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मानसून सीजन ने उत्तराखंड में बरपाया कहर, 255 करोड़ का नुकसान, 110 लोगों की गई जानें - Uttarakhand Monsoon Season Overview

Uttarakhand Monsoon Season, ttarakhand Monsoon Season Overview, Uttarakhand monsoon season 2024 data उत्तराखंड में मानसून की विदाई हो चुकी है. इस मानसून सीजन में उत्तराखंड को बड़ा नुकसान हुआ है. एक ओवरव्यू की अगर बात करें तो इस मानसून सीजन में उत्तराखंड में 110 लोगों की मौत हुई है. साथ ही 4383 आवास क्षतिग्रस्त हुये हैं. इसके अलावा 255 करोड़ की सड़कों को भी नुकसान हुआ है.

Uttarakhand Monsoon Season
मानसून सीजन ने उत्तराखंड में बरपाया कहर (ETV BAHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 2, 2024, 8:04 PM IST

Updated : Oct 2, 2024, 9:23 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में इस साल मानसून सीजन बेहद बेदर्दी भर रहा. इस साल तकरीबन 255 करोड़ की सड़कों का नुकसान हुआ. वहीं, 3483 घरों के नुकसान के साथ ही इस बार मानसून सीजन में 82 लोगों की मौत हुई है. 28 लोगों को लापता की श्रेणी में रखा गया है. अभी फिलहाल यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पैचवर्क के लिए भी 34 करोड़ की जरूरत है.

10 दिन की देरी से आया मानसून: प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से बेहद संवेदनशील हिमालय राज्य उत्तराखंड में हर साल मानसून सीजन प्रदेश को प्राकृतिक आपदाओं का दंश देकर जाता है. सामान्य तौर से उत्तराखंड में प्रशासनिक तैयारी के मध्य नजर 15 जून से लेकर 15 सितंबर तक मानसून सीजन माना जाता है. इस दौरान पूरा एडमिनिस्ट्रेशन मानसून सीजन की चुनौतियों से लड़ने के लिए अलग मोड में काम करता है. जिसमें खासतौर से प्रदेश का आपदा प्रबंधन तंत्र डेडीकेटेड होकर काम करता है. इस दौरान सभी लाइन डिपार्मेंट में स्पेशली आपदा के लिए हाथ से एक-एक नोडल अधिकारी तैनात किया जाता है. इस बार के मानसून सीजन की बात करें तो उत्तराखंड में मानसून थोड़ा देरी से आया. 15 जून की जगह 25 जून से लेकर 1 जुलाई तक उत्तराखंड में मानसून की दस्तक देखने को मिली. उसी तरह से जाते-जाते मानसून ने 25 सितंबर से लेकर के 30 सितंबर तक विदाई ली.

मानसून सीजन ने उत्तराखंड में बरपाया कहर (ETV BAHARAT)

मानसून सीजन में 2390 सड़कों और 55 पुलों का नुकसान: इस मानसून सीजन के अगर बात करें तो 10 दिन की देरी से पहुंचे उत्तराखंड में मानसून ने जाते-जाते 30 सितंबर तक खूब कहर बरपाया. इस दौरान प्रदेश में कल 2389 सड़के बंद हुई. जिसमें केदारनाथ का पैदल मार्ग और 14 राष्ट्रीय राजमार्ग भी बंद हुए थे. मानसून सीजन के दौरान ही लगातार कार्रवाई करते हुए इन ज्यादातर सड़कों को फिलहाल टेंपरेरी तौर पर खोल दिया गया है. अगर मोटर पुलों की बात करें तो मानसून सीजन के दौरान प्रदेश में 16 ब्रिज पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए. 39 ब्रिज को आंशिक तौर पर नुकसान पहुंचा. पूरी तरह से क्षतिग्रस्त 16 ब्रिज में से 5 ब्रिज को दोबारा से बना दिया गया है. शेष पुलों की टेंपरेरी व्यवस्था कर दी गई है. आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए ब्रिज में भी मामूली मरम्मत की गई है.

255 करोड़ की जरूरत, मिला केवल 34.62 करोड़: इस मानसून सीजन में प्रदेश में हुए सड़कों के नुकसान की भरपाई और सड़कों को वापस पहले की स्थिति में लाने के लिए लोक निर्माण विभाग को 255.10 करोड़ की आवश्यकता है. लोक निर्माण विभाग मुख्य अभियंता प्लानिंग इंजीनियर ओमप्रकाश ने बताया मानसून सीजन के दौरान बंद हुई सभी 2389 सड़कों को टेंपरेरी तौर पर खोलने के लिए 29.41 करोड़ की जरूरत थी. जिन्हें समय-समय पर खोला गया. इसके अलावा इन्हें स्थाई रूप से पूर्व की अवस्था में लाने के लिए 214.78 करोड़ की जरूरत है. इसी तरह से मॉनसून सीजन के दौरान क्षतिग्रस्त हुए मोटर ब्रिज के टेंपरेरी सॉल्यूशन के लिए 3 करोड़ और परमानेंट सॉल्यूशन के लिए 40 करोड़ की जरूरत है. इस तरह से यदि प्रदेश में यातायात व्यवस्था को यदि टेंपरेरी तौर पर सुचारू करना है तो 42.43 करोड़ और यदि स्थाई तौर से पूर्व की अवस्था में लाने के लिए 255.10 करोड़ की जरूरत है. लोक निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब तक विभाग को एसडीआरएफ मद में 30 करोड़ और अलग-अलग जिलों में जिलाधिकारी के मदों में केवल 4.62 करोड़ प्राप्त हुए हैं.

