देहरादून: हृदय शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. इसे स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचाने के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है. आज के इस दौर में जिस तरह से खानपान में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है उसके बाद अब 35 साल से कम उम्र के युवाओं में भी दिल से जुड़ी बीमारियां सामने आने लगी हैं. खासकर ऐसे युवा जो स्मोकिंग करते हैं उनमें हार्ट अटैक के मामले देखे जा रहे हैं.
हृदय पूरे शरीर में ब्लड की सप्लाई करता है. बावजूद इसके लोग अपने हृदय को स्वस्थ रखने के लिए विशेष ध्यान नहीं देते हैं. यही वजह है कि जहां पहले 50 साल के बाद हार्ट अटैक से जुड़े मामले सामने आ रहे थे, तो वहीं, अब 25 से 35 साल उम्र के युवाओं में भी हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे हैं. युवाओं में हार्ट अटैक के मामले सामने आने की सबसे मुख्य वजह स्मोकिंग बताई जा रही है. देहरादून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में हार्ट अटैक से संबंधित बीमारी के युवा मरीजों में ये देखा गया है कि शत प्रतिशत युवा स्मोकिंग के आदी हैं. ऐसे में युवाओं में हार्ट अटैक के मामले के लिए कोविड या कोविड वैक्सीन कहीं भी जिम्मेदार नहीं है.
क्या कहते हैं डॉक्टर: दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर अमर उपाध्याय ने बताया दून अस्पताल में हर उम्र के हृदय बीमारी से संबंधित मरीज आते हैं. खासकर बच्चों में जिनको जन्मजात हृदय संबंधित बीमारी होती है. बड़े व्यक्तियों में एक्वायर्ड हार्ट संबंधित बीमारी होती है, लेकिन जिस तरह से लोगों का लाइफ स्टाइल बदल रहा है उसकी वजह से हृदय संबंधित बीमारियां भी बढ़ रही हैं. खासकर उन युवाओं में हार्ट अटैक के मामले अधिक देखे जा रहे हैं जो युवा धूम्रपान के आदी हैं.
हार्ट संबंधित बीमारियों को लाइफस्टाइल डिजीज कहा जाता है. लाइफस्टाइल के मुख्य रूप से दो कंपोनेंट होते हैं. जिसमें खान-पान और शारीरिक सक्रियता शामिल है. इसमें हार्ट संबंधित बीमारियों के लिए खान-पान 80 फीसदी रिस्पांसिबल हैं, जबकि शारीरिक सक्रियता 20 फीसदी जिम्मेदार है. आमतौर पर जो भोजन खाते हैं उसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा काफी अधिक होती है, जबकि प्रोटीन की मात्रा बेहद कम होती है, लेकिन भोजन में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होनी चाहिए. लिहाजा रोजमर्रा की जीवन में फलों और सब्जियों का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए.
ऐसे में हृदय संबंधित जो मरीज इलाज के लिए आते हैं उन्हें रोजाना कम से कम 300 ग्राम हरी सब्जी खाने का सुझाव दिया जाता है. डेढ़ सौ ग्राम कोई भी सीजनल फल भी लेने के लिए कहा जाता है. कुल मिलाकर हम जो भी खाना खाते हैं वह खाना प्रोटीन युक्त होना चाहिए. उसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होनी चाहिए. शारीरिक सक्रियता के दृष्टिगत दिन में काम से कम 30 से 40 मिनट तक तेज गति से चलना चाहिए. अगर किसी व्यक्ति के पास चलने के लिए इतना समय नहीं है तो उसे चाहिए कि अपने लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव करें ताकि वह स्वस्थ रह सके.
हार्ट की बीमारियों को कैसे करें दूर
- हृदय की बीमारियों से बचने के लिए खानपान और शारीरिक सक्रियता पर ध्यान देने की जरूरत.
- कार्बोहाइड्रेट से ज्यादा प्रोटीन युक्त भोजन का करें इस्तेमाल.
