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जम्मू कश्मीर: वक्फ की जमीनों पर पाकिस्तानी शरणार्थियों का अतिक्रमण, RTI से खुलासा - Waqf Land Encroached

Waqf Land Encroached: जम्मू में संभाग में वक्फ की संपत्ति पर पाकिस्तानी शरणार्थियों द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है. इसका खुलासा एक RTI से हुआ है. इस आरटीआई को कार्यकर्ता एमएम शुजा ने दायर किया था.

वक्फ की जमीनों पर अतिक्रमण
वक्फ की जमीनों पर अतिक्रमण (फोटो क्रेडिट X/@drdarakhshan)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 26, 2024, 7:52 PM IST

श्रीनगर: जम्मू संभाग में विभिन्न स्थानों पर जम्मू कश्मीर वक्फ बोर्ड की भूमि पर अतिक्रमण हुआ है. इस बात का खुलासा आरटीआई से हुआ है. यह आरटीआई सामाजिक कार्यकर्ता एमएम शुजा ने 22 जुलाई 2024 को दायर की थी.इसकी एक कॉपी ईटीवी भारत के पास है. इस आरटीआई पर जम्मू कश्मीर प्रशासक/कार्यकारी अधिकारी के हस्ताक्षर मौजूद हैं.

आरटीआई के मुताबिक बिश्नाह, अखनूर, आरएस पुरा, गांधी नगर, डिगियाना, बठिंडी, और सुजवान सहित जम्मू क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में वक्फ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है. इस आरटीआई ने वक्फ बोर्ड के कामकाज को लेकर गंभीर चिंता जताई है.

जम्मू में लगभग 616 कनाल भूमि, बिश्नाह में 729 कनाल, अखनूर में 105 कनाल और आरएस पुरा में 8 कनाल भूमि पर पाकिस्तानी शरणार्थियों द्वारा अतिक्रमण किया गया है, जिन्हें POJK शरणार्थी के रूप में जाना जाता है. इन शरणार्थियों को अवैध रूप से वक्फ भूमि आवंटित की गई है.

अतिक्रमित भूमि पर दुकानें और मकान
आरटीआई से पता चला है कि अतिक्रमणकारियों ने वक्फ की अतिक्रमित भूमि पर दुकानें और मकान बना लिए हैं, जबकि कुछ लोग इसका इस्तेमाल कृषि उद्देश्यों के लिए भी कर रहे हैं. आंकड़ों के अनुसार जम्मू कश्मीर मुस्लिम वक्फ बोर्ड की भूमि पर गैर मुस्लिम संगठनों ने खसरा संख्या 630 के तहत चांद नगर जम्मू में पूजा स्थलों का निर्माण करके अतिक्रमण किया है और गोले गुजराल में स्थानीय लोगों ने अतिक्रमित 17 कनाल भूमि पर 'शमशान घाट' और रास्ते बना लिए हैं.

इसके साथ ही जम्मू में वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली और वक्फ भूमि पर अतिक्रमण पर सवाल उठाए जा रहे हैं. इसको लेकर पूर्व आईएएस अधिकारी पूर्व वक्फ प्रशासक खालिद हुसैन ने कहा कि सरकार अतिक्रमण के मुद्दे को हल करने के लिए क्या कर रही है.

अतिक्रमणकारियों से वापस नहीं ले सके जमीन
खालिद हुसैन ने कहा कि वक्फ प्रशासक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान जब मुझे पता चला कि सरकारी एजेंसियों और निजी पार्टियों दोनों ने जम्मू में वक्फ संपत्तियों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया है, तो मैंने अतिक्रमणकारियों से जमीन वापस लेना शुरू कर दिया, लेकिन राजनीतिक नेताओं (मंत्रियों) और राजस्व अधिकारियों के प्रभाव के कारण अतिक्रमणकारियों से जमीन वापस लेने में सफलता नहीं मिल सकी, जो मुझसे कह रहे थे कि इस तरह के विध्वंस अभियान से क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है.

पूर्व आईएएस अधिकारी ने कहा कि लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार को अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि जम्मू के मुसलमानों के पास राजनीतिक आवाज नहीं है, यही कारण है कि जम्मू वक्फ की जमीन पर लोग आसानी से अतिक्रमण कर लेते हैं.

