हैदराबाद : विश्व वन्यजीव दिवस प्रतिवर्ष 3 मार्च को दुनिया भर में जानवरों और पौधों के समर्थन में मनाया जाता है. यह दिन दुनिया के जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की सुरक्षा और संरक्षण की तत्काल आवश्यकता की मार्मिक याद दिलाता है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सभी पृथ्वी और यहां रहने वाले जानवरों से कैसे जुड़े हुए हैं. नई तकनीक का उपयोग करके, दुनिया भर में एक साथ काम करके और हममें से प्रत्येक अपना योगदान देकर, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जानवरों का भविष्य अच्छा हो और हमारा ग्रह लंबे समय तक स्वस्थ रहे.
विश्व वन्यजीव दिवस 2024 थीम: विश्व वन्यजीव दिवस 2024 का विषय 'लोगों और ग्रह को जोड़ना: वन्यजीव संरक्षण में डिजिटल नवाचार की खोज' है. यह थीम वन्यजीव संरक्षण प्रयासों में डिजिटल नवाचार द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है. यह वन्यजीवों के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने, उनकी आबादी की निगरानी करने और लुप्तप्राय प्रजातियों और उनके आवासों की रक्षा के लिए नवीन समाधान विकसित करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के महत्व पर प्रकाश डालता है.
विश्व वन्यजीव दिवस का इतिहास: 20 दिसंबर 2013 को अपने 68वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 मार्च को वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन को अपनाने का दिन विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में घोषित किया. यह दिन उस दिन के रूप में महत्वपूर्ण है जब 1973 में वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे. विश्व वन्यजीव दिवस, वन्यजीवों को समर्पित एक वैश्विक वार्षिक कार्यक्रम सबसे महत्वपूर्ण में से एक बन गया है.
भारत जैविक विवधता का अनूठा संगम है. प्राकृतिक आवास नष्ट होने, पर्यावरणीय चुनौतियां, प्राकृतिक आपदा, अवैध शिकार, रेल-सड़क व विभिन्न हादसों में जंगली जीवों की मौतों के बीच विभिन्न सरकारी एजेंसियों के सर्वे में वन्य जीवों की संख्या में सुधार होता दिख रहा है. इसके संरक्षण, सुरक्षा, पुनर्वास सहित अन्य पहलुओं पर काम किया जा रहा है.
2010 से 2018 के बीच बाघों की आबादी हुई दोगुनी
इसका नतीजा हम सबों के सामने है. भारत में 53 टाइगर रिजर्व है, जो 75,796 वर्ग किलोमीटर में फैला है. यह क्षेत्रफल भारत के कुल क्षेत्रफल का 2.3 फीसदी है. पीएम नरेंद्र मोदी ने स्टेटस ऑफ टाइगर्स 2022 में अपने संदेश में जानकारी साझा करते हुए लिखा है कि भारत, वैश्विक आबादी के 70 फीसदी बाघों का घर है. यह हमारे लिए गर्व की बात है. 2010 से 2018 के बीच बाघों की आबादी में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. भारत ने यह लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय लक्ष्य 2022 से 4 साल पहले ही हासिल कर लिया था.बता दें कि ने स्टेटस ऑफ टाइगर्स 2022 के अनुसार भारत में बाघओं की संख्या 3167 से ज्यादा है.
तेंदुओं की आबादी 13874 हुई
29 फरवरी 2024 को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने नई दिल्ली में भारत में तेंदुओं की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट के अनुसार भारत में तेंदुओं की आबादी 13874 (रेंज : 12,616 - 15,132) होने का अनुमान व्यक्त किया गया है. 2018 में तेंदुओं की आबादी 12852 (12,172-13,535) समान क्षेत्र की तुलना में स्थिर बताया गया है. यह अनुमान तेंदुए के निवास स्थान की 70 प्रतिशत आबादी को दर्शाता है.
12 फीसदी जंगली स्तनपायी प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर
भारत में 12 फीसदी से अधिक जंगली स्तनपायी प्रजातियां विलुप्त होने का सामना कर रही हैं. पिछले 25 वर्षों में 40 फीसदी से अधिक मधुमक्खियां गायब हो गई हैं. 867 पक्षी प्रजातियों में से 50 फीसदी से अधिक की जनसंख्या में दीर्घावधि में गिरावट देखी जाएगी, जबकि 146 अल्पावधि में भी बड़े खतरे में हैं. उभयचरों की लगभग 150 प्रजातियां खतरे में हैं.
वन्य जीवन के लिए प्रमुख खतरे हैं:
- पर्यावास हानि
- प्रदूषण
- जलवायु परिवर्तन
- अत्यधिक शोषण
- आक्रामक प्रजातियाँ
- रोग
- वनों की कटाई
- अवैध वन्यजीव व्यापार