पटना: बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में विधानसभा का चुनाव इसी साल होना है. झारखंड में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी नजर है. 2005 में जदयू के छह विधायक जीते थे. 2009 में दो विधायक जीते, लेकिन उसके बाद से जदयू का खाता नहीं खुला है.
झारखंड में 2005 से चुनाव लड़ रहा JDU: बिहार से अलग होने के बाद झारखंड में 2005 में विधानसभा का चुनाव हुआ. 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में जदयू ने 18 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें 6 सीटों पर जीत मिली थी. वोट प्रतिशत 4 फीसदी रहा. एनडीए सरकार में जदयू की हिस्सेदारी थी. हालांकि, 2009 में वोट प्रतिशत और सीटों में भी गिरावट आई. भाजपा के साथ गठबंधन में जदयू को 14 सीटें मिली, जिस पर मात्र 2 सीटों पर पार्टी जीत दर्ज कर सकी। वोट भी घटकर 4 से 2.78 प्रतिशत रह गया.
पिछले दो चुनाव से जदयू का नहीं खुला खाता: 2005 में जदयू को देवघर, तमाड़, बाघमारा, छतरपुर डाल्टेनगंज, मांडू विधानसभा क्षेत्र में जीत हासिल हुई थी. वहीं 2009 में छतरपुर, दमोह विधानसभा में जीत हासिल हुई, लेकिन उसके बाद जदयू का खाता नहीं खुला है.जदयू 2014 और 2019 में अकेले चुनाव लड़ी थी.
"झारखंड चुनाव हम लोग मजबूती से लड़ेंगे. गठबंधन के साथियों के साथ बातचीत हो रही है. फाइनल होगा तो आप लोगों को जानकारी दी जाएगी."- अशोक चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार
"झारखंड में चुनाव को लेकर हमारी तैयारी चल रही है. भाजपा के साथ बैठकर तालमेल बनाया जाएगा."- खीरू महतो, झारखंड प्रदेश अध्यक्ष, जदयू
जदयू ने 11 सीटों की तैयार की लिस्ट: अधिकांश उम्मीदवारों का जमानत जब्त हो गया. इस बार लोकसभा चुनाव में भी जदयू के तरफ से लगातार कोशिश होती रही कि भाजपा के साथ तालमेल हो जाए लेकिन नहीं हुआ. अब विधानसभा चुनाव में कोशिश शुरू है. झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो ने 11 सीटों की पहली लिस्ट तैयार की है. इसमें से अधिकांश सीट वही है जिस पर जदयू के विधायक रहे हैं या फिर कुर्मी बहुल क्षेत्र है. जदयू के मंत्री लगातार बयान दे रहे हैं कि भाजपा के साथ तालमेल करेंगे लेकिन बीजेपी के तरफ से केंद्रीय स्तर के नेता ने अभी तक कोई रिस्पांस नहीं दिया है.
कुर्मी वोट बैंक पर पैनी नजर: झारखंड में सुदेश महतो को लेकर भी बीजेपी की समस्या है, क्योंकि बीजेपी का तालमेल सुदेश महतो के साथ होता रहा है. ऐसे 2019 में भाजपा अकेले दम पर चुनाव लड़ी थी और नुकसान उठाना पड़ा था. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सुदेश महतो की पार्टी के साथ तालमेल किया था. सुदेश महतो अपनी दावेदारी मजबूत करने में लगे हैं. यात्रा भी निकालने वाले हैं. नीतीश कुमार और सुदेश महतो जिस वोट बैंक के सहारे भाजपा के साथ तालमेल करना चाहते हैं, दोनों का सेम वोट बैंक कुर्मी ही है. नीतीश कुमार भी कुर्मी वोट पर अपनी दावेदारी दिखाना चाहते हैं तो सुदेश महतो भी इस वोट बैंक के सहारे झारखंड में राजनीति कर रहे हैं.
राष्ट्रीय पार्टी बनाने की कोशिश: पिछले दो दशक से नीतीश कुमार जदयू को राष्ट्रीय पार्टी बनाने की कोशिश में लगे हैं इसलिए जिन राज्यों में विधानसभा का चुनाव होता है, चाहते हैं बीजेपी के साथ तालमेल हो जाए. कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में भी यह कोशिश जदयू के तरफ से हुई , लेकिन बीजेपी ने तालमेल नहीं किया. ऐसे दिल्ली में दो सीटों पर तालमेल जरूर हुआ था लेकिन दोनों सीट जदयू हार गयी.
