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हजारीबाग के गांव की ऑडिट दीदी करती हैं करोड़ों का हिसाब, वोट मांगने के लिए इनकी चौखट पर पहुंच रहे उम्मीदवार - Damodar Mahila Mandal of Hazaribag

Women empowerment. हजारीबाग के पदमा प्रखंड की महिलाएं सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही हैं. करोड़ों का कारोबार कर रही हैं, वो भी बिना बाहरी मदद के. आज ये इस हद तक आत्मनिर्भर हो चुकी हैं कि चुनाव में खड़े प्रत्याशी भी समर्थन पाने के लिए इनके पास पहुंचते हैं.

Women of Champadih village of Hazaribag do business worth crores of rupees
Women of Champadih village of Hazaribag do business worth crores of rupees
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 26, 2024, 9:20 AM IST

Updated : Apr 26, 2024, 9:47 AM IST

हजारीबाग की महिलाएं सशक्तिकरण की मिसाल

हजारीबागः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लखपति दीदी योजना धरातल पर उतारा है, लेकिन प्रधानमंत्री की सोच के पहले ही हजारीबाग की महिलाएं खुद को कैसे लखपति बनाएं इसके लिए काम कर रही हैं. आलम यह है कि महिलाएं बिना बैंक की मदद के ही आपस में पैसा जमा करके करोड़ों रुपये की लेन देन कर रही हैं. मार्च महीना समाप्त होने के बाद महिलाओं ने अपना ऑडिट किया तो पता चला कि 13 करोड़ 60 लाख रुपया का आपस में लेन देन हो चुका है.

हजारीबाग के पदमा प्रखंड के रोमी पंचायत के चंपाडीह गांव की महिलाएं जमीन पर चादर बिछाकर लिखा पढ़ी का काम कर रही हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ये महिलाएं अपने समूह का ऑडिट कर रही हैं. लगभग 13 करोड़ 60 लाख रुपए के ऑडिट का काम चल रहा है. इस ऑडिट में कोई सीए नहीं है, बल्कि गांव की इंटर और मैट्रिक पास महिलाएं पूरे पैसे के लेन देन का हिसाब खुद करती हैं. चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई करने में लाखों रुपया खर्च होता है. प्रतियोगिता परीक्षा भी देना होता है. इसके बाद पढ़ाई शुरू होती है, लेकिन इन महिलाओं को ट्रेनिंग देकर कुछ इस कदर प्रशिक्षित कर दिया गया कि आज पाई पाई का हिसाब ये खुद कर रही हैं.

चंपाडी गांव में दामोदर महिला मंडल काम करता है. इस संघ में कुल 573 समूह जुड़े हुए हैं. वहीं पूरे समूह में दीदी की संख्या 6000 से अधिक है. सभी महिलाएं आपस में पैसा जमा करती हैं. जमा करने के बाद आपस में ही पैसे का लेन देन होता है. महिलाओं ने पैसा लेकर दुकान, व्यापार, मुर्गी फार्म, चूड़ी दुकान, श्रृंगार दुकान, ट्रैक्टर खरीदा है. छोटी सी रकम सूद के रूप में भी तय किया गया है. महिलाएं पैसा सूद समेत वापस करती हैं. ऐसे में महिलाओं ने तेरह करोड़ साठ लाख रुपए अपनी पूंजी तैयार कर ली है.

महिलाएं भी कहती हैं कि मार्च का महीना बेहद खुशी देने वाला होता है. 4 बार ऑडिट किया जाता है. ताकि महिलाओं के बीच में विश्वास बना रहे. मार्च महीने में जो सूद की रकम जमा होती है, वो आपस में बंटवारा किया जाता है. सूद के पैसे से महिलाएं जेवर, अपनी बच्चियों के लिए पढ़ाई में खर्च या फिर अन्य काम में लाती हैं. इस कारण चेहरे में खुशी भी मार्च के महीने में दिखती है.

दामोदर महिला मंडल में 6000 से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं. 500 से अधिक महिलाओं का समूह है. चुनाव के वक्त दामोदर महिला संघ से उम्मीदवार भी मिलने के लिए पहुंचते हैं. उनका समर्थन मांगते हैं. संघ की महिलाएं कहती हैं कि आपस में बैठक करके यह निर्णय लिया जाता है कि किसे वोट दिया जाए. सर्वसम्मति से एक नाम पर मुहर लगती है. 6000 महिलाएं मतदान करती हैं. उनका ये भी कहना है कि 6000 महिलाओं के साथ साथ उनका परिवार भी साथ में जुड़ा रहता है. यही कारण है कि उम्मीदवार हमारे तक पहुंचते हैं.

