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जानें, क्यों मनाया जाता है विश्व व्हेल दिवस

World Whale Day : व्हेल लुप्तप्राय स्तनपायी दुर्लभ जीव है. स्वच्छ हवा और पानी में इसका काफी महत्वपूर्ण योगदान है. इसकी उल्टी जिसे Ambergris कहा जाता है, करोड़ों रुपये प्रति किलो मिलता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में व्हेल की कीमत बहुत ऊंची है. इसके शरीर का हर हिस्सा कीमती होता है. यही वजह है कि बड़े पैमाने पर इस जीव का शिकार किया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..

विश्व व्हेल दिवस
विश्व व्हेल दिवस
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 18, 2024, 12:30 PM IST

हैदराबाद : जैविक विविधता के मामले में वैश्विक स्तर पर भारत अनूठा देश है. यह दुर्लभ व विलुप्त हो रहे कई पेड़-पौधों, जंगली व जलीय जीवों का प्राकृतिक आवास है. इन्हीं में से एक व्हेल है. इसकी कई प्रजातियां हैं, जो मुख्य रूप से समुद्र के साथ-साथ कुछ नदियों में भी पाया जाता है. बढ़ते प्रदूषण, अवैध शिकार और उनके प्राकृतिक आवास के साथ-साथ छेड़-छाड़ व कई अन्य कारणों से व्हेल के अस्तित्व विलुप्त होने के कागार पर हैं. वैश्विक स्तर पर व्हेल के महत्व को देखते हुए विश्व व्हेल दिवस मनाया जाता है. बता दें कि ब्लू व्हेल धरती पर सबसे बड़ा जीव है, इसका वजन 200 टन (करीबन 33 हाथियों के बराबर) होता है.

विश्व व्हेल दिवस: विश्व व्हेल दिवस हर साल फरवरी के तीसरे रविवार को मनाया जाता है. साल 2024 में चौथा फरवरी का चौथा रविवार 18 फरवरी को है. दुनिया भर में लुप्तप्राय स्तनपायी की इस प्रजाति पर खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिवस का आयोजन किया जाता है. ब्लू व्हेल आम तौर पर भारत के पश्चिमी तट के साथ अरब सागर में देखे जाते हैं. विशिष्ट स्थान जहां ब्लू व्हेल देखी गई हैं, उनमें गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल के तट के साथ कई अन्य इलाकों पर देखा गया है. व्हेल मुख्य रूप से गहरे पानी का जीव है. यह भोजन, प्रजनन के लिए सुरक्षित इलाके में गतिशील रहता है. इस कारण इसे कई अन्य तटीय व बड़े जल श्रोतों में देखा गया है.

व्हेलों का संरक्षण क्यों आवश्यक

  1. व्हेल को समुद्र में सबसे बड़े और सबसे बुद्धिमान जीव के रूप में जाना जाता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार व्हेल वायुमंडल से टन कार्बन भी एकत्र करते हैं. परंपरागत तरीके से अगर इसे किया जाए तो इस पर 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर रुपया खर्च आयेगा.
  2. व्हेल के कारण समुद्र में फाइटोप्लांकटन नामक जलीय जीव पाया जाता है. यह जल को फिल्टर करने के साथ प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन को रिलीज करता है. माना जाता है वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा में इसका बड़ा योगदान है.
  3. व्हेल के मल का फाइटोप्लांकटन पर कई गुना प्रभाव पड़ता है क्योंकि इसमें लोहा और नाइट्रोजन होता है, फाइटोप्लांकटन को बढ़ने के लिए जिन तत्वों की आवश्यकता होती है; तो, जितनी अधिक व्हेल, उतनी अधिक ऑक्सीजन.
  4. व्हेल महासागरों के लिए महत्वपूर्ण है. हम जानते हैं कि लंबे समय तक जीवित रहने वाले, धीमी गति से बढ़ने वाले जानवरों के रूप में वे वास्तविक मछली की तुलना में अत्यधिक मछली पकड़ने के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं.
  5. व्हेल समुद्री पर्यावरण के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी एक महत्वपूर्ण घटक हैं.

अंतरराष्ट्रीय व्हेलिंग आयोग के अनुसार ग्रह पर सबसे बड़े जानवर में से एक व्हेल होता है. इसमें एक प्रमुख प्रजाति ब्लू व्हेल है. यह डायनासोर से भी बड़ा है. सामान्यत: व्यस्क ब्लू व्हेल की लंबाई 22 से 30 मीटर होती है, लेकिन अबतक ब्लू व्हेल अधिकतम 33 मीटर दर्ज की गई है. ब्लू व्हेल का दिल एक छोटी कार के आकार का बताया जाता है. ब्लू व्हेल की धमनियों में एक बच्चा आसानी से रेंग सकता है. 6 से 7 महीने के व्हेल मछली का वजन 2000-3000 किलोग्राम होता है. वहीं वयस्क व्हेल मछली का वजन 180,000 किलोग्राम होता है.

वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लू व्हेल काफी तेज ध्वनि उत्पन्न करती हैं. ये अलग बात है कि इसकी आवृत्ति मनुष्यों के सुनने योग्य नहीं है. यह 188 डेसिबल (आधुनिक जेट इंजन की तुलना में तेज होता है, जो 140 डेसिबल तक पहुंच जाती है). उनकी सीटी (आवाज) सैकड़ों मील तक सुनी जा सकती है. माना जाता है कि इसका उपयोग अन्य ब्लू व्हेल को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए करते हैं. ब्लू व्हेल की कम से कम पांच मान्यता प्राप्त उप-प्रजातियां हैं जो विभिन्न देशों में पाई जाती हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार व्हेल इस ग्रह के लिए काफी जरूरी है. वे प्रचुर गर्मी और कार्बन को अपने शरीर में सोख लेती हैं. विश्व वन्यजीव महासंघ (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की एक रिपोर्ट्स के अनुसार, व्हेल का पेट एक टन (1000 किलोग्राम) भोजन रखने में पूरी तरह सक्षम है. उन्हें हर दिन लगभग चार टन भोजन खाने की आवश्यकता होती है. एक बार में वे 5 लाख कैलोरी तक पचा सकते हैं. माना जाता है कि व्हेल मल भी कई अन्य समुद्री जीवों के लिए पोषक तत्व प्रदान करता है.

विश्व व्हेल दिवस
विश्व व्हेल दिवस

भारत में कड़े नियम-कानून
भारत ने जैव विविधता के संरक्षण के लिए कड़े कानून मौजूद हैं. कुछ महत्वपूर्ण कानूनों में भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 शामिल है, जिसका उद्देश्य वन्य जीवन और उनके आवासों की सुरक्षा करना है. यह राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों, संरक्षण रिजर्व और सामुदायिक रिजर्व के निर्माण का प्रावधान करता है. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 और जैविक विविधता अधिनियम 2002 भारत के पर्यावरण और जैविक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए और नियम प्रदान करते हैं.

हिंद महासागर में पाई गईं व्हेल की प्रमुख 10 प्रजातियां

  1. ब्लू व्हेल (Blue Whale)
  2. फिन व्हेल (Fin)
  3. कुबड़ा व्हेल (Humpback Whale)
  4. शुक्राणु व्हेल (Sperm Whale)
  5. मिंक व्हेल (Minke Whale)
  6. ब्राइड्स व्हेल (Bryde's Whale)
  7. सेई व्हेल (Sei Whale)
  8. खरबूजे के सिर वाली व्हेल (Melon Headed Whale)
  9. बौना शुक्राणु व्हेल (Dwarf Sperm Whale)
  10. पिग्मी ब्लू व्हेल (Pygmy Blue Whale)
  11. व्हेल शार्क (Whale Shark)

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हैदराबाद : जैविक विविधता के मामले में वैश्विक स्तर पर भारत अनूठा देश है. यह दुर्लभ व विलुप्त हो रहे कई पेड़-पौधों, जंगली व जलीय जीवों का प्राकृतिक आवास है. इन्हीं में से एक व्हेल है. इसकी कई प्रजातियां हैं, जो मुख्य रूप से समुद्र के साथ-साथ कुछ नदियों में भी पाया जाता है. बढ़ते प्रदूषण, अवैध शिकार और उनके प्राकृतिक आवास के साथ-साथ छेड़-छाड़ व कई अन्य कारणों से व्हेल के अस्तित्व विलुप्त होने के कागार पर हैं. वैश्विक स्तर पर व्हेल के महत्व को देखते हुए विश्व व्हेल दिवस मनाया जाता है. बता दें कि ब्लू व्हेल धरती पर सबसे बड़ा जीव है, इसका वजन 200 टन (करीबन 33 हाथियों के बराबर) होता है.

विश्व व्हेल दिवस: विश्व व्हेल दिवस हर साल फरवरी के तीसरे रविवार को मनाया जाता है. साल 2024 में चौथा फरवरी का चौथा रविवार 18 फरवरी को है. दुनिया भर में लुप्तप्राय स्तनपायी की इस प्रजाति पर खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिवस का आयोजन किया जाता है. ब्लू व्हेल आम तौर पर भारत के पश्चिमी तट के साथ अरब सागर में देखे जाते हैं. विशिष्ट स्थान जहां ब्लू व्हेल देखी गई हैं, उनमें गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल के तट के साथ कई अन्य इलाकों पर देखा गया है. व्हेल मुख्य रूप से गहरे पानी का जीव है. यह भोजन, प्रजनन के लिए सुरक्षित इलाके में गतिशील रहता है. इस कारण इसे कई अन्य तटीय व बड़े जल श्रोतों में देखा गया है.

