नई दिल्ली: आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर से जुड़े यूपीएससी विवाद के बीच, आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार ने गुरुवार को दावा किया कि कई उम्मीदवारों ने असफल प्रयासों के बाद अचानक अगले प्रयासों में दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए हैं. इससे उनकी प्रामाणिकता पर गंभीर संदेह पैदा होता है.
कुंभार ने ईटीवी भारत से कहा, 'ऐसे भी उदाहरण हैं जब चयन के बाद व्यक्ति को दिव्यांगता का दर्जा मिल जाता है जो चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है.' आरटीआई कार्यकर्ता कुंभार द्वारा खेडकर के बारे में किए गए कई खुलासों ने भारतीय प्रशासनिक सेवा भर्ती प्रणाली को हिलाकर रख दिया. आरटीआई कार्यकर्ता कुंभार ने दिव्यांगता और अन्य प्रमाण-पत्र जारी करने तथा इस प्रक्रिया में अन्य लोगों की संलिप्तता की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग गठित करने की मांग की है.
कुंभार ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा और उन व्यक्तियों की व्यापक जांच की मांग की, जिन्होंने संभावित रूप से फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग करके अतिरिक्त अंक, नौकरी या पदोन्नति हासिल की है. उन्होंने कहा, 'यूपीएससी, राज्य पीएससी और अन्य समान परीक्षाओं सहित हमारी प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षा प्रक्रियाओं की अखंडता को कमजोर किया जा रहा है.
जाति, दिव्यांगता, खेल और अन्य विशेष श्रेणियों से संबंधित फर्जी प्रमाणपत्रों के दुरुपयोग में चिंताजनक वृद्धि हुई है. इसका उपयोग अनुचित लाभ, जैसे बढ़े हुए अंक या रियायतें प्राप्त करने के लिए किया जाता है. इसके परिणामस्वरूप अंततः अनुचित नौकरी प्राप्त होती है या पदोन्नति मिलती है.' कुंभार ने परीक्षा परिणाम प्रकाशन से पहले ऐसे प्रमाण पत्रों की कठोर जांच की भी मांग की.
कुंभार ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा कि सभी प्रासंगिक दस्तावेजों और अभिलेखों को तत्काल जब्त किया जाए तथा छेड़छाड़ को रोका जाए. इसके अलावा पात्रता मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए गैर-क्रीमी लेयर का दर्जा प्राप्त करने का दावा करने वाले उम्मीदवारों की परिसंपत्तियों और आय घोषणाओं की जांच की जाए.
इस मामले में एक प्रासंगिक मामला पूजा खेडकर का है, जिन्होंने ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर श्रेणी के तहत आईएएस अधिकारी के रूप में अपना पद हासिल किया. उनके पिता के हालिया चुनावी हलफनामे में 40 करोड़ रुपये की आय और संपत्ति का खुलासा हुआ है, जो गैर-क्रीमी लेयर लाभों के लिए उनकी पात्रता के बिल्कुल विपरीत है. उन्होंने कहा,'इसके अलावा मानसिक बीमारी और गंभीर दिव्यांगता के अपने दावों के बावजूद खेडकर ने बार-बार मेडिकल परीक्षाओं से परहेज किया है, फिर भी वह आईएएस के लिए अर्हता प्राप्त करने में सफल रहीं. इस विसंगति के लिए गहन और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है.'