हैदराबाद: भारत में हाल ही में आई भीषण गर्मी ने 80 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है. वहीं, 25 हजार से अधिक लोग हीटस्ट्रोक से भी पीड़ित हुए हैं. कई इलाकों में तो तापमान 50 डिग्री के करीब पहुंच गया था. इन कठोर परिस्थितियों के बावजूद, ऐसे कई लोगों को जीविकोपार्जन के लिए भरी दोपहर में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. बता दें, भारत में हर साल लाखों दिहाड़ी मजदूर भीषण गर्मी में भी घर से बाहर जाकर काम करते हैं.
अगर वे घर पर रहेंगे तो उनके लिए भोजन और दवाइयों का खर्च उठा पाना मुश्किल हो जाएगा. इसे छोड़कर उनके पास कोई और विकल्प नहीं है. लेकिन अब तीसरा विकल्प आ गया है. जी हां, हाल ही में आई भीषण गर्मी के दौरान, भारत के 22 जिलों की लगभग 46,000 महिलाएं तीसरा विकल्प चुनने में सक्षम थीं. तो चलिए जानते है कि ये तीसरा विकल्प है क्या....
'हीटवेव बीमा'
गुजरात में एक संगठन महिला मजदूरों को 'हीटवेव बीमा' दे रहा है. दरअसल, हीटवेव बीमा एक प्रकार का बीमा है जो एक फिक्स्ड हाई टेंपरेचर होने पर पेमेंट करता है, यह एक रेगुलर बीमा काफी अलग है. इसमें बीमा कंपनी घटना घटित होने पर सहमत राशि का भुगतान करती है. कंपनी तीसरे पक्ष के डेटा का उपयोग करके घटना की पुष्टि करती है, और एक बार सत्यापन हो जाने पर, कवर किया गया व्यक्ति थकाऊ दावा प्रक्रिया से गुजरे बिना तत्काल भुगतान के लिए पात्र हो जाता है.
हाल ही में आई भीषण गर्मी के दौरान, लगभग 50,000 महिलाओं को आईसीआईसीआई लोम्बार्ड इंश्योरेंस द्वारा पैरामीट्रिक बीमा कार्यक्रम के तहत नामांकित किया गया था. इन महिलाओं में से, लगभग 46,000 महिलाओं को मई के महीने में कुल 340,000 का पेमेंट प्राप्त हुआ, जिससे वे अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रह सकीं, साथ ही दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में भी सक्षम रहीं.
बता दें, स्व-नियोजित महिला संघ श्रमिक संघ इस बीमा कार्यक्रम को चलाता है. इस कार्यक्रम के प्रीमियम का कुछ हिस्सा कार्यक्रम में नामांकित महिलाओं द्वारा भुगतान किया जाता है, और शेष हिस्सा गैर-लाभकारी संस्था क्लाइमेट रेजिलिएंस फॉर ऑल द्वारा वहन किया जाता है. इस योजना को अप्रैल 2025 तक चलने के लिए निर्धारित किया गया है.
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