110 लोगों की मौत, 4383 आवास क्षतिग्रस्त: सरकारी नुकसान के अलावा यदि आम लोगों के नुकसान की बात करें तो इस मानसून सीजन में 82 लोगों को आपदा प्रबंधन विभाग ने मृत घोषित किया है. इसी तरह से 28 ऐसे लोग हैं जिनके सब बरामद नहीं हुये हैं. जिस वजह से इन्हें मृत्यु की श्रेणी में नहीं रखा गया है. इन लोगों की अब बचने की कोई उम्मीद नहीं है इसलिए प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान 110 लोगों की मौत हो चुकी है. जिसमें सबसे ज्यादा 20 मौतें रुद्रप्रयाग जिले में हुई हैं. इसी तरह से 37 लोग इस दौरान घायल भी हुए. आवासीय भवनों की बात करें तो इस मानसून सीजन में 2953 भवनों को आंशिक रूप से नुकसान हुआ है. 405 भवन ऐसे थे जिन्हें ज्यादा नुकसान हुआ. 122 भवन पूरी तरह से जमीदोंज हो गए. आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार नुकसान का लगातार आकलन किया जा रहा है. मुआवजा भी दिया जा रहा है.


पैच क के लिए 34 करोड़ की जरूरत: मानसून सीजन खत्म होते ही सबसे पहले सरकार की प्राथमिकता सड़कों को दुरुस्त करने की होती है. सड़कों के गड्ढे भरने के साथ ही यातायात व्यवस्था को पूरी तरह से पटरी पर लाने का काम किया जाता है. इसके लिए सरकार पैच वर्क का काम करती है. जिसमें अच्छा खासा बजट खर्च होता है. सरकार की तरफ से भले ही प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई को लेकर के बजट की घोषणा कर दी गई है लेकिन लोक निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में 2316 किलोमीटर के 299 पैच वर्क बनाए जाने हैं. जिनमें से 16 करोड़ की धनराशि से 120 किलोमीटर के पैच वर्क पूरे कर दिए गए हैं. अभी शेष पेचवर्क के लिए 34 करोड़ की धनराशि की जरूरत है.

पढे़ं-केदारघाटी आपदा: प्रभावित व्यवसायियों को सीएम धामी ने दी राहत, 9 करोड़ 64 लाख डीबीटी के जरिए किया हस्तांतरण - CM disaster relief fund release

देहरादून: उत्तराखंड में इस साल मानसून सीजन बेहद बेदर्दी भर रहा. इस साल तकरीबन 255 करोड़ की सड़कों का नुकसान हुआ. वहीं, 3483 घरों के नुकसान के साथ ही इस बार मानसून सीजन में 82 लोगों की मौत हुई है. 28 लोगों को लापता की श्रेणी में रखा गया है. अभी फिलहाल यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पैचवर्क के लिए भी 34 करोड़ की जरूरत है.

10 दिन की देरी से आया मानसून: प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से बेहद संवेदनशील हिमालय राज्य उत्तराखंड में हर साल मानसून सीजन प्रदेश को प्राकृतिक आपदाओं का दंश देकर जाता है. सामान्य तौर से उत्तराखंड में प्रशासनिक तैयारी के मध्य नजर 15 जून से लेकर 15 सितंबर तक मानसून सीजन माना जाता है. इस दौरान पूरा एडमिनिस्ट्रेशन मानसून सीजन की चुनौतियों से लड़ने के लिए अलग मोड में काम करता है. जिसमें खासतौर से प्रदेश का आपदा प्रबंधन तंत्र डेडीकेटेड होकर काम करता है. इस दौरान सभी लाइन डिपार्मेंट में स्पेशली आपदा के लिए हाथ से एक-एक नोडल अधिकारी तैनात किया जाता है. इस बार के मानसून सीजन की बात करें तो उत्तराखंड में मानसून थोड़ा देरी से आया. 15 जून की जगह 25 जून से लेकर 1 जुलाई तक उत्तराखंड में मानसून की दस्तक देखने को मिली. उसी तरह से जाते-जाते मानसून ने 25 सितंबर से लेकर के 30 सितंबर तक विदाई ली.

