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LAC पर आज बहुत असामान्य तैनाती, चीन ने सीमा समझौतों का उल्लंघन किया: जयशंकर - Jaishankar LAC China

Jaishankar on LAC China border agreements: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कोलकाता में विकसित भारत कार्यक्रम में लद्दाख में एलएसी पर चीनी रवैये को लेकर स्थिति स्पष्ट की.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 15, 2024, 8:03 AM IST

कोलकाता : यह देखते हुए कि चीन ने 2020 में लद्दाख में एलएसी पर कई सेनाएं लाकर समझौतों का उल्लंघन किया, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत ने सैनिकों की जवाबी तैनाती करके जवाब दिया और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 'बहुत असामान्य तैनाती' है. कोलकाता में मंगलवार को विकसित भारत कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि जब भारत में कोविड-19 लॉकडाउन था, तब चीन सेना लेकर आया और 'हममें से किसी को भी देश की सुरक्षा की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'हमें 1962 का अनुभव थोड़ा याद दिलाने के लिए उपयोगी था क्योंकि कुछ लोग इससे इनकार करते हैं लेकिन यह सिर्फ 1962 नहीं था. 1962 के बाद 1988 में राजीव गांधी चीन गये. कई मायनों में यह हमारे संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था. और फिर एक बहुत स्पष्ट समझ थी कि हम अपने सीमा मतभेदों पर चर्चा करेंगे, लेकिन हम सीमा पर अपनी शांति बनाए रखेंगे.

अब जो बदल गया है वह 2020 में हुआ है. 2020 में चीनियों ने कई समझौतों का उल्लंघन करते हुए सीमा पर बड़ी संख्या में सेनाएं लायी और उन्होंने ऐसा उस समय किया जब हम इस देश में कोविड को लेकर ​​लॉकडाउन था. हमने अपनी सेनाओं की जवाबी तैनाती करके जवाब दिया और फिर गलवान में हमारी झड़प हुई.

विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव इस बात का नहीं है कि 62 साल पहले क्या हुआ था, बल्कि आज सीमा पर क्या हो रहा है, इसका मामला है. चार वर्षों से दोनों देश अपने सामान्य स्थान से आगे है. सामान्य गश्ती क्षेत्रों से आगे तैनात हैं. इसलिए आज वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यह बहुत ही असामान्य तैनाती है.'

अब दोनों देशों के बीच इस तनाव को देखते हुए यह बात नहीं है कि हमारे बीच 62 साल पहले संघर्ष हुआ था, यह वही है जो आज सीमा पर हो रहा है. भारतीय नागरिक के रूप में हममें से कोई भी अपने देश की सुरक्षा की उपेक्षा नहीं कर सकता है या करना चाहिए. इसलिए हम यह कहते हुए जीवन भर इसे जारी नहीं रख सकते कि यह हमारी चिंता का विषय नहीं है. इसलिए, यह आज एक चुनौती है.

विशेष रूप से 2020 में भारतीय और चीनी सैनिक गलवान में भिड़ गए उसी वर्ष महामारी शुरू हुई. मई 2020 से जब चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर यथास्थिति को आक्रामक रूप से बदलने की कोशिश की, दोनों पक्षों को पेट्रोलिंग पॉइंट 15 के पास आगे की स्थिति में तैनात किया गया है, जो गलवान झड़प के बाद घर्षण बिंदु के रूप में उभरा.

एलएसी पर यथास्थिति को एकतरफा बदलने के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए उन्नत हथियारों के साथ 2020 से 50,000 से अधिक भारतीय सैनिकों को एलएसी के साथ आगे की चौकियों पर तैनात किया गया है. सीमा पर तनाव के बीच मार्च में भारत और चीन ने सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पूर्ण शांति प्राप्त करने और मुद्दों को हल करने के तरीकों पर विचारों का आदान-प्रदान किया.

इस बीच भारत ने इस साल जनवरी में चीन पर अपनी दीर्घकालिक स्थिति को दोहराते हुए कहा कि दोनों देश किसी न किसी तरह के समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य पक्षों पर बातचीत जारी रखते हैं. चीन पर भारत की स्थिति सर्वविदित है. यह एक ऐसा रिश्ता है जो सामान्य नहीं है लेकिन हमने अक्टूबर और नवंबर में सैन्य पक्ष और राजनयिक पक्ष दोनों पर बातचीत की.

