गया है कि कैसे गांधी को भारतीय मुद्रा का चेहरा बन गए.

RBI की वेबसाइट के मुताबिक कॉलोनियल पीरियड से स्वतंत्र भारत में मुद्रा प्रबंधन का ट्रांजिशन काफी हद तक सहज रहा. 14 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को कॉलोनियल पीरियड से भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की गई. हालांकि, गणतंत्र की स्थापना 26 जनवरी, 1950 को हुई थी. इस अंतराल के दौरान, रिजर्व बैंक ने मौजूदा नोट जारी करना जारी रखा. भारत सरकार ने 1949 में नए डिजाइन का 1 रुपये का नोट जारी किया.

स्वतंत्र भारत के लिए प्रतीकों का चयन किया जाना था. शुरू में, यह महसूस किया गया कि राजा के फोटो को महात्मा गांधी के फोटो से बदल दिया जाना चाहिए. इस आशय के डिजाइन तैयार किए गए थे. अंतिम विश्लेषण में, गांधी जी के फोटो के स्थान पर सारनाथ में सिंह की आकृति को चुनने पर आम सहमति बनी. नोटों के नए डिजाइन काफी हद तक पहले की तर्ज पर थे.

आजादी के बाद कई सालों तक बैंक नोटों पर भारत की समृद्ध विरासत और प्रगति का जश्न मनाया जाता रहा. 1950 और 60 के दशक के नोटों पर बाघ और हिरण जैसे राजसी जानवरों की तस्वीरें थीं. हीराकुंड बांध और आर्यभट्ट उपग्रह जैसे औद्योगिक उन्नति के प्रतीक और बृहदेश्वर मंदिर. ये डिजाइन भारत के विकास और आधुनिकीकरण के साथ-साथ इसकी सांस्कृतिक विरासत पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने को दर्शाते थे.

पहली बार गांधी जी की फोटो कब छपी?
1969 में गांधी जी की जन्म शताब्दी के जश्न के दौरान पहली बार उनकी तस्वीर करेंसी नोट पर छपी थी. इस डिजाइन में गांधी जी बैठे हुए थे और बैकग्राउंड में उनका सेवाग्राम आश्रम था. आपको बता दें कि महात्मा गांधी और भारतीय करेंसी नोट का संबंध 55 सालों से भी पुराना है. सबसे पहले गांधी जी की याद में 100 रुपये के नोट पर उनकी फोटो छापी गई थी. गांधी जी का जन्म साल 1869 में हुआ था. वहीं, साल 1969 में जब उनकी जन्म के 100 साल मनाई गई तो 100 रुपये के नोट पर गांधी जी नजर आए.

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