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चीन में उत्तराखंड के अंगद ने किया कमाल, Road To UFC मुकाबले में पाया सेमीफाइनल का टिकट - Uttarakhand Fighter Angad Bisht - UTTARAKHAND FIGHTER ANGAD BISHT

Uttarakhand Fighter Angad Bisht उत्तराखंड के फाइटर अंगद बिष्ट ने चीन में रोड टू यूएफसी मैच में फिलीपींस के जॉन अल्मांजा को हराकर सेमीफाइनल में एंट्री कर ली है. सेमीफाइनल में उनका मुकाबला कोरिया के रेसलर चाई डोंग हुन से होगा.

Uttarakhand Fighter Angad Bisht
उत्तराखंड के युवा फाइटर अंगद बिष्ट (PHOTO- Angad_Bisht Instagram Account)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 20, 2024, 4:51 PM IST

Updated : May 20, 2024, 5:03 PM IST

देहरादूनः दुनिया की सबसे खतरनाक मिक्स मार्शल आर्ट प्रतियोगिता यूएफसी में उत्तराखंड के अंगद बिष्ट ने भारत का एक बार फिर से अपना परचम लहराया है. अपने शानदार पैंतरे से अंगद बिष्ट ने चीन में आयोजित Road To UFC मुकाबले में फिलीपींस के जॉन अल्मांजा को हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया है. अंगद रुद्रप्रयाग के रहने वाले हैं और मौजूदा समय में देहरादून में रहकर एक ट्रेनिंग सेंटर चलाते हैं. वह दुनिया के कई हिस्सों में फाइट के जरिए अपना लोहा मनवा चुके हैं.

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चीन में रविवार को फ्लाईवेट कैटेगरी में मुकाबला शुरू हुआ. मुकाबला शुरू होने के पहले मिनट से ही अंगद अपने प्रतिद्वंद्वी पर हावी रहे. अंगद की फुर्ती और शानदार पैंतरे के आगे फिलीपींस के जॉन को मौका तक नहीं मिला. जबकि कहा जाता है कि जॉन के पास अंगद बिष्ट जैसी ही फुर्ती और इस खेल में सामने वाले को चित करने में महारत हासिल है. लेकिन अंगद के सामने जॉन की स्ट्रेटजी नहीं चली और गेम पूरा होने से पहले ही अंगद के वार और फुर्ती को देखकर रेफरी टेक्निकल नॉकआउट फैसला लेकर अंगद के पक्ष में फैसला दिया. इस फाइट को जीतने के बाद अंगद अब सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं. अब उनका मुकाबला कोरिया के रेसलर चाई डोंग हुन से होगा.

क्या होता है टेक्निकल नॉकआउट: फाइट के दौरान रेफरी जब अंदाजा लगा लेता है कि सामने वाला प्रतिद्वंदी दूसरे खिलाड़ी का जवाब तक नहीं दे पा रहा है तो रेफरी बीच में आकर जीतने वाले रेसलर के पक्ष में फैसला देता है. ऐसा न करने पर प्रतिद्वंदी खिलाड़ी की जान पर खतरा भी हो सकता है. इसलिए रेफरी टेक्निकल नॉकआउट हार-जीत का फैसला लेता है.

अंगद ने उत्तराखंड में अपने जैसे कई एथलीट को तैयार किया है. अंगद खुद ब्लैक बेल्ट विजेता हैं. वे अपना कोचिंग सेंटर देहरादून में चलाते हैं. बीते साल बड़ी फाइट जितने वाले दिगंबर भी अगंद के शिष्य है. अंगद बताते हैं कि वे लंबे समय से इसकी तैयारी कर रहे हैं. उन्हें दुख होता है कि आज उत्तराखंड के बहुत से युवा गलत दिशा में जा रहे हैं. काम के नाम पर बस गांव तक ही सिमित रहते हैं.

अंगद बताते हैं कि वे भी बेहद छोटे परिवार से आते हैं. उनके पिता मिठाई की दूकान चलाते हैं. वे डॉक्टर बनना चाहते हैं और इसके लिए मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. लेकिन धीरे-धीरे उनका रुझान रिंग में फाइट करने की तरफ बढ़ने लगा. अगंद बिष्ट कुछ समय पहले ही दुबई में मैट्रिक फाइट नाइट वर्ल्ड चैपियनशिप में जीत हासिल कर चुके हैं.

उन्होंने अब तक 2018 में सुपर फाइट लीग जीती. उसके बाद 2019 में ब्रेव कॉम्बैट फेडरेशन फाइट खिताब अपने नाम किया. 2021 में मैट्रिक्स फाइट नाइट जीती. दुबई में फर्स्ट फ्लाइवेट चैंपियनशिप जीती है. अगंद कहते हैं कि वे अब उत्तराखंड के युवाओं के लिए कुछ करना चाहते हैं. आज उनसे लगभग 60 से अधिक उत्तराखंड के युवा ट्रेनिंग ले रहे हैं. वे कहते हैं, उत्तराखंड के हर युवा की सोच आर्मी और पुलिस की भर्ती तक की सीमित रह चुकी है. अगर वहां भर्ती नहीं होते हैं तो फिर सोचना बंद कर देते हैं या छोटा मोटा काम करने लगते हैं.