मानसून सीजन ने उत्तराखंड में बरपाया कहर (ETV BAHARAT)

मानसून सीजन में 2390 सड़कों और 55 पुलों का नुकसान: इस मानसून सीजन के अगर बात करें तो 10 दिन की देरी से पहुंचे उत्तराखंड में मानसून ने जाते-जाते 30 सितंबर तक खूब कहर बरपाया. इस दौरान प्रदेश में कल 2389 सड़के बंद हुई. जिसमें केदारनाथ का पैदल मार्ग और 14 राष्ट्रीय राजमार्ग भी बंद हुए थे. मानसून सीजन के दौरान ही लगातार कार्रवाई करते हुए इन ज्यादातर सड़कों को फिलहाल टेंपरेरी तौर पर खोल दिया गया है. अगर मोटर पुलों की बात करें तो मानसून सीजन के दौरान प्रदेश में 16 ब्रिज पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए. 39 ब्रिज को आंशिक तौर पर नुकसान पहुंचा. पूरी तरह से क्षतिग्रस्त 16 ब्रिज में से 5 ब्रिज को दोबारा से बना दिया गया है. शेष पुलों की टेंपरेरी व्यवस्था कर दी गई है. आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए ब्रिज में भी मामूली मरम्मत की गई है.

255 करोड़ की जरूरत, मिला केवल 34.62 करोड़: इस मानसून सीजन में प्रदेश में हुए सड़कों के नुकसान की भरपाई और सड़कों को वापस पहले की स्थिति में लाने के लिए लोक निर्माण विभाग को 255.10 करोड़ की आवश्यकता है. लोक निर्माण विभाग मुख्य अभियंता प्लानिंग इंजीनियर ओमप्रकाश ने बताया मानसून सीजन के दौरान बंद हुई सभी 2389 सड़कों को टेंपरेरी तौर पर खोलने के लिए 29.41 करोड़ की जरूरत थी. जिन्हें समय-समय पर खोला गया. इसके अलावा इन्हें स्थाई रूप से पूर्व की अवस्था में लाने के लिए 214.78 करोड़ की जरूरत है. इसी तरह से मॉनसून सीजन के दौरान क्षतिग्रस्त हुए मोटर ब्रिज के टेंपरेरी सॉल्यूशन के लिए 3 करोड़ और परमानेंट सॉल्यूशन के लिए 40 करोड़ की जरूरत है. इस तरह से यदि प्रदेश में यातायात व्यवस्था को यदि टेंपरेरी तौर पर सुचारू करना है तो 42.43 करोड़ और यदि स्थाई तौर से पूर्व की अवस्था में लाने के लिए 255.10 करोड़ की जरूरत है. लोक निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब तक विभाग को एसडीआरएफ मद में 30 करोड़ और अलग-अलग जिलों में जिलाधिकारी के मदों में केवल 4.62 करोड़ प्राप्त हुए हैं.

110 लोगों की मौत, 4383 आवास क्षतिग्रस्त: सरकारी नुकसान के अलावा यदि आम लोगों के नुकसान की बात करें तो इस मानसून सीजन में 82 लोगों को आपदा प्रबंधन विभाग ने मृत घोषित किया है. इसी तरह से 28 ऐसे लोग हैं जिनके सब बरामद नहीं हुये हैं. जिस वजह से इन्हें मृत्यु की श्रेणी में नहीं रखा गया है. इन लोगों की अब बचने की कोई उम्मीद नहीं है इसलिए प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान 110 लोगों की मौत हो चुकी है. जिसमें सबसे ज्यादा 20 मौतें रुद्रप्रयाग जिले में हुई हैं. इसी तरह से 37 लोग इस दौरान घायल भी हुए. आवासीय भवनों की बात करें तो इस मानसून सीजन में 2953 भवनों को आंशिक रूप से नुकसान हुआ है. 405 भवन ऐसे थे जिन्हें ज्यादा नुकसान हुआ. 122 भवन पूरी तरह से जमीदोंज हो गए. आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार नुकसान का लगातार आकलन किया जा रहा है. मुआवजा भी दिया जा रहा है.


पैच क के लिए 34 करोड़ की जरूरत: मानसून सीजन खत्म होते ही सबसे पहले सरकार की प्राथमिकता सड़कों को दुरुस्त करने की होती है. सड़कों के गड्ढे भरने के साथ ही यातायात व्यवस्था को पूरी तरह से पटरी पर लाने का काम किया जाता है. इसके लिए सरकार पैच वर्क का काम करती है. जिसमें अच्छा खासा बजट खर्च होता है. सरकार की तरफ से भले ही प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई को लेकर के बजट की घोषणा कर दी गई है लेकिन लोक निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में 2316 किलोमीटर के 299 पैच वर्क बनाए जाने हैं. जिनमें से 16 करोड़ की धनराशि से 120 किलोमीटर के पैच वर्क पूरे कर दिए गए हैं. अभी शेष पेचवर्क के लिए 34 करोड़ की धनराशि की जरूरत है.

पढे़ं-केदारघाटी आपदा: प्रभावित व्यवसायियों को सीएम धामी ने दी राहत, 9 करोड़ 64 लाख डीबीटी के जरिए किया हस्तांतरण - CM disaster relief fund release

Last Updated : Oct 2, 2024, 9:23 PM IST
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