व्हेलों का संरक्षण क्यों आवश्यक

  1. व्हेल को समुद्र में सबसे बड़े और सबसे बुद्धिमान जीव के रूप में जाना जाता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार व्हेल वायुमंडल से टन कार्बन भी एकत्र करते हैं. परंपरागत तरीके से अगर इसे किया जाए तो इस पर 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर रुपया खर्च आयेगा.
  2. व्हेल के कारण समुद्र में फाइटोप्लांकटन नामक जलीय जीव पाया जाता है. यह जल को फिल्टर करने के साथ प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन को रिलीज करता है. माना जाता है वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा में इसका बड़ा योगदान है.
  3. व्हेल के मल का फाइटोप्लांकटन पर कई गुना प्रभाव पड़ता है क्योंकि इसमें लोहा और नाइट्रोजन होता है, फाइटोप्लांकटन को बढ़ने के लिए जिन तत्वों की आवश्यकता होती है; तो, जितनी अधिक व्हेल, उतनी अधिक ऑक्सीजन.
  4. व्हेल महासागरों के लिए महत्वपूर्ण है. हम जानते हैं कि लंबे समय तक जीवित रहने वाले, धीमी गति से बढ़ने वाले जानवरों के रूप में वे वास्तविक मछली की तुलना में अत्यधिक मछली पकड़ने के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं.
  5. व्हेल समुद्री पर्यावरण के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी एक महत्वपूर्ण घटक हैं.

अंतरराष्ट्रीय व्हेलिंग आयोग के अनुसार ग्रह पर सबसे बड़े जानवर में से एक व्हेल होता है. इसमें एक प्रमुख प्रजाति ब्लू व्हेल है. यह डायनासोर से भी बड़ा है. सामान्यत: व्यस्क ब्लू व्हेल की लंबाई 22 से 30 मीटर होती है, लेकिन अबतक ब्लू व्हेल अधिकतम 33 मीटर दर्ज की गई है. ब्लू व्हेल का दिल एक छोटी कार के आकार का बताया जाता है. ब्लू व्हेल की धमनियों में एक बच्चा आसानी से रेंग सकता है. 6 से 7 महीने के व्हेल मछली का वजन 2000-3000 किलोग्राम होता है. वहीं वयस्क व्हेल मछली का वजन 180,000 किलोग्राम होता है.

वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लू व्हेल काफी तेज ध्वनि उत्पन्न करती हैं. ये अलग बात है कि इसकी आवृत्ति मनुष्यों के सुनने योग्य नहीं है. यह 188 डेसिबल (आधुनिक जेट इंजन की तुलना में तेज होता है, जो 140 डेसिबल तक पहुंच जाती है). उनकी सीटी (आवाज) सैकड़ों मील तक सुनी जा सकती है. माना जाता है कि इसका उपयोग अन्य ब्लू व्हेल को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए करते हैं. ब्लू व्हेल की कम से कम पांच मान्यता प्राप्त उप-प्रजातियां हैं जो विभिन्न देशों में पाई जाती हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार व्हेल इस ग्रह के लिए काफी जरूरी है. वे प्रचुर गर्मी और कार्बन को अपने शरीर में सोख लेती हैं. विश्व वन्यजीव महासंघ (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की एक रिपोर्ट्स के अनुसार, व्हेल का पेट एक टन (1000 किलोग्राम) भोजन रखने में पूरी तरह सक्षम है. उन्हें हर दिन लगभग चार टन भोजन खाने की आवश्यकता होती है. एक बार में वे 5 लाख कैलोरी तक पचा सकते हैं. माना जाता है कि व्हेल मल भी कई अन्य समुद्री जीवों के लिए पोषक तत्व प्रदान करता है.

विश्व व्हेल दिवस
विश्व व्हेल दिवस

भारत में कड़े नियम-कानून
भारत ने जैव विविधता के संरक्षण के लिए कड़े कानून मौजूद हैं. कुछ महत्वपूर्ण कानूनों में भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 शामिल है, जिसका उद्देश्य वन्य जीवन और उनके आवासों की सुरक्षा करना है. यह राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों, संरक्षण रिजर्व और सामुदायिक रिजर्व के निर्माण का प्रावधान करता है. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 और जैविक विविधता अधिनियम 2002 भारत के पर्यावरण और जैविक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए और नियम प्रदान करते हैं.

हिंद महासागर में पाई गईं व्हेल की प्रमुख 10 प्रजातियां

  1. ब्लू व्हेल (Blue Whale)
  2. फिन व्हेल (Fin)
  3. कुबड़ा व्हेल (Humpback Whale)
  4. शुक्राणु व्हेल (Sperm Whale)
  5. मिंक व्हेल (Minke Whale)
  6. ब्राइड्स व्हेल (Bryde's Whale)
  7. सेई व्हेल (Sei Whale)
  8. खरबूजे के सिर वाली व्हेल (Melon Headed Whale)
  9. बौना शुक्राणु व्हेल (Dwarf Sperm Whale)
  10. पिग्मी ब्लू व्हेल (Pygmy Blue Whale)
  11. व्हेल शार्क (Whale Shark)

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