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तलाक मामले में मद्रास HC ने व्यक्तिगत पेशी से छूट देते हुए कहा- वीडियो कॉल ही काफी है

तमिलनाडु के मद्रास हाई कोर्ट ने अमेरिका में रहने वाले चेन्नई के दंपत्ति के तलाक के मामले का निपटान वीडियो कॉल के जरिए किया.

Tamil Nadu High Court
तमिलनाडु हाईकोर्ट (ETV Bharat Tamil Nadu Desk)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने तलाक के मामले में अमेरिका में रहने वाले चेन्नई के दंपत्ति को बड़ी राहत दी. मद्रास हाई कोर्ट ने तलाक की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि तलाक लेने के लिए एक वीडियो कॉल ही काफी है. आज दुनिया में उन्नत प्रौद्योगिकी है. तलाक के मामलों में शामिल दम्पति को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए बाध्य किए बिना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पूछताछ के माध्यम से तलाक दिया जा सकता है.

चेन्नई की एक महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उसकी शादी 2016 में चेन्नई के चेटपेट में हिंदू विवाह पद्धति से हुई. पेरियामेडु के रजिस्ट्री ऑफिस में शादी का पंजीकरण हुआ. शादी के बाद दोनों अमेरिका के वाशिंगटन राज्य में रहने लगे. दोनों के बीच मतभेद के कारण 2021 में अलग होने का फैसला किया.

इसके बाद महिला ने चेन्नई फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए केस दायर किया. वीजा की समस्या के कारण उसके पति ट्रायल के लिए भारत नहीं आ सके, इसलिए उनके पिता ने उनके पावर एजेंट के तौर पर याचिका दायर की. 2023 में दायर तलाक का मामला लंबित था. जब यह सुनवाई के लिए आया तो मामले को बार-बार स्थगित कर दिया गया क्योंकि उसके पति वीजा कारणों से व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं हो सके.

महिला ने ट्रायल के लिए वीडियो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की अनुमति मांगी. हालांकि, कोर्ट ने उसकी याचिका स्वीकार नहीं की क्योंकि उसके पति ने भी इसी अनुरोध के साथ याचिका दायर की थी. बाद में फैमिली कोर्ट ने अमेरिकी दूतावास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने का निर्देश दिया. जब हम दोनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए तो फैमिली कोर्ट द्वारा मामला दर्ज कराया गया, क्योंकि वे अमेरिकी दूतावास में नहीं थे.

मामले की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के जज निर्मल कुमार ने कहा कि केवल आपराधिक मामलों में ही संबंधित व्यक्तियों का व्यक्तिगत रूप से पेश होना अनिवार्य है. अन्य मामलों में खास तौर पर तलाक के मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होने का अवसर दिया जाना चाहिए. तलाक के वादी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है. दोनों से संबंधित साक्ष्य और हलफनामे पहले ही अदालत में जमा कर दिए गए थे.

साथ ही, चूंकि वे दोनों अमेरिका में काम कर रहे हैं, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उन्हें हर बार सुनवाई के समय व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा. आज दुनिया के किसी भी कोने में किसी को भी न्याय दिलाने के लिए वीडियो निगरानी का विस्तार हो चुका है. इसलिए, अदालत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही हो.

उन्होंने आदेश दिया कि तलाक का मामला लंबित होने पर उनका व्यक्तिगत रूप से पेश होना बेकार है. अब से तलाक का मामला दायर करते समय दोनों पक्षों की मौजूदगी ही काफी है. यहां तक ​​कि जब वीडियो में दिख रहे लोग अपनी पहचान के साथ दिख रहे हों. अगर सब कुछ सही पाया जाता है तो तलाक दिया जा सकता है.

ये भी पढ़ें-आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु को सुप्रीम कोर्ट से राहत, मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने तलाक के मामले में अमेरिका में रहने वाले चेन्नई के दंपत्ति को बड़ी राहत दी. मद्रास हाई कोर्ट ने तलाक की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि तलाक लेने के लिए एक वीडियो कॉल ही काफी है. आज दुनिया में उन्नत प्रौद्योगिकी है. तलाक के मामलों में शामिल दम्पति को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए बाध्य किए बिना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पूछताछ के माध्यम से तलाक दिया जा सकता है.

चेन्नई की एक महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उसकी शादी 2016 में चेन्नई के चेटपेट में हिंदू विवाह पद्धति से हुई. पेरियामेडु के रजिस्ट्री ऑफिस में शादी का पंजीकरण हुआ. शादी के बाद दोनों अमेरिका के वाशिंगटन राज्य में रहने लगे. दोनों के बीच मतभेद के कारण 2021 में अलग होने का फैसला किया.

इसके बाद महिला ने चेन्नई फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए केस दायर किया. वीजा की समस्या के कारण उसके पति ट्रायल के लिए भारत नहीं आ सके, इसलिए उनके पिता ने उनके पावर एजेंट के तौर पर याचिका दायर की. 2023 में दायर तलाक का मामला लंबित था. जब यह सुनवाई के लिए आया तो मामले को बार-बार स्थगित कर दिया गया क्योंकि उसके पति वीजा कारणों से व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं हो सके.

महिला ने ट्रायल के लिए वीडियो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की अनुमति मांगी. हालांकि, कोर्ट ने उसकी याचिका स्वीकार नहीं की क्योंकि उसके पति ने भी इसी अनुरोध के साथ याचिका दायर की थी. बाद में फैमिली कोर्ट ने अमेरिकी दूतावास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने का निर्देश दिया. जब हम दोनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए तो फैमिली कोर्ट द्वारा मामला दर्ज कराया गया, क्योंकि वे अमेरिकी दूतावास में नहीं थे.

मामले की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के जज निर्मल कुमार ने कहा कि केवल आपराधिक मामलों में ही संबंधित व्यक्तियों का व्यक्तिगत रूप से पेश होना अनिवार्य है. अन्य मामलों में खास तौर पर तलाक के मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होने का अवसर दिया जाना चाहिए. तलाक के वादी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है. दोनों से संबंधित साक्ष्य और हलफनामे पहले ही अदालत में जमा कर दिए गए थे.

साथ ही, चूंकि वे दोनों अमेरिका में काम कर रहे हैं, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उन्हें हर बार सुनवाई के समय व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा. आज दुनिया के किसी भी कोने में किसी को भी न्याय दिलाने के लिए वीडियो निगरानी का विस्तार हो चुका है. इसलिए, अदालत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही हो.

उन्होंने आदेश दिया कि तलाक का मामला लंबित होने पर उनका व्यक्तिगत रूप से पेश होना बेकार है. अब से तलाक का मामला दायर करते समय दोनों पक्षों की मौजूदगी ही काफी है. यहां तक ​​कि जब वीडियो में दिख रहे लोग अपनी पहचान के साथ दिख रहे हों. अगर सब कुछ सही पाया जाता है तो तलाक दिया जा सकता है.

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