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वैलेंटाइन के मौके पर जानिए छत्तीसगढ़ के लोरिक-चंदा की अमर प्रेम कहानी

Chhattisgarh lorik chanda love story: वैलेंटाइन के मौके पर आज हम आपको छत्तीसगढ़ के लोरिक-चंदा की अमर प्रेम कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं. लोरिक चंदा की प्रेम कहानी आज भी छत्तीसगढ़ के लोगों की जुबां पर है.

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लोरिक-चंदा की अमर प्रेम कहानी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 8, 2024, 5:36 PM IST

छत्तीसगढ़ के लोरिक-चंदा की अमर प्रेम कहानी

रायपुर: वैलेंटाइन वीक चल रहा है. इस मौके पर हम आपको छत्तीसगढ़ की एक अमर प्रेम कहानी बताने जा रहे हैं. ये प्रेम कहानी लाख संघर्ष के बाद भी अमर रही. इस प्रेम कहानी को इतिहास के पन्नों में जगह मिली है. आज भी प्रदेश में लोग इस प्रेम कहानी की चर्चा करते नहीं थकते हैं. दरअसल हम बात कर रहे हैं लोरिक-चंदा के प्रेम कहानी की. इनकी प्रेम कहानी की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत ने इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र से बातचीत की.

लोरिक-चंदा की अमर प्रेम कहानी: लोरिक चंदा की प्रेम कहानी को लेकर इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि, "आरंग एक प्राचीन शहर रहा है. महाभारत काल में राजा मोरध्वज से संबंधित आरंग माना जाता है. आरंग के पास में एक रीवा गांव है. रीवा गांव के पास में एक गढ़ गौरा भी है. लोरिक-चंदा की प्रेम गाथा रीवा गांव से संबंधित मानी जाती है. लोरिक के पिता अपने दो बच्चों के साथ यहां पर आए थे. राजा महर को एक भैंस के बच्चे को उन्होंने भेंट किया था, इससे राजा प्रसन्न हुए थे. फिर राजा ने लोरिक के पिता को रीवा में रहने का आदेश दे दिया था. उनके पिता वहीं बस गए.

लोरिक के बड़े भाई से तय हुआ था चंदा का विवाह: राजा महर ने अपनी बेटी चंदा का विवाह लोरिक के बड़े भाई बावन से तय किया था. लेकिन यह शादी नहीं हो सकी. क्योंकि लोरिक के बड़े भाई बावन आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे. वे सन्यास लेकर वन चले गए थे. इसके बाद लोरिक के पिता काफी दुखी थे. वह सोचते थे कि राजा को अब क्या जवाब देंगे. इसके बाद लोरीक के पिता लोरिक को लेकर राजा के पास जाते हैं. उस समय लोरीक 18 साल का था और काफी सुंदर था. राजा के पास जाने पर चंदा और लोरिक का आमना-सामना होता है. इस पहली मुलाकात में ही लोरिक से चंदा काफी प्रभावित होती है. इसके बाद दोनों के बीच धीरे-धीरे प्यार बढ़ता जाता है. लोरिक बांसुरी अच्छी बजाता था और उसकी बंसी की धुन भी चंदा को काफी आकर्षित करती थी. इसके बाद इन दोनों के बीच प्यार बढ़ता गया.

आरंग और रीवा के बीच पुरातत्व के खोज के दौरान कई ऐतिहासिक जानकारियां मिलती है. ढाई हजार साल पुराने सिक्के, आसपास कई अवशेष मिले हैं. इससे कहानी की ऐतिहासिकता का भी पता चलता है. अब तक इसको हम लोग गाथा और लोकगीतों में सुनते आ रहे हैं. यह कहानी युवा और युवती में परस्पर प्रेम प्रसंग की एक श्रद्धा को प्रदर्शित करती है. आज भी लोग लोरिक और चंदा की प्रेम गाथा को श्रद्धा भाव से सुनकर काफी गौरवांवित होते हैं.- रमेंद्रनाथ मिश्र, इतिहासकार

लोरिक-चंदा की प्रेम कहानी में आई कई रुकावटें: धीरे-धीरे दोनों की प्रेम की कहानी आसपास के क्षेत्र में भी प्रचलित होने लगी. कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आ रहा था, जिस वजह से लोरिक को काफी प्रताड़ित करने की भी कोशिश की गई. जैसा कि कई प्रेम गाथाओं में देखने और सुनने को मिलता है. इस तरह के प्रेम में राजा समाज सहित लोगों की ओर से काफी व्यवधान उत्पन्न किए जाते हैं. ऐसा ही लोरीक-चंदा की प्रेम कहानी में भी देखने को मिलता है.

अंत में दोनों के प्रेम को लोगों ने किया स्वीकार: इस बीच लोरिक-चंदा को काफी यातनाएं और प्रताड़ना भी सहनी पड़ी. अंत में लोरिक-चंदा के प्रेम को राजा, समाज सहित अन्य सभी लोगों को स्वीकार करना पड़ा. काफी संघर्ष के बाद जब लोरिक और चंदा का मिलन हुआ तो हर्ष की स्थिति भी देखने को मिली. यह कथा आज भी लोग गांव में अपने-अपने ढंग से बताते हैं.