ये भी पढ़ेंः MMA वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने के बाद रुद्रप्रयाग पहुंचे अंगद बिष्ट, हुआ जोरदार स्वागत

देहरादूनः दुनिया की सबसे खतरनाक मिक्स मार्शल आर्ट प्रतियोगिता यूएफसी में उत्तराखंड के अंगद बिष्ट ने भारत का एक बार फिर से अपना परचम लहराया है. अपने शानदार पैंतरे से अंगद बिष्ट ने चीन में आयोजित Road To UFC मुकाबले में फिलीपींस के जॉन अल्मांजा को हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया है. अंगद रुद्रप्रयाग के रहने वाले हैं और मौजूदा समय में देहरादून में रहकर एक ट्रेनिंग सेंटर चलाते हैं. वह दुनिया के कई हिस्सों में फाइट के जरिए अपना लोहा मनवा चुके हैं.

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चीन में रविवार को फ्लाईवेट कैटेगरी में मुकाबला शुरू हुआ. मुकाबला शुरू होने के पहले मिनट से ही अंगद अपने प्रतिद्वंद्वी पर हावी रहे. अंगद की फुर्ती और शानदार पैंतरे के आगे फिलीपींस के जॉन को मौका तक नहीं मिला. जबकि कहा जाता है कि जॉन के पास अंगद बिष्ट जैसी ही फुर्ती और इस खेल में सामने वाले को चित करने में महारत हासिल है. लेकिन अंगद के सामने जॉन की स्ट्रेटजी नहीं चली और गेम पूरा होने से पहले ही अंगद के वार और फुर्ती को देखकर रेफरी टेक्निकल नॉकआउट फैसला लेकर अंगद के पक्ष में फैसला दिया. इस फाइट को जीतने के बाद अंगद अब सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं. अब उनका मुकाबला कोरिया के रेसलर चाई डोंग हुन से होगा.

क्या होता है टेक्निकल नॉकआउट: फाइट के दौरान रेफरी जब अंदाजा लगा लेता है कि सामने वाला प्रतिद्वंदी दूसरे खिलाड़ी का जवाब तक नहीं दे पा रहा है तो रेफरी बीच में आकर जीतने वाले रेसलर के पक्ष में फैसला देता है. ऐसा न करने पर प्रतिद्वंदी खिलाड़ी की जान पर खतरा भी हो सकता है. इसलिए रेफरी टेक्निकल नॉकआउट हार-जीत का फैसला लेता है.

अंगद ने उत्तराखंड में अपने जैसे कई एथलीट को तैयार किया है. अंगद खुद ब्लैक बेल्ट विजेता हैं. वे अपना कोचिंग सेंटर देहरादून में चलाते हैं. बीते साल बड़ी फाइट जितने वाले दिगंबर भी अगंद के शिष्य है. अंगद बताते हैं कि वे लंबे समय से इसकी तैयारी कर रहे हैं. उन्हें दुख होता है कि आज उत्तराखंड के बहुत से युवा गलत दिशा में जा रहे हैं. काम के नाम पर बस गांव तक ही सिमित रहते हैं.

अंगद बताते हैं कि वे भी बेहद छोटे परिवार से आते हैं. उनके पिता मिठाई की दूकान चलाते हैं. वे डॉक्टर बनना चाहते हैं और इसके लिए मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. लेकिन धीरे-धीरे उनका रुझान रिंग में फाइट करने की तरफ बढ़ने लगा. अगंद बिष्ट कुछ समय पहले ही दुबई में मैट्रिक फाइट नाइट वर्ल्ड चैपियनशिप में जीत हासिल कर चुके हैं.

उन्होंने अब तक 2018 में सुपर फाइट लीग जीती. उसके बाद 2019 में ब्रेव कॉम्बैट फेडरेशन फाइट खिताब अपने नाम किया. 2021 में मैट्रिक्स फाइट नाइट जीती. दुबई में फर्स्ट फ्लाइवेट चैंपियनशिप जीती है. अगंद कहते हैं कि वे अब उत्तराखंड के युवाओं के लिए कुछ करना चाहते हैं. आज उनसे लगभग 60 से अधिक उत्तराखंड के युवा ट्रेनिंग ले रहे हैं. वे कहते हैं, उत्तराखंड के हर युवा की सोच आर्मी और पुलिस की भर्ती तक की सीमित रह चुकी है. अगर वहां भर्ती नहीं होते हैं तो फिर सोचना बंद कर देते हैं या छोटा मोटा काम करने लगते हैं.

ये भी पढ़ेंः MMA वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने के बाद रुद्रप्रयाग पहुंचे अंगद बिष्ट, हुआ जोरदार स्वागत

Last Updated : May 20, 2024, 5:03 PM IST
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