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बेलगावी के जल पुरुष : जिनकी वजह से लबालब भरे हैं कुएं-तालाब, काम देखने बाहर से आते हैं लोग - Water Revolution in Belagavi

Water Revolution in Belagavi : कर्नाटक के बेलगावी जिले में पर्यावरणविद् शिवाजी कागनीकर ने कुछ ऐसा कर दिखाया है कि वह कई राज्यों में चर्चा में हैं. उनकी वजह से जिले के कई गांवों के तालाब और कुएं भरे हुए हैं, जिनका अध्ययन करने बाहर से लोग आते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

Water Revolution in Belagavi
पर्यावरणविद् शिवाजी कागनीकर
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 22, 2024, 5:03 PM IST

Updated : Mar 22, 2024, 5:34 PM IST

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बेलगावी (कर्नाटक): जिले में सूखे के कारण हर जगह पीने के पानी की सख्त जरूरत है. हालांकि, केवल इन चार कस्बों में ही झीलें और कुएं पानी से लबालब भरे हुए हैं. इन सबका कारण है एक जल पुरुष.

न केवल बेलगावी तालुक के बम्बरगा गांव की झील, बल्कि यहां के कट्टनभवी, निंग्यानत्ती और गुरमट्टी गांवों की झील और कुएं भी पानी से भर गए हैं. यहां इतना पानी और हरा-भरा वातावरण होने का कारण पर्यावरणविद् शिवाजी कागनीकर का लिया गया फैसला है.

पहले यहां के लोग पानी की कमी से जूझ रहे थे. इसे खत्म करने के लिए शिवाजी आगे आए. महाराष्ट्र में अपने गृह नगर रालेगांव सिद्धि में अनुभवी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे द्वारा की गई जलक्रांति के साक्षी रहे शिवाजी ने इसे यहां भी मूर्त रूप दिया है.

बेलगावी की झील
बेलगावी की झील

वाटरशेड विकास परियोजना के तहत जर्मनी के रूडोल्फ द्वारा दिए गए कुल 30 लाख रुपये के अनुदान से जनजागरण संस्था और ग्रीन सेवियर्स के माध्यम से ग्रामीणों के सहयोग से पेड़ लगाए गए हैं. और कट्टानाबावी में 2, निंग्यानत्ती में 3, इद्दिलाहोंडा और गुरमत्ती गांवों में एक-एक झील का निर्माण किया गया है.

2 लाख से ज्यादा पौधे लगा चुके : झीलों, कुओं और खाइयों का पुनर्वास किया गया है. नहर से कुएं तक और कुएं से नदी तक पानी पहुंचाया जाता है. पहाड़ी से ढलान वाले क्षेत्र में बहने वाले पानी को एकत्र करने के लिए समानांतर नालियों का निर्माण किया गया. नालों के किनारे पौधे लगाए गए हैं. इससे इस हिस्से में भूजल स्तर बढ़ गया है. गौरतलब है कि शिवाजी अब तक 2 लाख से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं.

'पृथ्वी की जल कोशिकाएं मनुष्य की शिराओं के समान': शिवाजी कागनीकर ने जलक्रांति के बारे में बताया, 'हमने पहाड़ी पर दस फीट की दूरी पर समानांतर नालियां बनाईं. तीन साल तक बारिश का पानी उन नालों में जाने देने के बाद, हमने एक झील बनाई. पानी नालों में रिसकर झील में मिल गया. यह मानव शरीर की नसों की तरह है. इसी प्रकार भूमि में जल कोशिकाएं होती हैं. तो, उन कोशिकाओं के माध्यम से पानी झील और कुएं में बहता था. इसके बाद इन चारों गांवों में लोगों द्वारा खोदे गए कुओं और बोरवेलों से भारी मात्रा में पानी मिलने लगा और पानी की समस्या दूर हो गई.'

शिवाजी कागनीकर ने कहा कि 'पहले इन कस्बों में पानी की व्यापक समस्या थी, पशुपालन बहुत कम था. जब पानी की उपलब्धता बढ़ी तो किसानों ने अधिक पशुधन पालना शुरू कर दिया. गोबर गैस संयंत्र अरंडी की खाद से शुरू किए गए. पेड़-पौधे उगने लगे. इससे किसानों के जीवन में सुधार हुआ और बेहतर वातावरण तैयार हुआ.'

उन्होंने कहा कि 'आज हम सभी बहुत गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं. वायु एवं जल प्रदूषण के साथ-साथ भूमि भी प्रदूषित होती है. देश के युवाओं को पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए संकल्प लेना चाहिए. आज के युवा अपनी जिम्मेदारी भूलकर राजनेताओं के पीछे भागकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं. इससे पहले कि यह स्थिति आपदा में बदल जाए, हमें जाग जाना चाहिए और पर्यावरण को बचाने के लिए काम करना चाहिए.'

जल का अध्ययन करने राज्य के बाहर से आए लोग : मेघालय, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों से प्रशिक्षित आरएफओ और छात्रों ने शिवाजी कागनीकर के जल प्रयोग का दौरा किया. उन सभी को शिवाजी ने जल और वृक्षों की खेती के लिए किए गए उपायों के बारे में सिखाया.

