पटना : कहने को तो कहा जा रहा है कि बिहार एनडीए में सीटों का बंटवारा हो चुका है, ऑल इज वेल है. पर दिल्ली में जो कुछ चल रहा है उससे तो साफ होता है कि पिक्चर अभी बाकी है. बिहार एनडीए के इस फिल्म में एक अभिनेता ऐसे भी हैं, जिसको लेकर सस्पेंश बरकरार है, वो नाम है पशुपति पारस. वैसे तो उनकी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि हम पीएम मोदी के साथ है. पर जिस प्रकार से शुक्रवार को फिर से बैठक बुलाई गई है उससे तो यही लगता है पूरी स्क्रिप्ट नहीं लिखी गयी है.
'PM मोदी का निर्णय सर्वोपरी' : दरअसल, गुरुवार को आरएलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस की अध्यक्षता में उनके दिल्ली स्थित आवास पर पार्टी के नेताओं की बैठक हुई. बैठक में सांसद प्रिंस राज, सांसद चंदन सिंह एवं सांसद महबूब अली कैसर शामिल हुए. प्रिंस राज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) के माध्यम से जानकारी दी, ''हमारी पार्टी रालोजपा, एनडीए का अभिन्न अंग है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के साथ-साथ हमारे भी नेता हैं. उनका निर्णय हमारे लिए सर्वोपरि है.''
चिराग से मिले महबूब अली कैसर : मतलब प्रिंस राज ने एनडीए के साथ रहने की बात कही. पर जिस तरह से उनके नेता छिटक रहे हैं, उससे प्रश्न उठने लगा कहीं आरएलजेपी टूट तो नहीं रही है. उनकी पार्टी की एक सांसद वीना देवी पहले से ही चिराग पासवान के साथ चली गयी थी, अब महबूब अली कैसर भी मीटिंग कर लिए हैं. चिराग को डाइनेमिक बता रहे हैं. मतलब वह भी चिराग की तरफ से उम्मीदवार बनना चाह रहे हैं.
''हम दिल्ली में आए थे, तो चिराग पासवान ने मिलने के लिए बुलाया. हम उनसे मिले हैं. हमलोग एनडीए के साथ हैं. अगर खगड़िया से चिराग पासवान मुझे टिकट देते हैं तो हम जरूर वहां से चुनाव लड़ेंगे''- महबूब अली कैसर, आरएलजेपी सांसद
RLJP का हाजीपुर पर दावा बरकरार : इधर, आरएलजेपी के नेता लगातार कह रहे हैं कि पशुपति पारस एनडीए में रहेंगे, और हाजीपुर से ही चुनाव लड़ेंगे. लोजपा (पारस) के मुख्य प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने कहा कि किसी के दावे पर हम कुछ नहीं बोलेंगे, लेकिन पशुपति कुमार पारस हाजीपुर से सांसद हैं और एनडीए अलायंस से वे हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे. वैसे पार्टी के नेताओं ने पारस जी को फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया है.
''बीजेपी (मोदी, अमित शाह, नड्डा) का जो भी फैसला होगा हमारी पार्टी को स्वीकार्य होगा. हाजीपुर सीट से पीछे नहीं हटेंगे. बीजेपी के शिर्ष नेतृत्व के साथ हमारी लगातार वार्ता चल रही है. अभी कोई फैसला नहीं हुआ है.''- श्रवण कुमार अग्रवाल, मुख्य प्रवक्ता, आरएलजेपी
RLJP की क्यों बुलाई गई बैठक ? : बता दें कि, बुधवार को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की जेपी नड्डा के साथ बैठक हुई थी. उसके बाद जिस तरीके से चिराग पासवान की पार्टी की तरफ से यह दावा किया गया की सीट को लेकर फैसला हो गया है. 5 सीट लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को दिया गया है. इसके बाद अचानक राजनीतिक हलचल तेज हुई. कल देर रात भी पशुपति कुमार पारस के आवास पर चंदन सिंह और प्रिंस राज की बैठक हुई. आज दोपहर फिर से सभी सांसदों और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सूरजभान सिंह को बैठक में बुलाया गया.
चाचा भतीजे के विवाद का केंद्र हाजीपुर सीट : हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से स्वर्गीय रामविलास पासवान लगातार सांसद होते रहे. 2019 लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान को राज्यसभा भेजा गया और उनकी सीट हाजीपुर से उनके भाई पशुपति कुमार पारस चुनाव मैदान में उतरे. चुंकी रामविलास पासवान की हाजीपुर परंपरागत सीट रही है इसीलिए 2024 लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान ने हाजीपुर से चुनाव लड़ने का फैसला किया. चाचा और भतीजे के बीच रामविलास पासवान के असली वारिस होने का दावा किया गया और दोनों लगातार हाजीपुर से ही चुनाव लड़ने की जिद पर अड़े रहे.
पारस-प्रिंस के लिए BJP के पास ये है 'प्लान' : दरअसल, बीजेपी के सूत्रों की मानें तो जो फॉर्मूल दिया गया है उसके मुताबिक, चिराग पासवान को पांच सीटें दी जाएंगी. समस्तीपुर से सांसद प्रिंस को बिहार कैबिनेट में शामिल किया जाएगा, जबकि पशुपति पारस राज्यपाल या समस्तीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे, जिसके बाद केन्द्र में उन्हें मंत्री बनाया जाएगा. लेकिन इस ऑफर पर पारस गुट कल यानी शुक्रवार को फैसला करेगी. अब सवाल है कि बिहार एनडीए में सीटों का फॉर्मूल क्या होगा?.
बिहार NDA में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय? : बिहार एनडीए में बीजेपी, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, चिराग पासवान की पार्टी, उपोन्द्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की पार्टी हम शामिल है. सूत्रों की माने तो शीट शेयरिंग के समझौते के अनुसार, 40 सीटों में से बीजेपी 17 सीट पर चुनाव लड़ेगी, जबकि जेडीयू 16 सीट, चिराग पासवान को 5 सीट और कुशवाहा और मांझी को 1-1 सीट मिल सकती है.
पशुपति पारस के पास ऑप्शन नहीं! : कुछ राजनीतिक जानकार तो यह भी कह रहे हैं कि पशुपति पारस के पास ऑप्शन की भी कमी है. जिस प्रकार से चिराग पासवान को महागठबंधन से ऑफर आया था, वैसा कुछ उन्हें नहीं मिला है. ऐसे में एनडीए के साथ चलना उनकी जरूरी से ज्यादा मजबूरी है.
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