नई दिल्ली: सरकार वर्तमान में एक आंतरिक समिति के माध्यम से डायरेक्ट टैक्स कोड की व्यापक समीक्षा कर रही है. अपडेट की गई कोड अगले 6 महीनों के भीतर हितधारकों के परामर्श के लिए खुली रहेगी. राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस परामर्श प्रक्रिया में विभागों को शामिल किया जाएगा. इसके बाद विशिष्ट विवरण दिए जाएंगे. राजस्व सचिव इसके कार्यान्वयन के लिए एक सहयोगी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के महत्व पर बल दिया.
फिक्की का बजट पर संवादात्मक सत्र
फिक्की (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) द्वारा आयोजित केंद्रीय बजट 2024-25 पर एक संवादात्मक सत्र के दौरान, राजस्व सचिव ने कर कार्यान्वयन के लिए एक परेशानी मुक्त और सीधा दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. उन्होंने दोहराया कि कराधान के लिए उनका दृष्टिकोण टकराव के बजाय सहयोग पर आधारित है. उन्होंने आगे कहा कि नीति और कार्यान्वयन दोनों में उनके प्रस्तावों का उद्देश्य करदाताओं के साथ सम्मान और विश्वास के साथ व्यवहार करते हुए. एक सुचारू और परेशानी मुक्त प्रक्रिया सुनिश्चित करते हुए, जहां देय हो, कर एकत्र करना है.
संजय मल्होत्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस बजट का मुख्य उद्देश्य करदाताओं के लिए कर प्रक्रिया को सरल बनाना है. अप्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर, एंजल टैक्स को खत्म करने, कानूनों को अपराधमुक्त करने और शुल्कों को कम करने जैसे प्रस्ताव सीधे तौर पर उद्योग को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से हैं.
वित्त मंत्रालय के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने संशोधित स्लैब और दरों के साथ नई कर व्यवस्था के सकारात्मक प्रभाव पर जोर दिया, जिसे रिटर्न दाखिल करने वाले लगभग दो-तिहाई करदाताओं ने चुना है. उन्होंने पूंजीगत लाभ कराधान को तर्कसंगत बनाने, टीडीएस दरों को कम करने और मुकदमेबाजी और अपील को संबोधित करने के लाभों पर भी जोर दिया.
उद्योग की ओर से, फिक्की के पूर्व अध्यक्ष और जेके पेपर लिमिटेड के सीएमडी हर्ष पति सिंघानिया ने कहा कि सरकार का बजट दीर्घकालिक विकास की नींव रखते हुए तत्काल चुनौतियों का समाधान करता है. उन्होंने कहा कि अप्रत्यक्ष कर प्रस्ताव घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने, व्यापार बाधाओं को कम करने, मुकदमेबाजी को कम करने और कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने पर केंद्रित हैं.
हर्ष पति सिंघानिया ने यह भी कहा कि प्रत्यक्ष कर मामलों के लिए विवाद से विश्वास योजना शुरू करना एक सकारात्मक कदम है. उद्योग का मानना है कि लंबित सीमा शुल्क विवादों को हल करने के लिए इसी तरह की पहल आवश्यक है और इससे मुकदमेबाजी में काफी कमी आएगी.