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MCD स्टैंडिंग कमेटी चुनाव, सुप्रीम कोर्ट ने LG से मांगा जवाब - Supreme Court to LG

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी चुनाव में दखल के मामले में उपराज्यपाल कार्यालय को नोटिस जारी किया है.

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By Sumit Saxena

Published : 2 hours ago

supreme court
सुप्रीम कोर्ट (Getty Images)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी चुनाव में उपराज्यपाल के दखल पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने एलजी कार्यालय को नोटिस जारी कर पूछा है कि उन्होंने किस अधिकार का इस्तेमाल कर चुनाव में दखल दिया. एलजी ऑफिस को 2 सप्ताह में जवाब देना है.

दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के छठे सदस्य के लिए चुनाव कराने के लिए उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से की गई “जल्दबाजी” पर कड़ी नाराजगी जताते हुए बेंच ने एलजी कार्यालय का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से कहा, "यदि आप एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव कराते हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे." बेंच ने सवाल किया कि यदि आप इस तरह से हस्तक्षेप करते हैं तो लोकतंत्र का क्या होगा?

जस्टिस पी एस नरसिम्हा और आर महादेवन की बेंच ने एलजी कार्यालय से कहा कि, वह 27 सितंबर को होने वाले स्थायी समिति के चुनावों के खिलाफ मेयर शेली ओबेरॉय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई होने तक स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव न कराए. सुप्रीम कोर्ट ने एलजी कार्यालय का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन से कहा कि,यदि वे एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव कराते हैं तो कोर्ट इसे गंभीरता से लेगा.

बेंच ने कहा कि, शुरू में वह इस याचिका पर विचार करने के लिए उत्सुक नहीं थे, लेकिन एलजी द्वारा दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 487 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के निर्णय के कारण वह नोटिस जारी करेगी. पीठ ने एलजी के कार्यालय के वकील से कहा कि, अगर उनका मुवक्किल डीएमसी अधिनियम की धारा 487 के तहत कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करना शुरू कर देता है, तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है,. बेंच ने पूछा, "आप चुनावी प्रक्रिया में कैसे बाधा डाल सकते हैं? पीठ ने एलजी द्वारा डीएमसी अधिनियम की धारा 487 के प्रयोग पर सवाल उठाते हुए पूछा कि एमसीडी मेयर की अनुपस्थिति में चुनाव कराने में "आखिर इतनी जल्दी क्या थी".

सुनवाई के दौरान जैन ने याचिका की स्वीकार्यता पर प्रारंभिक आपत्ति जताई. उन्होंने तर्क दिया कि, चुनौती केवल चुनाव याचिका में ही दी जा सकती है. पीठ ने कहा कि, उसका मानना ​है कि यह ऐसा मामला है, खासकर धारा 487 के तहत शक्तियों का प्रयोग करने के तरीके को देखते हुए जहां उसे नोटिस जारी करना होगा. पीठ ने कहा, "हमें आपकी शक्तियों की वैधता और वैधता पर गंभीर संदेह है."

बेंच ने कहा, "चुनाव कराने की इतनी जल्दी क्यों है? बेंच ने उपराज्यपाल कार्यालय के वकील से पूछा कि उन्हें धारा 487 के तहत इस सब पर रोक लगाने का अधिकार कहां से मिला? पीठ ने कहा, "यह एक सदस्य का चुनाव है... अगर आप इस तरह से हस्तक्षेप करते रहेंगे तो लोकतंत्र का क्या होगा?"

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम की मेयर शेली ओबेरॉय द्वारा 27 सितंबर को हुए एमसीडी स्थायी समिति के 6वें सदस्य के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय को नोटिस जारी किया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत हासिल की थी. सर्वोच्च न्यायालय ने उपराज्यपाल कार्यालय से दो सप्ताह में जवाब मांगा और मामले की अगली सुनवाई अदालत के दशहरा अवकाश के बाद निर्धारित की.

ये भी पढ़ें: मैरिटल रेप को अपराध मानने के खिलाफ केंद्र सरकार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी चुनाव में उपराज्यपाल के दखल पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने एलजी कार्यालय को नोटिस जारी कर पूछा है कि उन्होंने किस अधिकार का इस्तेमाल कर चुनाव में दखल दिया. एलजी ऑफिस को 2 सप्ताह में जवाब देना है.

दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के छठे सदस्य के लिए चुनाव कराने के लिए उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से की गई “जल्दबाजी” पर कड़ी नाराजगी जताते हुए बेंच ने एलजी कार्यालय का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से कहा, "यदि आप एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव कराते हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे." बेंच ने सवाल किया कि यदि आप इस तरह से हस्तक्षेप करते हैं तो लोकतंत्र का क्या होगा?

जस्टिस पी एस नरसिम्हा और आर महादेवन की बेंच ने एलजी कार्यालय से कहा कि, वह 27 सितंबर को होने वाले स्थायी समिति के चुनावों के खिलाफ मेयर शेली ओबेरॉय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई होने तक स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव न कराए. सुप्रीम कोर्ट ने एलजी कार्यालय का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन से कहा कि,यदि वे एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव कराते हैं तो कोर्ट इसे गंभीरता से लेगा.

बेंच ने कहा कि, शुरू में वह इस याचिका पर विचार करने के लिए उत्सुक नहीं थे, लेकिन एलजी द्वारा दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 487 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के निर्णय के कारण वह नोटिस जारी करेगी. पीठ ने एलजी के कार्यालय के वकील से कहा कि, अगर उनका मुवक्किल डीएमसी अधिनियम की धारा 487 के तहत कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करना शुरू कर देता है, तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है,. बेंच ने पूछा, "आप चुनावी प्रक्रिया में कैसे बाधा डाल सकते हैं? पीठ ने एलजी द्वारा डीएमसी अधिनियम की धारा 487 के प्रयोग पर सवाल उठाते हुए पूछा कि एमसीडी मेयर की अनुपस्थिति में चुनाव कराने में "आखिर इतनी जल्दी क्या थी".

सुनवाई के दौरान जैन ने याचिका की स्वीकार्यता पर प्रारंभिक आपत्ति जताई. उन्होंने तर्क दिया कि, चुनौती केवल चुनाव याचिका में ही दी जा सकती है. पीठ ने कहा कि, उसका मानना ​है कि यह ऐसा मामला है, खासकर धारा 487 के तहत शक्तियों का प्रयोग करने के तरीके को देखते हुए जहां उसे नोटिस जारी करना होगा. पीठ ने कहा, "हमें आपकी शक्तियों की वैधता और वैधता पर गंभीर संदेह है."

बेंच ने कहा, "चुनाव कराने की इतनी जल्दी क्यों है? बेंच ने उपराज्यपाल कार्यालय के वकील से पूछा कि उन्हें धारा 487 के तहत इस सब पर रोक लगाने का अधिकार कहां से मिला? पीठ ने कहा, "यह एक सदस्य का चुनाव है... अगर आप इस तरह से हस्तक्षेप करते रहेंगे तो लोकतंत्र का क्या होगा?"

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम की मेयर शेली ओबेरॉय द्वारा 27 सितंबर को हुए एमसीडी स्थायी समिति के 6वें सदस्य के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय को नोटिस जारी किया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत हासिल की थी. सर्वोच्च न्यायालय ने उपराज्यपाल कार्यालय से दो सप्ताह में जवाब मांगा और मामले की अगली सुनवाई अदालत के दशहरा अवकाश के बाद निर्धारित की.

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