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जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह बोले- जब धरती में पानी नहीं है तो हर घर जल कैसे पहुंचेगा, सरकार झूठ बोलती है - Dr Rajendra Singh Target Government

जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह आगरा पहुंचे. इस दौरान पूरी दुनिया में जल संकट, इसके प्रति सरकार की उदासीनता और इससे उबरने के लिए किए जा रहे उपायों पर उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. पेश हैं प्रमुख अंश...

आगरा में जल पुरुष ने जल संकट पर बातचीत की.
आगरा में जल पुरुष ने जल संकट पर बातचीत की. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 14, 2024, 11:03 AM IST

Updated : May 14, 2024, 3:41 PM IST

जल संकट पर जल पुरुष ने रखी अपनी बात. (VIDEO Credit; ETV Bharat)

आगरा : उजड़ते जंगल और कम होते जल स्तर को लेकर हर कोई चिंतित है. यही वजह है कि पूरी दुनिया में जल संकट गहराता जा रहा है. भूजल रसातल में जा रहा है. कुएं, हैंडपंप सूख रहे हैं. गर्मी में नदियों का जलस्तर बेहद कम हो जा रहा है. जल स्तर की चुनौतियां, इस दिशा में सरकार की उदासीनता समेत कई मुद्दों पर मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

शहर पहुंचे जल पुरुष ने कहा कि पानी को लेकर युद्ध शुरू हो गए हैं. आज दुनिया के तमाम देशों में पानी को लेकर युद्ध हो रहे हैं. इसमें चाहे सीरिया का युद्ध हो, इजरायल का हो या फिलिस्तीन का. हर जगह ऐसे हालात हैं. मैंने खुद जाकर हकीकत देखी है. भारत में भी तेजी से जल संकट गहरा रहा है. केंद्र सरकार झूठ बोलती है. जब पानी नहीं है तो हर घर नल में जल कैसे और कहां से पहुंचेगा ?.

21 वीं शताब्दी जल संकट की शताब्दी है : जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह ने बताया कि 21 वीं शताब्दी जल संकट की शताब्दी है. पूरी दुनिया में लोग बेपानी होकर उजड़ रहे हैं. जब ये यूरोप के शहरों में जाते हैं तो यूरोपियन इनको क्लाइमेटिक रिफ्यूजी बोलते हैं. मैंने सन 2009 में ये कहा था कि, दुनिया को यदि जल संकट से बचना है तो हम सामुदायिक जल विकेंद्रित जल संरक्षण का काम करें. जब जल भूमि में मिलता है तो वहां पर हरियाली बढ़ती है. ये हरियाली ही वातावरण से कार्बन को शोषित करके भूमि में जमा करती है. इससे वातावरण में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता है.

उद्योगपति नहीं समझ रहे परेशानी : जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की ये बात समझने के लिए भारत के उद्योगपति और बड़े लोग तैयार नहीं हैं. वो इस समय आर्थिक ढांचा बढ़ाने के नाम पर केवल धरती और प्रकृति का शोषण कर रहे हैं. इससे देश में जल का संकट बढ़ता जा रहा है. भारत में सैकड़ों जगहों पर लोगों ने अपने प्रयास से पानी का इंतजाम खुद किया है. मैंने खुद 14800 डैम बनाए हैं. कभी किसी सरकार से आज तक एक पैसा नहीं लिया.

कई नदियों को किया जिंदा : जल पुरुष ने कहा कि मैंने लोगों को तैयार करके 10800 वर्ग किलोमीटर में 14800 बांध बनाकर नदियों को जिंदा किया है. जब नदियां जिंदा हुईं तो जो लोग चंबल में बागी हो गए थे उन्होंने बंदूक डाल दी. नदियों के पानी से खेती करने लगे. हमारी सरकारें हमें सपना दिखाती हैं. सरकार झूठ बोलती है. धरती का पेट 72 प्रतिशत खाली हो गया है.

सीरिया का युद्ध भी पानी का : जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह बताते हैं कि पानी के लिए तीसरा विश्व युद्ध होगा. पूरी दुनिया में पानी के लिए विश्व युद्ध हो रहे हैं. सीरिया भी इनमें शामिल है. टर्की ने यूफ्रेट्स नदी पर छह बड़े बांध बनाकर पूरा पानी रोक लिया. सीरिया बेपानी हो गया. यह दुनिया का सबसे पुराना देश था. यहां सिंचाई से खेती होती थी. वे उजड़ कर बगदाद की ओर जाने लगे. जब बगदादियों ने हमला किया तो मुड़कर जर्मनी की ओर जाने लगे. जर्मनी के लोगों ने चांसलर को चुनाव में इनके चलते ही हरा दिया.

