नई दिल्ली: परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु भावनात्मक चुनौतियां लेकर आती है, लेकिन इसके साथ ही उनके आधिकारिक दस्तावेजों और पहचान-पत्रों, जैसे कि आधार, पैन कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस को संभालने की व्यावहारिक जिम्मेदारी भी आती है.
अधिकारी अक्सर इस बात को लेकर अनिश्चित रहते हैं कि इन दस्तावेजों का क्या किया जाए—उन्हें अपने पास रखना है, उन्हें सौंपना है या उन्हें नष्ट कर देना है. हालांकि, ऐसे दस्तावेजों को संभालने के लिए कोई नियम नहीं हैं.
ऐसे अगर परिवार के सदस्य की मौत हो जाए तो इन दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल होने खतरा रहता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई मामलों ऐसे सामने आए हैं, जिनमें मृतकों के आधार कार्ड का उपयोग फ्रॉड के लिए किया गया. इसलिए अगर सतर्कता न बरती जाए तो यह आपके परिवार के लिए बड़ी समस्या बन सकता है.
कैसे हो सकता है इस डॉक्यूमेंट से फ्रॉड?
मृतक के आधार कार्ड इस्तेमाल उसके बैंक अकाउंट को एक्सेस करने के लिए किया जा सकता है. कई बार अपराधी मृतक की पहचान का उपयोग कर फर्जी अकाउंट खोल लेते हैं या मौजूदा अकाउंट से पैसे भी निकाल लेते हैं.इसके अलावा इन दस्तावेजों का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं जैसे पेंशन, बीमा या अन्य लाभों को फर्जी तरीके से क्लेम करने के लिए भी किया जा सकता है.
आधार कार्ड जैसे डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल करके फर्जी सिम कार्ड एक्टिवेट किए जा सकते हैं, जिन्हें अपराध या अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा इन दस्तावेजों का इस्तेमाल फर्जी लोन के लिए भी किया जा सकता है.
किन-किन दस्तावेजों का हो सकता है इस्तेमाल?
अपराधी मृतकों के जिन आधार कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं, उनमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आई कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस शामिल हैं. ऐसे में जरूरी है कि परिवार के सदस्य की मौत के बाद उसका दस्तावेज संभाल कर रखे जाएं.
क्या डीएक्टिवेट हो सकता है आधार?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में किसी मृत व्यक्ति के आधार कार्ड को डीएक्टिवेट या कैंसिल करने का कोई प्रावधान नहीं है. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने अपनी प्रणाली को राज्य मृत्यु रजिस्ट्री के साथ इंटिग्रेट नहीं किया है और मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार अनिवार्य नहीं है.
हालांकि, किसी शख्स की मौत के बाद उसका पैन सरेंडर किया जा सकता है. इसके लिए असेसमेंट ऑफिसर को एक आवेदनदेकर मृतक का नाम, पैन, जन्म तिथि और मृत्यु प्रमाण पत्र की एक कॉपी के साथ उसे डीएक्टिवेट किया जा सकता है, लेकिन ऐसा सभी वित्तीय मामलों के निपटारे के बाद ही संभव है.
मतदाता पहचान पत्र किया जा सकता है रद्द
मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के तहत, मृत व्यक्ति का मतदाता पहचान पत्र रद्द किया जा सकता है. इसके लिए स्थानीय चुनाव कार्यालय में जाकर मतदाता पहचान पत्र की एक कॉपी के साथ निर्वाचन नियमों के तहत उपलब्ध फॉर्म 7 जमा करना होगा. प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा.
वहीं, पासपोर्ट धारक की मृत्यु के बाद उसे सरेंडर या रद्द करने की आवश्यकता नहीं होती है. हालांकि, एक बार इसकी वैधता समाप्त हो जाने पर यह स्वतः ही अमान्य हो जाता है. समाप्त हो चुके पासपोर्ट को अपने पास रखें, क्योंकि यह वेरिफिकेशन जैसे अप्रत्याशित उद्देश्यों के लिए उपयोगी दस्तावेज के रूप में काम आ सकता है.
अगर बात करें ड्राइविंग लाइसेंस की तो हर राज्य में ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने और रद्द करने के अपने नियम हैं. हालांकि, मृतक व्यक्ति के लाइसेंस को सरेंडर करने के लिए कोई केंद्रीय प्रावधान नहीं है.
अगर अधिकारियों को सूचित नहीं किया जाता है तो मृतक व्यक्ति के दस्तावेजों का क्या होगा?
इन दस्तावेजों को सरेंडर न करने पर कोई कानूनी दंड नहीं है. हालांकि, जारी करने वाले अधिकारियों को सूचित न करने पर दस्तावेजों का दुरुपयोग धोखेबाजों द्वारा किया जा सकता है. अधिकारियों को सूचित करने से ऐसे जोखिमों के खिलाफ सुरक्षा की एक परत जुड़ जाती है.
आधार और पासपोर्ट जैसे दस्तावेजों के लिए क्या करें?
उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ सुरक्षित रूप से स्टोर करके रख लें. इन दस्तावेजों को नष्ट न करें, क्योंकि वे भविष्य के कानूनी या वित्तीय मामलों के लिए पहचान या पते के प्रमाण के रूप में काम आ सकते हैं.
फ्रॉड से कैसे बचें?
- जैसे ही किसी परिवार के सदस्य की मृत्यु हो जाए,तुरंत आधार डेटा में इसकी जानकारी अपडेट कराएं.
- इसके लिए आप नजदीकी आधार सेंटर पर संपर्क कर सकते हैं.
- मृतक के बैंक अकाउंट को जल्द से जल्द बंद करवाएं.
- इसके लिए मृत्यु प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज बैंक में जमा करें.
- अगर मृतक किसी सरकारी योजना का लाभ ले रहा था तो संबंधित विभाग को उसकी जानकारी दें ताकि उसकी पहचान का दुरुपयोग न हो सके.
- UIDAI की आधार लॉक फैसलिटी का इस्तेमाल करें. इससे आधार नंबर को अनधिकृत इस्तेमाल से बचाया जा सकता है.
- आधार कार्ड को सुरक्षित रखें और किसी भी शख्स को इसकी कॉपी न दें.