झारखंड से आस: अब अंतिम दाव झारखंड में नीतीश लगाना चाहते हैं क्योंकि जदयू को अभी बिहार के अलावे दो राज्यों अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है. यदि झारखंड में भी राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिल गया तो जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल हो जाएगा . लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए को 30 सीटों पर जीत हासिल हुई है जिसमें 12 सीट जदयू को मिली है. केंद्र सरकार में जदयू की बड़ी भूमिका है तो नीतीश कुमार केंद्र सरकार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर भी दबाव बना सकते हैं.
बीजेपी के साथ तालमेल की कोशिश: पिछले दिनों झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा के सांसद खीरू महतो मुख्यमंत्री से मिलने पटना आए थे. उस समय उन्होंने कहा था कि भाजपा नेताओं के साथ दिल्ली में या फिर झारखंड में बातचीत होगी. जो सीट जदयू को मिलेगी, हम लोग उस पर चुनाव लड़ेंगे. उसके बाद मंत्री श्रवण कुमार ने भी बयान दिया कि भाजपा के साथ ही हम लोग का तालमेल होगा.
"जहां भी सुदेश महतो के साथ हम लोगों का तालमेल होता है, हम लोग वहां मजबूती से चुनाव लड़ेंगे और सरकार बनाएंगे."- प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता
मजबूरी में बीजेपी कर सकती है तालमेल: राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है फिलहाल झारखंड में जदयू का बहुत मजबूत जनाधार नहीं है और सुदेश महतो के साथ बीजेपी का तालमेल वहां होता रहा है. नीतीश कुमार और सुदेश महतो कुर्मी वोट बैंक को लेकर ही भाजपा पर अपना दबाव बनाएंगे . बीजेपी नीतीश कुमार के साथ झारखंड में मजबूरी में कुछ सीटों पर तालमेल कर सकती है.
नीतीश कुमार, बीजेपी को बहुत ज्यादा लाभ पहुंचा देंगे, ऐसा नहीं है. नीतीश कुमार जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी दिलाना चाहते हैं लेकिन उसके लिए पर्याप्त सीटों पर लड़ना भी जरूरी है. क्योंकि जब अहर्ता पूरा करने के लिए वोट प्रतिशत नहीं मिलेगा और जितनी जरूरत है उतनी सीट पर जीत नहीं मिलेगी तो राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त नहीं हो सकेगा.- प्रोफेसर अजय झा ,राजनीतिक विशेषज्ञ
झारखंड विधानसभा चुनाव में जदयू का प्रदर्शन: साल 2005 में जदयू ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन 6 सीटों पर ही जीत मिली. वहीं 2009 में 14 सीटों पर लड़ा और 02 सीटों पर जीत मिली. 2014 में 40 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन एक भी सीट नहीं मिली. वहीं 2019 में भी 40 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन पार्टी का खाता भी नहीं खुला.
क्या सरयू राय को लेकर हो रही बड़ी तैयारी: झारखंड के 81 विधानसभा सीटों में से जदयू ने 11 सीटों की लिस्ट तालमेल के लिए तैयार की है. नीतीश कुमार झारखंड में कुर्मी वोट बैंक के सहारे तालमेल करना चाहते हैं. झारखंड में बीजेपी का सुदेश महतो के साथ तालमेल होता रहा है.नीतीश कुमार और सुदेश महतो कुर्मी वोट बैंक पर ही अपनी देवदारी करते रहे हैं.कुर्मी जाति से आने वाले खीरू महतो को जदयू ने झारखंड का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है राज्यसभा भी भेजा है.2005 और 2009 में जदयू के विधायक जीते थे लेकिन उसके बाद एक भी सीट पर पार्टी जीत नहीं सकी. सरयू राय चाहते हैं नीतीश कुमार के साथ उनका तालमेल हो जाए लेकिन नीतीश बीजेपी के साथ तालमेल करना चाहते हैं.