इस बारे में बीजेपी नेता शंकर गौड़ा पाटिल ने कहा, 'कागनीकर का काम हम सभी के लिए एक उदाहरण है. हमें बेलगाम में इस जल पुरुष पर गर्व है. उत्तर भारत के कई राज्यों से लोग यहां आए हैं और पानी बचाने के उनके काम की सराहना की है. उनसे मार्गदर्शन भी मिला है. धारवाड़ के वाल्मी इंस्टीट्यूट के अधिकारी भी यहां आए हैं.'

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विश्व जल दिवस : 2030 तक पानी की मांग होगी दोगुनी, पर कैसे होगी आपूर्ति ?

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न केवल बेलगावी तालुक के बम्बरगा गांव की झील, बल्कि यहां के कट्टनभवी, निंग्यानत्ती और गुरमट्टी गांवों की झील और कुएं भी पानी से भर गए हैं. यहां इतना पानी और हरा-भरा वातावरण होने का कारण पर्यावरणविद् शिवाजी कागनीकर का लिया गया फैसला है.

पहले यहां के लोग पानी की कमी से जूझ रहे थे. इसे खत्म करने के लिए शिवाजी आगे आए. महाराष्ट्र में अपने गृह नगर रालेगांव सिद्धि में अनुभवी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे द्वारा की गई जलक्रांति के साक्षी रहे शिवाजी ने इसे यहां भी मूर्त रूप दिया है.

बेलगावी की झील
बेलगावी की झील

वाटरशेड विकास परियोजना के तहत जर्मनी के रूडोल्फ द्वारा दिए गए कुल 30 लाख रुपये के अनुदान से जनजागरण संस्था और ग्रीन सेवियर्स के माध्यम से ग्रामीणों के सहयोग से पेड़ लगाए गए हैं. और कट्टानाबावी में 2, निंग्यानत्ती में 3, इद्दिलाहोंडा और गुरमत्ती गांवों में एक-एक झील का निर्माण किया गया है.

2 लाख से ज्यादा पौधे लगा चुके : झीलों, कुओं और खाइयों का पुनर्वास किया गया है. नहर से कुएं तक और कुएं से नदी तक पानी पहुंचाया जाता है. पहाड़ी से ढलान वाले क्षेत्र में बहने वाले पानी को एकत्र करने के लिए समानांतर नालियों का निर्माण किया गया. नालों के किनारे पौधे लगाए गए हैं. इससे इस हिस्से में भूजल स्तर बढ़ गया है. गौरतलब है कि शिवाजी अब तक 2 लाख से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं.

'पृथ्वी की जल कोशिकाएं मनुष्य की शिराओं के समान': शिवाजी कागनीकर ने जलक्रांति के बारे में बताया, 'हमने पहाड़ी पर दस फीट की दूरी पर समानांतर नालियां बनाईं. तीन साल तक बारिश का पानी उन नालों में जाने देने के बाद, हमने एक झील बनाई. पानी नालों में रिसकर झील में मिल गया. यह मानव शरीर की नसों की तरह है. इसी प्रकार भूमि में जल कोशिकाएं होती हैं. तो, उन कोशिकाओं के माध्यम से पानी झील और कुएं में बहता था. इसके बाद इन चारों गांवों में लोगों द्वारा खोदे गए कुओं और बोरवेलों से भारी मात्रा में पानी मिलने लगा और पानी की समस्या दूर हो गई.'

शिवाजी कागनीकर ने कहा कि 'पहले इन कस्बों में पानी की व्यापक समस्या थी, पशुपालन बहुत कम था. जब पानी की उपलब्धता बढ़ी तो किसानों ने अधिक पशुधन पालना शुरू कर दिया. गोबर गैस संयंत्र अरंडी की खाद से शुरू किए गए. पेड़-पौधे उगने लगे. इससे किसानों के जीवन में सुधार हुआ और बेहतर वातावरण तैयार हुआ.'

उन्होंने कहा कि 'आज हम सभी बहुत गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं. वायु एवं जल प्रदूषण के साथ-साथ भूमि भी प्रदूषित होती है. देश के युवाओं को पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए संकल्प लेना चाहिए. आज के युवा अपनी जिम्मेदारी भूलकर राजनेताओं के पीछे भागकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं. इससे पहले कि यह स्थिति आपदा में बदल जाए, हमें जाग जाना चाहिए और पर्यावरण को बचाने के लिए काम करना चाहिए.'

जल का अध्ययन करने राज्य के बाहर से आए लोग : मेघालय, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों से प्रशिक्षित आरएफओ और छात्रों ने शिवाजी कागनीकर के जल प्रयोग का दौरा किया. उन सभी को शिवाजी ने जल और वृक्षों की खेती के लिए किए गए उपायों के बारे में सिखाया.

इस बारे में बीजेपी नेता शंकर गौड़ा पाटिल ने कहा, 'कागनीकर का काम हम सभी के लिए एक उदाहरण है. हमें बेलगाम में इस जल पुरुष पर गर्व है. उत्तर भारत के कई राज्यों से लोग यहां आए हैं और पानी बचाने के उनके काम की सराहना की है. उनसे मार्गदर्शन भी मिला है. धारवाड़ के वाल्मी इंस्टीट्यूट के अधिकारी भी यहां आए हैं.'

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Last Updated : Mar 22, 2024, 5:34 PM IST
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