नई दिल्ली : आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव (सद्गुरु) का ईशा फाउंडेशन पिछले कुछ दिनों से विवादों में है. तमिलनाडु के एक व्यक्ति ने अपनी बेटियों को लेकर संस्था पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. वैसे, फाउंडेशन ने उनके सारे आरोपों को निराधार बताया है. इस समय मामला हाईकोर्ट में है. मद्रास हाईकोर्ट ने पूरे मामले की जानकारी तमिलनाडु पुलिस से मांगी है. आइए समझते हैं क्या है पूरा विवाद.
क्या हैं आरोप
तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के एक रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने आरोप लगाया है कि उनकी दो बेटियां आश्रम में बंधक के रूप में रह रहीं हैं. प्रो. कामराज ने अपनी याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की है. उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज मामलों की जानकारी मांगी है. जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस वी शिवगणनम इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं.
'मेरी बेटी को जबरदस्ती बनाया गया संन्यासी'
प्रो. कामराज ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उनकी दोनों बेटियों को जबरदस्ती संन्यासी बना दिया गया है. उनके अनुसार आश्रम में उनकी बेटियों को जिस तरह का खाना दिया जा रहा है, उसमें कुछ मिलावट है और इस वजह से उन्होंने अपनी सोचने की शक्ति खो दी है.
द हिंदू के अनुसार मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस ने पूछा कि जब सद्गुरु की बेटी शादीशुदा है, तो वे दूसरी लड़कियों को संन्यासी बनाने पर जोर क्यों दे रहे हैं.
याचिकाकर्ता ने और क्या-क्या आरोप लगाए
69 वर्षीय प्रो. कामराज ने अपनी याचिका में कहा है कि उनकी बेटी ने ग्रेट ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. उसने वहां से एमटेक की डिग्री ली. उसके बाद उसने शादी भी की. लेकिन किसी कारणवश उसका तलाक हो गया. तलाक के बाद मानसिक शांति के लिए उनकी बेटी ने ईशा फाउंडेशन 2008 में ज्वाइन किया. प्रो. के अनुसार उनकी छोटी बेटी भी बड़ी बहन के साथ योग क्लास में जाती थी. याचिका में बताया गया है कि कुछ दिनों के बाद उनकी बेटियों ने परिवार के सदस्यों से मुलाकात बंद कर दी. उन्होंने कहा कि उनकी बेटियों को कोर्ट में पेश किया जाए.
बेटी ने पिता के आरोपों से किया इनकार
हाईकोर्ट के आदेश पर प्रो. की दोनों बेटियां पेश हुईं, और उन्होंने कहा कि वे अपनी मर्जी से ईशा फाउंडेशन में रह रहीं हैं. ईशा फाउंडेशन के वकील ने भी पक्ष रखते हुए इसे दोहराया. फाउंडेशन ने यह भी कहा कि यहां पर किसी को भी जबरन नहीं रखा जाता है. जिन्हें रहना है वे रह सकते हैं, जिन्हें नहीं रहना है नहीं रहें. संस्था ने यह भी कहा कि योग क्लास में हजारों लोग आते हैं, जो संन्यासी नहीं हैं और हम किसी पर भी अपनी मर्जी नहीं थोपते हैं.
कोर्ट ने पूछा, आप अपने माता-पिता से इतनी नफरत क्यों करती हैं
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूछा, आध्यात्मिक मार्ग पर आप चल रही हैं, लेकिन ऐसा करते हुए आप अपने माता-पिता की उपेक्षा क्यों कर रही हैं, उनसे बात क्यों नहीं करती हैं, यहां तक कि आप उनके साथ सम्मान के साथ पेश भी नहीं हो रही हैं.
ईशा फाउंडेशन ने दिया जवाब
Does Isha Yoga force anyone to become a monk? Is Sadhguru against the concept of marriage?
— Vertigo_Warrior (@VertigoWarrior) October 2, 2024
The answer to both is a resounding NO. Let`s delve deeper via this thread🧵 pic.twitter.com/Scw5OHmGt6
ईशा फाउंडेशन ने कहा है कि वह कानून का सहयोग करेगा, और जो भी आदेश होगा, उसका पालन भी करेगा, लेकिन अगर किसी ने फाउंडेशन के खिलाफ दुष्प्रचार किया, तो वह कानूनी कार्रवाई करेगा. फाउंडेशन ने कहा कि हमें जो आदेश मिला है, उसका पालन कर रहे हैं. पुलिस फाउंडेशन में रहने वाले हरेक व्यक्ति से एक अंडरटेकिंग प्राप्त कर रही है, जिसमें लिखा है कि वे किसी दबाव में यहां पर नहीं हैं. इस रिपोर्ट के तैयार होने के बाद यह रिपोर्ट कोर्ट को पेश की जाएगी.
फाउंडेशन का यह भी आरोप है कि जिस याचिकाकर्ता ने अभी कोर्ट का रूख किया है, उन्होंने पहले भी संस्था के खिलाफ आरोप लगाया था. उन्होंने श्मशान घाट को लेकर कुछ आरोप लगाए थे, लेकिन वे आरोप सही नहीं थे.
आपको बता दें कि ईशा फाउंडेशन के 300 से अधिक सेंटर पूरी दुनिया में फैले हुए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इससे 20 लाख से अधिक लोग जुड़े हुए हैं. संस्था सामाजिक और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करती है. संस्था का योग केंद्र तमिलनाडु के कोयंबटूर में है. इस केंद्र में 112 फीट की शिव की बड़ी मूर्ति लगी हुई है. मूर्ति गिनिज बुक में दर्ज है.
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