फिलिस्तीन बेपानी हुआ तो युद्ध शुरू हुआ : जल पुरुष ने कहा कि ऐसे ही इजरायल और फिलिस्तीन का युद्ध भी विशुद्ध रूप से पानी का युद्ध है. यहां जॉर्डन नदी है. यह तीन देश इजरायल, जॉर्डन और फिलिस्तीन की नदी है. इस नदी से जॉर्डन और इजरायल पानी ले रहे हैं. मगर, फिलिस्तीन नीचे की ओर है. इसलिए, इजरायल ने मिनिस्ट्री आफ डिफेंस को सौंप दिया. इससे फिलिस्तीन बेपानी हो गया, वहां के नौजवानों ने संगठित होकर हमला किया. इसी तरह का युद्ध सूडान में हैं. साउथ सूडान में हैं.

जल संचय के लिए जन जागरण नहीं : जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि देश में जल का संकट बढ़ रहा है. जल संचय के कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं. जन जागरूकता और जन जागरण नहीं है. इसकी वजह से वर्षा जल का संचय नहीं हो रहा है. नदियों में भी लगातार जल स्तर गिर रहा है. जल संचय न कोई सरकार कर सकती है और न ही कोई संत कर सकता है. भारत में जल संचय का काम साझा होता था. इसलिए, हम सबको मिलकर करना होगा.

फतेहपुर से नहीं लिया सबक : जल पुरुष ने बताया कि, आगरा की बात करें तो यहां पर भी पानी को लेकर हालात खराब हैं. यमुना सूखी है. आगरा मुगलों की राजधानी रही. आगरा के पास फतेहपुर सीकरी थी. मुगल बादशाह अकबर ने यहां राजधानी बनाई थी. मगर, पानी की कमी चलते अकबर ने दोबारा अपनी राजधानी आगरा में बनाई. आगरा का भूजल स्तर हर साल नीचे जा रहा है. जिला डार्क जोन की ओर बढ़ रहा है. यमुना भी दम तोड़ रही है.

यह भी पढ़ें : पीएम मोदी नामांकन LIVE: दशाश्वमेध घाट पर गंगा पूजन के बाद क्रूज से काल भैरव मंदिर की ओर बढ़े पीएम मोदी

जल संकट पर जल पुरुष ने रखी अपनी बात. (VIDEO Credit; ETV Bharat)

आगरा : उजड़ते जंगल और कम होते जल स्तर को लेकर हर कोई चिंतित है. यही वजह है कि पूरी दुनिया में जल संकट गहराता जा रहा है. भूजल रसातल में जा रहा है. कुएं, हैंडपंप सूख रहे हैं. गर्मी में नदियों का जलस्तर बेहद कम हो जा रहा है. जल स्तर की चुनौतियां, इस दिशा में सरकार की उदासीनता समेत कई मुद्दों पर मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

शहर पहुंचे जल पुरुष ने कहा कि पानी को लेकर युद्ध शुरू हो गए हैं. आज दुनिया के तमाम देशों में पानी को लेकर युद्ध हो रहे हैं. इसमें चाहे सीरिया का युद्ध हो, इजरायल का हो या फिलिस्तीन का. हर जगह ऐसे हालात हैं. मैंने खुद जाकर हकीकत देखी है. भारत में भी तेजी से जल संकट गहरा रहा है. केंद्र सरकार झूठ बोलती है. जब पानी नहीं है तो हर घर नल में जल कैसे और कहां से पहुंचेगा ?.

21 वीं शताब्दी जल संकट की शताब्दी है : जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह ने बताया कि 21 वीं शताब्दी जल संकट की शताब्दी है. पूरी दुनिया में लोग बेपानी होकर उजड़ रहे हैं. जब ये यूरोप के शहरों में जाते हैं तो यूरोपियन इनको क्लाइमेटिक रिफ्यूजी बोलते हैं. मैंने सन 2009 में ये कहा था कि, दुनिया को यदि जल संकट से बचना है तो हम सामुदायिक जल विकेंद्रित जल संरक्षण का काम करें. जब जल भूमि में मिलता है तो वहां पर हरियाली बढ़ती है. ये हरियाली ही वातावरण से कार्बन को शोषित करके भूमि में जमा करती है. इससे वातावरण में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता है.