यह महिला सशक्तिकरण का बेजोड़ नमूना है, जो अपने दम पर करोड़ों रुपया का लेनदेन कर अपने समूह की महिलाओं को सशक्त कर रहा है. महिलाएं अपने अपने परिवार को व्यवसाय करने के लिए पैसा भी उपलब्ध करा रही हैं तो दूसरी ओर संगठित होने के कारण इनकी अलग पहचान समाज में बन गई है. चुनाव के कारण उम्मीदवार भी इनकी चौखट तक पहुंच रहे हैं.

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हजारीबागः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लखपति दीदी योजना धरातल पर उतारा है, लेकिन प्रधानमंत्री की सोच के पहले ही हजारीबाग की महिलाएं खुद को कैसे लखपति बनाएं इसके लिए काम कर रही हैं. आलम यह है कि महिलाएं बिना बैंक की मदद के ही आपस में पैसा जमा करके करोड़ों रुपये की लेन देन कर रही हैं. मार्च महीना समाप्त होने के बाद महिलाओं ने अपना ऑडिट किया तो पता चला कि 13 करोड़ 60 लाख रुपया का आपस में लेन देन हो चुका है.

हजारीबाग के पदमा प्रखंड के रोमी पंचायत के चंपाडीह गांव की महिलाएं जमीन पर चादर बिछाकर लिखा पढ़ी का काम कर रही हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ये महिलाएं अपने समूह का ऑडिट कर रही हैं. लगभग 13 करोड़ 60 लाख रुपए के ऑडिट का काम चल रहा है. इस ऑडिट में कोई सीए नहीं है, बल्कि गांव की इंटर और मैट्रिक पास महिलाएं पूरे पैसे के लेन देन का हिसाब खुद करती हैं. चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई करने में लाखों रुपया खर्च होता है. प्रतियोगिता परीक्षा भी देना होता है. इसके बाद पढ़ाई शुरू होती है, लेकिन इन महिलाओं को ट्रेनिंग देकर कुछ इस कदर प्रशिक्षित कर दिया गया कि आज पाई पाई का हिसाब ये खुद कर रही हैं.

चंपाडी गांव में दामोदर महिला मंडल काम करता है. इस संघ में कुल 573 समूह जुड़े हुए हैं. वहीं पूरे समूह में दीदी की संख्या 6000 से अधिक है. सभी महिलाएं आपस में पैसा जमा करती हैं. जमा करने के बाद आपस में ही पैसे का लेन देन होता है. महिलाओं ने पैसा लेकर दुकान, व्यापार, मुर्गी फार्म, चूड़ी दुकान, श्रृंगार दुकान, ट्रैक्टर खरीदा है. छोटी सी रकम सूद के रूप में भी तय किया गया है. महिलाएं पैसा सूद समेत वापस करती हैं. ऐसे में महिलाओं ने तेरह करोड़ साठ लाख रुपए अपनी पूंजी तैयार कर ली है.

महिलाएं भी कहती हैं कि मार्च का महीना बेहद खुशी देने वाला होता है. 4 बार ऑडिट किया जाता है. ताकि महिलाओं के बीच में विश्वास बना रहे. मार्च महीने में जो सूद की रकम जमा होती है, वो आपस में बंटवारा किया जाता है. सूद के पैसे से महिलाएं जेवर, अपनी बच्चियों के लिए पढ़ाई में खर्च या फिर अन्य काम में लाती हैं. इस कारण चेहरे में खुशी भी मार्च के महीने में दिखती है.

दामोदर महिला मंडल में 6000 से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं. 500 से अधिक महिलाओं का समूह है. चुनाव के वक्त दामोदर महिला संघ से उम्मीदवार भी मिलने के लिए पहुंचते हैं. उनका समर्थन मांगते हैं. संघ की महिलाएं कहती हैं कि आपस में बैठक करके यह निर्णय लिया जाता है कि किसे वोट दिया जाए. सर्वसम्मति से एक नाम पर मुहर लगती है. 6000 महिलाएं मतदान करती हैं. उनका ये भी कहना है कि 6000 महिलाओं के साथ साथ उनका परिवार भी साथ में जुड़ा रहता है. यही कारण है कि उम्मीदवार हमारे तक पहुंचते हैं.

यह महिला सशक्तिकरण का बेजोड़ नमूना है, जो अपने दम पर करोड़ों रुपया का लेनदेन कर अपने समूह की महिलाओं को सशक्त कर रहा है. महिलाएं अपने अपने परिवार को व्यवसाय करने के लिए पैसा भी उपलब्ध करा रही हैं तो दूसरी ओर संगठित होने के कारण इनकी अलग पहचान समाज में बन गई है. चुनाव के कारण उम्मीदवार भी इनकी चौखट तक पहुंच रहे हैं.

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Last Updated : Apr 26, 2024, 9:47 AM IST
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