नेताओं ने जमीन लेने की कोशिश नहीं की
वहीं, आरटीआई दायर करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता एमएम शुजा ने जम्मू कश्मीर सरकार से भूमि अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि अतीत में सत्ता में काबिज रहे नेताओं ने जम्मू में मुस्लिम वक्फ बोर्ड की जमीन को वापस लेने की जहमत नहीं उठाई, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

यह भी पढ़ें- करगिल में पीएम मोदी: लद्दाख के कार्यकर्ता ने अधूरे वादों की याद दिलाई, जानें क्या कहा

श्रीनगर: जम्मू संभाग में विभिन्न स्थानों पर जम्मू कश्मीर वक्फ बोर्ड की भूमि पर अतिक्रमण हुआ है. इस बात का खुलासा आरटीआई से हुआ है. यह आरटीआई सामाजिक कार्यकर्ता एमएम शुजा ने 22 जुलाई 2024 को दायर की थी.इसकी एक कॉपी ईटीवी भारत के पास है. इस आरटीआई पर जम्मू कश्मीर प्रशासक/कार्यकारी अधिकारी के हस्ताक्षर मौजूद हैं.

आरटीआई के मुताबिक बिश्नाह, अखनूर, आरएस पुरा, गांधी नगर, डिगियाना, बठिंडी, और सुजवान सहित जम्मू क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में वक्फ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है. इस आरटीआई ने वक्फ बोर्ड के कामकाज को लेकर गंभीर चिंता जताई है.

जम्मू में लगभग 616 कनाल भूमि, बिश्नाह में 729 कनाल, अखनूर में 105 कनाल और आरएस पुरा में 8 कनाल भूमि पर पाकिस्तानी शरणार्थियों द्वारा अतिक्रमण किया गया है, जिन्हें POJK शरणार्थी के रूप में जाना जाता है. इन शरणार्थियों को अवैध रूप से वक्फ भूमि आवंटित की गई है.

अतिक्रमित भूमि पर दुकानें और मकान
आरटीआई से पता चला है कि अतिक्रमणकारियों ने वक्फ की अतिक्रमित भूमि पर दुकानें और मकान बना लिए हैं, जबकि कुछ लोग इसका इस्तेमाल कृषि उद्देश्यों के लिए भी कर रहे हैं. आंकड़ों के अनुसार जम्मू कश्मीर मुस्लिम वक्फ बोर्ड की भूमि पर गैर मुस्लिम संगठनों ने खसरा संख्या 630 के तहत चांद नगर जम्मू में पूजा स्थलों का निर्माण करके अतिक्रमण किया है और गोले गुजराल में स्थानीय लोगों ने अतिक्रमित 17 कनाल भूमि पर 'शमशान घाट' और रास्ते बना लिए हैं.

इसके साथ ही जम्मू में वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली और वक्फ भूमि पर अतिक्रमण पर सवाल उठाए जा रहे हैं. इसको लेकर पूर्व आईएएस अधिकारी पूर्व वक्फ प्रशासक खालिद हुसैन ने कहा कि सरकार अतिक्रमण के मुद्दे को हल करने के लिए क्या कर रही है.

अतिक्रमणकारियों से वापस नहीं ले सके जमीन
खालिद हुसैन ने कहा कि वक्फ प्रशासक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान जब मुझे पता चला कि सरकारी एजेंसियों और निजी पार्टियों दोनों ने जम्मू में वक्फ संपत्तियों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया है, तो मैंने अतिक्रमणकारियों से जमीन वापस लेना शुरू कर दिया, लेकिन राजनीतिक नेताओं (मंत्रियों) और राजस्व अधिकारियों के प्रभाव के कारण अतिक्रमणकारियों से जमीन वापस लेने में सफलता नहीं मिल सकी, जो मुझसे कह रहे थे कि इस तरह के विध्वंस अभियान से क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है.

पूर्व आईएएस अधिकारी ने कहा कि लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार को अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि जम्मू के मुसलमानों के पास राजनीतिक आवाज नहीं है, यही कारण है कि जम्मू वक्फ की जमीन पर लोग आसानी से अतिक्रमण कर लेते हैं.

नेताओं ने जमीन लेने की कोशिश नहीं की
वहीं, आरटीआई दायर करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता एमएम शुजा ने जम्मू कश्मीर सरकार से भूमि अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि अतीत में सत्ता में काबिज रहे नेताओं ने जम्मू में मुस्लिम वक्फ बोर्ड की जमीन को वापस लेने की जहमत नहीं उठाई, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

यह भी पढ़ें- करगिल में पीएम मोदी: लद्दाख के कार्यकर्ता ने अधूरे वादों की याद दिलाई, जानें क्या कहा

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