उद्योगपति नहीं समझ रहे परेशानी : जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की ये बात समझने के लिए भारत के उद्योगपति और बड़े लोग तैयार नहीं हैं. वो इस समय आर्थिक ढांचा बढ़ाने के नाम पर केवल धरती और प्रकृति का शोषण कर रहे हैं. इससे देश में जल का संकट बढ़ता जा रहा है. भारत में सैकड़ों जगहों पर लोगों ने अपने प्रयास से पानी का इंतजाम खुद किया है. मैंने खुद 14800 डैम बनाए हैं. कभी किसी सरकार से आज तक एक पैसा नहीं लिया.

कई नदियों को किया जिंदा : जल पुरुष ने कहा कि मैंने लोगों को तैयार करके 10800 वर्ग किलोमीटर में 14800 बांध बनाकर नदियों को जिंदा किया है. जब नदियां जिंदा हुईं तो जो लोग चंबल में बागी हो गए थे उन्होंने बंदूक डाल दी. नदियों के पानी से खेती करने लगे. हमारी सरकारें हमें सपना दिखाती हैं. सरकार झूठ बोलती है. धरती का पेट 72 प्रतिशत खाली हो गया है.

सीरिया का युद्ध भी पानी का : जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह बताते हैं कि पानी के लिए तीसरा विश्व युद्ध होगा. पूरी दुनिया में पानी के लिए विश्व युद्ध हो रहे हैं. सीरिया भी इनमें शामिल है. टर्की ने यूफ्रेट्स नदी पर छह बड़े बांध बनाकर पूरा पानी रोक लिया. सीरिया बेपानी हो गया. यह दुनिया का सबसे पुराना देश था. यहां सिंचाई से खेती होती थी. वे उजड़ कर बगदाद की ओर जाने लगे. जब बगदादियों ने हमला किया तो मुड़कर जर्मनी की ओर जाने लगे. जर्मनी के लोगों ने चांसलर को चुनाव में इनके चलते ही हरा दिया.

फिलिस्तीन बेपानी हुआ तो युद्ध शुरू हुआ : जल पुरुष ने कहा कि ऐसे ही इजरायल और फिलिस्तीन का युद्ध भी विशुद्ध रूप से पानी का युद्ध है. यहां जॉर्डन नदी है. यह तीन देश इजरायल, जॉर्डन और फिलिस्तीन की नदी है. इस नदी से जॉर्डन और इजरायल पानी ले रहे हैं. मगर, फिलिस्तीन नीचे की ओर है. इसलिए, इजरायल ने मिनिस्ट्री आफ डिफेंस को सौंप दिया. इससे फिलिस्तीन बेपानी हो गया, वहां के नौजवानों ने संगठित होकर हमला किया. इसी तरह का युद्ध सूडान में हैं. साउथ सूडान में हैं.

जल संचय के लिए जन जागरण नहीं : जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि देश में जल का संकट बढ़ रहा है. जल संचय के कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं. जन जागरूकता और जन जागरण नहीं है. इसकी वजह से वर्षा जल का संचय नहीं हो रहा है. नदियों में भी लगातार जल स्तर गिर रहा है. जल संचय न कोई सरकार कर सकती है और न ही कोई संत कर सकता है. भारत में जल संचय का काम साझा होता था. इसलिए, हम सबको मिलकर करना होगा.

फतेहपुर से नहीं लिया सबक : जल पुरुष ने बताया कि, आगरा की बात करें तो यहां पर भी पानी को लेकर हालात खराब हैं. यमुना सूखी है. आगरा मुगलों की राजधानी रही. आगरा के पास फतेहपुर सीकरी थी. मुगल बादशाह अकबर ने यहां राजधानी बनाई थी. मगर, पानी की कमी चलते अकबर ने दोबारा अपनी राजधानी आगरा में बनाई. आगरा का भूजल स्तर हर साल नीचे जा रहा है. जिला डार्क जोन की ओर बढ़ रहा है. यमुना भी दम तोड़ रही है.

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Last Updated : May 14, 2024, 3:41 PM IST
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