ये भी पढ़ें- जयशंकर ने ड्रैगन को दिखाया आईना-'चीन को ये एहसास होना चाहिए कि मौजूदा स्थिति उसके हित में नहीं' - JAISHANKAR On CHINA BORDER Issues

कोलकाता : यह देखते हुए कि चीन ने 2020 में लद्दाख में एलएसी पर कई सेनाएं लाकर समझौतों का उल्लंघन किया, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत ने सैनिकों की जवाबी तैनाती करके जवाब दिया और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 'बहुत असामान्य तैनाती' है. कोलकाता में मंगलवार को विकसित भारत कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि जब भारत में कोविड-19 लॉकडाउन था, तब चीन सेना लेकर आया और 'हममें से किसी को भी देश की सुरक्षा की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'हमें 1962 का अनुभव थोड़ा याद दिलाने के लिए उपयोगी था क्योंकि कुछ लोग इससे इनकार करते हैं लेकिन यह सिर्फ 1962 नहीं था. 1962 के बाद 1988 में राजीव गांधी चीन गये. कई मायनों में यह हमारे संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था. और फिर एक बहुत स्पष्ट समझ थी कि हम अपने सीमा मतभेदों पर चर्चा करेंगे, लेकिन हम सीमा पर अपनी शांति बनाए रखेंगे.

अब जो बदल गया है वह 2020 में हुआ है. 2020 में चीनियों ने कई समझौतों का उल्लंघन करते हुए सीमा पर बड़ी संख्या में सेनाएं लायी और उन्होंने ऐसा उस समय किया जब हम इस देश में कोविड को लेकर ​​लॉकडाउन था. हमने अपनी सेनाओं की जवाबी तैनाती करके जवाब दिया और फिर गलवान में हमारी झड़प हुई.

विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव इस बात का नहीं है कि 62 साल पहले क्या हुआ था, बल्कि आज सीमा पर क्या हो रहा है, इसका मामला है. चार वर्षों से दोनों देश अपने सामान्य स्थान से आगे है. सामान्य गश्ती क्षेत्रों से आगे तैनात हैं. इसलिए आज वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यह बहुत ही असामान्य तैनाती है.'

अब दोनों देशों के बीच इस तनाव को देखते हुए यह बात नहीं है कि हमारे बीच 62 साल पहले संघर्ष हुआ था, यह वही है जो आज सीमा पर हो रहा है. भारतीय नागरिक के रूप में हममें से कोई भी अपने देश की सुरक्षा की उपेक्षा नहीं कर सकता है या करना चाहिए. इसलिए हम यह कहते हुए जीवन भर इसे जारी नहीं रख सकते कि यह हमारी चिंता का विषय नहीं है. इसलिए, यह आज एक चुनौती है.

विशेष रूप से 2020 में भारतीय और चीनी सैनिक गलवान में भिड़ गए उसी वर्ष महामारी शुरू हुई. मई 2020 से जब चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर यथास्थिति को आक्रामक रूप से बदलने की कोशिश की, दोनों पक्षों को पेट्रोलिंग पॉइंट 15 के पास आगे की स्थिति में तैनात किया गया है, जो गलवान झड़प के बाद घर्षण बिंदु के रूप में उभरा.

एलएसी पर यथास्थिति को एकतरफा बदलने के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए उन्नत हथियारों के साथ 2020 से 50,000 से अधिक भारतीय सैनिकों को एलएसी के साथ आगे की चौकियों पर तैनात किया गया है. सीमा पर तनाव के बीच मार्च में भारत और चीन ने सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पूर्ण शांति प्राप्त करने और मुद्दों को हल करने के तरीकों पर विचारों का आदान-प्रदान किया.

इस बीच भारत ने इस साल जनवरी में चीन पर अपनी दीर्घकालिक स्थिति को दोहराते हुए कहा कि दोनों देश किसी न किसी तरह के समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य पक्षों पर बातचीत जारी रखते हैं. चीन पर भारत की स्थिति सर्वविदित है. यह एक ऐसा रिश्ता है जो सामान्य नहीं है लेकिन हमने अक्टूबर और नवंबर में सैन्य पक्ष और राजनयिक पक्ष दोनों पर बातचीत की.

ये भी पढ़ें- जयशंकर ने ड्रैगन को दिखाया आईना-'चीन को ये एहसास होना चाहिए कि मौजूदा स्थिति उसके हित में नहीं' - JAISHANKAR On CHINA BORDER Issues
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