नई दिल्ली: शेयर बाजार में लिस्टिंग से पहले कंपनी इंवेस्टर्स के लिए अपनी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) लॉन्च करती है. ऐसे में जब भी आईपीओ की चर्चा होती है तो ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) का जिक्र भी होता है. इसमें शेयर की लिस्टिंग से पहले उनकी ट्रेडिंग की जाती है
दरअसल, ग्रे मार्केट एक तरह की शेयर मार्केट ही है. हालांकि, यह मुख्य स्टॉक एक्सचेंज से काफी अलग होती है. इसमें शेयर की लिस्टिंग से पहले उनकी ट्रेडिंग की जाती है. ग्रे मार्केट में जो भी ट्रेडिंग होती है वह व्यक्तिगत होती है यानी यह बाजार के नियमों से बाहर है. इतना ही नहीं इसकी ट्रेडिंग को भी अवैध नहीं माना जाता है.
भरोसे पर चलती है ग्रे मार्केट
ग्रे मार्केट का पूरा कारोबार भरोसे पर टिका है. इसमें बताया जाता है कि किसी भी आईपीओ की लिस्टिंग कैसी होगी? इसकी परफोर्मेंस कैसी होगी? ग्रे मार्केट में आईपीओ का भाव किया है और उसे खरीदने वाले कितने लोग हैं, इन सभी के बाद कंपनी अंदाजा लगाती है कि IPO की लिस्टिंग कैसी होगी?
बता दें कि बाजार में कई ऐसे शेयर होते हैं, जिनके बारे में उम्मीद जताई जाती है कि वह प्रीमियम के साथ लिस्ट होंगे. ऐसे में शेयर की लिस्टिंग से पहले ही ग्रे मार्केट IPO कीमत से ज्यादा पेमेंट करने के लिए तैयार होते हैं. IPO से ज्यादा जितनी रकम दी जाती है उसे ग्रे मार्केट प्रीमियम कहते हैं.
मान लीजिए अगर किसी आईपीओ का प्राइस इश्यू 100 रुपये है, लेकिन ग्रे मार्केट में वह 120 रुपये पर ट्रेंड कर रहा है तो इसका मतलब है कि इसका ग्रे मार्केट प्रीमियम 20 रुपये है.
कितना सटीक होता है ग्रे मार्केट प्रीमियम?
गौरतलब है कि ग्रे मार्केट कभी भी शेयर की लिस्टिंग को लेकर सटीक जानकारी नहीं देती है. ग्रे मार्केट प्रीमियम से हम केवल अनुमान लगा सकते हैं कि शेयर की लिस्टिंग कैसे होगी? ऐसे में जीएमपी पर पूरा भरोसा नहीं करना चाहिए.
ऐसे में अगर आप भी आईपीओ में निवेश करने का सोच रहे हैं तो जीएमपी पर भरोसा न करें. आईपीओ खरीदने से पहले जरूरी है कि आप खुद से रिसर्च करें या फिर किसी फाइनेंशियल एडवाइजर या मार्केट एक्सपर्ट से सलाह लें और उसके बाद ही निवेश करें.