नई दिल्ली: भारत और बांग्लादेश के बीच जल बंटवारे को लेकर केंद्र और पश्चिम बंगाल के बीच टकराव के बीच केंद्र सरकार के सूत्रों ने ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार पर 'झूठे दावे' फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि पूरे घटनाक्रम में राज्य सरकार को जानकारी दी गई. यह मामला भारत और बांग्लादेश के बीच 1996 की गंगा जल बंटवारा संधि से संबंधित है.
सरकारी सूत्रों ने सोमवार को कहा, 'पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा झूठा दावा फैलाया गया है कि फरक्का में गंगा जल बंटवारे पर 1996 की भारत-बांग्लादेश संधि की आंतरिक समीक्षा पर उनसे परामर्श नहीं किया गया.' सूत्रों ने बताया कि पिछले वर्ष 24 जुलाई को केंद्र ने फरक्का में गंगा जल बंटवारे पर 1996 की भारत-बांग्लादेश संधि की आंतरिक समीक्षा के लिए समिति में पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिनिधि की मांग की थी.
अगस्त में पश्चिम बंगाल सरकार ने समिति के लिए मुख्य अभियंता (डिजाइन एवं अनुसंधान), सिंचाई एवं जलमार्ग निदेशालय, पश्चिम बंगाल सरकार को नामित किया था. सूत्रों ने बताया कि इसके बाद इस वर्ष 5 अप्रैल को पश्चिम बंगाल सरकार के सिंचाई एवं जलमार्ग विभाग के संयुक्त सचिव (कार्य) ने फरक्का बैराज से जल को लेकर अगले 30 वर्षों के लिए अपनी कुल मांग से अवगत कराया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र और बांग्लादेश सरकार के बीच जल बंटवारे पर बातचीत पर अपनी आपत्ति जताई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि बातचीत से पहले राज्य सरकार से परामर्श नहीं किया गया और इसे केंद्र का 'एकतरफा' फैसला बताया. मुख्यमंत्री ममता ने हावड़ा में नगर पालिकाओं और नगर निगमों के अध्यक्षों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की, जहां उन्होंने भाजपा पर बंगाल के लोगों की आजीविका पर विचार किए बिना फरक्का संधि को नवीनीकृत करने का आरोप लगाया.
सीएम ममता ने बैठक में कहा, 'यह भाजपा नीत केंद्र की बांग्ला-विरोधी मानसिकता का एक और प्रदर्शन है.' उन्होंने कहा, 'बंगाल के लोग चुप नहीं रहेंगे, जब तक उनके अधिकारों और संसाधनों को एक ऐसी सरकार द्वारा छीना नहीं जाता, जिसने लगातार उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं के प्रति अवमानना दिखाई है.' पिछले सप्ताह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि दोनों देशों ने गंगा नदी संधि के नवीनीकरण के लिए तकनीकी स्तर पर वार्ता शुरू करने का निर्णय लिया है.
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन की समीक्षा के लिए एक तकनीकी टीम भी बांग्लादेश जाएगी. इसके बाद विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि एक संयुक्त तकनीकी समिति गंगा जल बंटवारा संधि के नवीनीकरण के लिए चर्चा शुरू करेगी. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में भी भारत की सहायता से तीस्ता नदी का संरक्षण और प्रबंधन किया जाएगा.
फरक्का समझौते के तहत भारत और बांग्लादेश ने बांग्लादेश सीमा से करीब 10 किलोमीटर दूर भागीरथी नदी पर बने बांध फरक्का में गंगा नदी के पानी को साझा करने पर सहमति जताई थी. यह समझौता 2026 में खत्म हो जाएगा. तीस्ता नदी में छोटी-छोटी धाराओं का एक नेटवर्क है, जिसके बीच में द्वीप हैं, जो हिमालय से बहकर आई भारी मात्रा में तलछट के नदी तल पर जमा होने से निर्मित हुआ है. इससे मानसून के दौरान बार-बार बाढ़ आती है और नदी के किनारों का गंभीर कटाव होता है, तथा शुष्क मौसम में नदी के आस पास पानी की कमी का सामना करना पड़ता है.