नई दिल्ली : देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष (2023-24) की तीसरी अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बढ़कर 8.4 प्रतिशत रही है. मुख्य रूप से विनिर्माण, खनन और निर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर बढ़ी है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर, 2023) में 8.4 प्रतिशत रही है. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 4.3 प्रतिशत रही थी. जीडीपी वृद्धि एक निश्चित अवधि में वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य में वृद्धि को बताती है.
एनएसओ ने राष्ट्रीय खातों के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में देश की वृद्धि दर 2023-24 में 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. इससे पहले, इस साल जनवरी में जारी पहले अग्रिम अनुमान में जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था. एनएसओ ने 2022-23 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को भी संशोधित कर सात प्रतिशत कर दिया है. पूर्व में इसके 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया था.
राजकोषीय घाटा - चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीने में जनवरी 2024 तक केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 11.03 लाख करोड़ रुपये रहा जो पूरे साल के संशोधित अनुमान का 63.6 प्रतिशत है. लेखा महानियंत्रक द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों में बताया गया है कि पूरे वित्त वर्ष के लिए मूल बजट अनुमान 17.87 लाख करोड़ रुपये था.
इसे संशोधित कर 17.35 लाख करोड़ रुपये किया गया था. अब तक राजकोषीय घाटा 63.6 प्रतिशत ही पहुँचा है, जो दर्शाता है कि सरकारी व्यय राजकोषीय विवेक की लक्षित सीमा के भीतर है. अप्रैल 2022-जनवरी 2023 में राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2023-24 के लक्ष्य का 67.8 प्रतिशत था.
कर संग्रह में मजबूत वृद्धि के कारण जनवरी 2024 में केंद्र का राजकोषीय घाटा 1.2 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के इसी महीने की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत कम है. केंद्र सरकार का शुद्ध कर संग्रह - कॉर्पोरेट कर संग्रह में 63 प्रतिशत की वृद्धि और व्यक्तिगत आयकर में 17 प्रतिशत की वृद्धि के कारण जनवरी में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत बढ़कर 1.50 लाख करोड़ रुपये हो गया.
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