- रोजाना 300 ग्राम हरी सब्जी और डेढ़ सौ ग्राम सीजन फलों का करें इस्तेमाल.
- रोजाना कम से कम 30 से 40 मिनट तक तेज गति से करें वॉक.
- अपने लाइफस्टाइल में बदलाव कर हृदय बीमारियों से खुद को रख सकते हैं दूर.
डॉ अमर उपाध्याय ने बताया स्मोकिंग के आदी युवाओं में सबसे अधिक हार्ट अटैक के मामले देखे जाते हैं. उन्होंने बताया अभी तक उनके पास 35 साल से कम उम्र के जितने भी युवाओं में हार्ट अटैक के मामले सामने आए हैं उनमें से लगभग शत प्रतिशत मरीज स्मोकिंग करते हैं. ऐसे में हृदय संबंधित बीमारियों में धूम्रपान सबसे अधिक रोल अदा करता है. लिहाजा स्मोकिंग से दूर रहकर खासकर युवावस्था के दौरान हृदय संबंधित बीमारियों से बचा जा सकता है.
स्मोकिंग हृदय के लिए डेंजरस
- युवाओं के लिए बेहद खतरनाक है स्मोकिंग
- युवाओं में हार्ट अटैक होने का एक बड़ा फैक्टर है स्मोकिंग.
- हृदय बीमारी से ग्रसित शत प्रतिशत युवा है स्मोकिंग के आदी.
- स्मोकिंग के आदी 25 से 35 साल उम्र के युवाओं में देखे जा रहे हार्ट अटैक के मामले.
- स्मोकिंग छोड़ हृदय जैसी गंभीर बीमारियों से खुद को रख सकते हैं सुरक्षित.
- प्रदेश की जनसंख्या के करीब 5 से 7 फीसदी लोग सालाना हृदय बीमारियों से ग्रसित.
- फैमिली हिस्ट्री और जेनेटिक भी हैं बढ़ते हृदय बीमारियों के लिए जिम्मेदार.
नसों में ब्लॉकेज से बढ़ती परेशानी: हृदय की बीमारी कोई अकेली बीमारी नहीं है बल्कि हृदय की बीमारी में हृदय के नसों में ब्लॉकेज डेवलप हो जाता है जो तमाम रिस्क फैक्टर की वजह से डेवलप होता है. इनमें तीन बीमारी मुख्य रूप से शुगर, हाई बीपी और हाई कोलेस्ट्रॉल है. यह तीनों बीमारियां ही हृदय के नसों में ब्लॉकेज डेवलप करने के लिए जिम्मेदार हैं. ऐसे में अगर इन तीन बीमारियों को कंट्रोल कर लेते हैं तो हृदय के नसों में डेवलप होने वाले ब्लॉकेज को काफी हद तक काम कर सकते हैं.
हार्ट अटैक में फैमिली हिस्ट्री फैक्टर: अगर किसी फैमिली में किसी को हार्ट अटैक की समस्या है तो फिर उसकी फैमिली में जेनेटिक और एपिजेनेटिक्स दोनों फैक्टर काम करते हैं, लेकिन फैमिली हिस्ट्री का भी एक स्ट्रांग रिस्क फैक्टर होता है. जिसके तहत अगर किसी 50 साल से कम उम्र के पुरुष और 60 साल से कम उम्र की महिला को हार्ट अटैक होता है या फिर हार्ट संबंधित बीमारी होती है तो उनके बच्चों में हृदय संबंधित बीमारी होने का रिस्क अधिक होता है. ऐसे में हृदय संबंधित बीमारियों में फैमिली हिस्ट्री और जेनेटिक बहुत अहम रोल अदा करते हैं. लिहाजा जब ऐसे मामले सामने आते हैं तो फिर उनके बच्चों का भी कोलेस्ट्रॉल टेस्ट या फिर होमोसिस्टीन टेस्ट (homocysteine test) करवाया जाता है.