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छत्तीसगढ़ के लोरिक-चंदा की अमर प्रेम कहानी

रायपुर: वैलेंटाइन वीक चल रहा है. इस मौके पर हम आपको छत्तीसगढ़ की एक अमर प्रेम कहानी बताने जा रहे हैं. ये प्रेम कहानी लाख संघर्ष के बाद भी अमर रही. इस प्रेम कहानी को इतिहास के पन्नों में जगह मिली है. आज भी प्रदेश में लोग इस प्रेम कहानी की चर्चा करते नहीं थकते हैं. दरअसल हम बात कर रहे हैं लोरिक-चंदा के प्रेम कहानी की. इनकी प्रेम कहानी की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत ने इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र से बातचीत की.

लोरिक-चंदा की अमर प्रेम कहानी: लोरिक चंदा की प्रेम कहानी को लेकर इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि, "आरंग एक प्राचीन शहर रहा है. महाभारत काल में राजा मोरध्वज से संबंधित आरंग माना जाता है. आरंग के पास में एक रीवा गांव है. रीवा गांव के पास में एक गढ़ गौरा भी है. लोरिक-चंदा की प्रेम गाथा रीवा गांव से संबंधित मानी जाती है. लोरिक के पिता अपने दो बच्चों के साथ यहां पर आए थे. राजा महर को एक भैंस के बच्चे को उन्होंने भेंट किया था, इससे राजा प्रसन्न हुए थे. फिर राजा ने लोरिक के पिता को रीवा में रहने का आदेश दे दिया था. उनके पिता वहीं बस गए.

लोरिक के बड़े भाई से तय हुआ था चंदा का विवाह: राजा महर ने अपनी बेटी चंदा का विवाह लोरिक के बड़े भाई बावन से तय किया था. लेकिन यह शादी नहीं हो सकी. क्योंकि लोरिक के बड़े भाई बावन आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे. वे सन्यास लेकर वन चले गए थे. इसके बाद लोरिक के पिता काफी दुखी थे. वह सोचते थे कि राजा को अब क्या जवाब देंगे. इसके बाद लोरीक के पिता लोरिक को लेकर राजा के पास जाते हैं. उस समय लोरीक 18 साल का था और काफी सुंदर था. राजा के पास जाने पर चंदा और लोरिक का आमना-सामना होता है. इस पहली मुलाकात में ही लोरिक से चंदा काफी प्रभावित होती है. इसके बाद दोनों के बीच धीरे-धीरे प्यार बढ़ता जाता है. लोरिक बांसुरी अच्छी बजाता था और उसकी बंसी की धुन भी चंदा को काफी आकर्षित करती थी. इसके बाद इन दोनों के बीच प्यार बढ़ता गया.

आरंग और रीवा के बीच पुरातत्व के खोज के दौरान कई ऐतिहासिक जानकारियां मिलती है. ढाई हजार साल पुराने सिक्के, आसपास कई अवशेष मिले हैं. इससे कहानी की ऐतिहासिकता का भी पता चलता है. अब तक इसको हम लोग गाथा और लोकगीतों में सुनते आ रहे हैं. यह कहानी युवा और युवती में परस्पर प्रेम प्रसंग की एक श्रद्धा को प्रदर्शित करती है. आज भी लोग लोरिक और चंदा की प्रेम गाथा को श्रद्धा भाव से सुनकर काफी गौरवांवित होते हैं.- रमेंद्रनाथ मिश्र, इतिहासकार

लोरिक-चंदा की प्रेम कहानी में आई कई रुकावटें: धीरे-धीरे दोनों की प्रेम की कहानी आसपास के क्षेत्र में भी प्रचलित होने लगी. कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आ रहा था, जिस वजह से लोरिक को काफी प्रताड़ित करने की भी कोशिश की गई. जैसा कि कई प्रेम गाथाओं में देखने और सुनने को मिलता है. इस तरह के प्रेम में राजा समाज सहित लोगों की ओर से काफी व्यवधान उत्पन्न किए जाते हैं. ऐसा ही लोरीक-चंदा की प्रेम कहानी में भी देखने को मिलता है.

अंत में दोनों के प्रेम को लोगों ने किया स्वीकार: इस बीच लोरिक-चंदा को काफी यातनाएं और प्रताड़ना भी सहनी पड़ी. अंत में लोरिक-चंदा के प्रेम को राजा, समाज सहित अन्य सभी लोगों को स्वीकार करना पड़ा. काफी संघर्ष के बाद जब लोरिक और चंदा का मिलन हुआ तो हर्ष की स्थिति भी देखने को मिली. यह कथा आज भी लोग गांव में अपने-अपने ढंग से बताते हैं.

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