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केदारनाथ में कूड़ा बना मुसीबत, लैंडफिल में डाला जा रहा कई टन अनट्रिडेट कचरा, आरटीआई से खुलासा - KEDARNATH DHAM GARBAGE PROBLEM

हिमालय की गोद में बसे केदारनाथ धाम में ठोस कचरा प्रबंधन बना मुसीबत, लैंडफिल में डाला जा रहा कई टन कचरा

KEDARNATH DHAM GARBAGE PROBLEM
केदारनाथ धाम में कचरा बड़ी समस्या (फोटो- ETV Bharat GFX)
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By PTI

Published : Nov 8, 2024, 8:44 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के चार धाम में शुमार केदारनाथ धाम में कचरा बड़ी समस्या बन गया है. आलम ये है कि मंदिर के आसपास लैंडफिल साइटों पर कई टन अपशिष्ट कचरा डाला जा रहा है, जिससे हिमालयी के पर्यावरण पर खतरा मंडरा रहा है. जिसे लेकर पर्यावरणविदों ने गहरी चिंता जाहिर की है.

केदारनाथ मंदिर के पास दो लैंडफिल में डाला जा रहा कचरा: दरअसल, नोएडा स्थित एक पर्यावरणविद् ने आरटीआई यानी सूचना के अधिकार के तहत चौंकाने वाली जानकारी निकाली है. जिसमें पता चला है कि केदारनाथ में साल 2022 और 2024 के बीच 49.18 टन अप्रसंस्कृत कचरा (Untreated Waste) मंदिर के पास दो लैंडफिल साइटों पर डाला गया.

वहीं, आरटीआई में मांगी गई जानकारी के जवाब में उत्तराखंड सरकार ने बताया है कि इस अवधि के दौरान क्षेत्र में गैर-प्रसंस्कृत कचरे में भी इजाफा देखा गया. साल 2022 में केदारनाथ में 13.2 टन अनुपचारित कचरा निकला. जबकि, साल 2023 में 18.48 टन और इस साल यानी 2024 में अब तक 17.5 टन कचरा निकल चुका है.

केदारनाथ में जमा हुआ 23.3 टन अकार्बनिक कचरा: इसके अलावा हिमालयी के संवेदनशील क्षेत्र में इस अवधि में 23.3 टन अकार्बनिक कचरा भी जमा हुआ. हालांकि, इनका रिसायकल कर दिया गया. इसकी जानकारी केदारनाथ नगर पंचायत के जन सूचना अधिकारी ने अमित गुप्ता ने आरटीआई के जवाब में दी है.

केदारनाथ नगर पंचायत के जन सूचना अधिकारी ने अमित गुप्ता का कहना था कि आरटीआई की जानकारी में उत्पादित कचरे की मात्रा और जिस तरह से इसे अनुपचारित छोड़ दिया गया. वो चौंकाने वाला है. जो साबित करता है कि केदारनाथ में कोई उचित कचरा प्रबंधन प्रणाली नहीं है.

पीएम मोदी 'मन की बात' में कर चुके इसका जिक्र: अमित गुप्ता ने कहा कि केदारनाथ मंदिर करीब 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. जहां ग्लेशियर भी है. केदारनाथ में उचित कचरा प्रबंधन प्रणाली की कमी पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम में भी सामने आई थी. फिर भी अधिकारियों ने प्लास्टिक कचरे को निचले इलाके में ले जाने और इसके निस्तारण को लेकर कोई काम नहीं किया.

वहीं, आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा कि अगर हालात इसी तरह से चलते रहे तो साल 2013 की आपदा जैसी एक और त्रासदी से इनकार नहीं किया जा सकता है. चिंता की बात ये है कि आरटीआई के जवाब में दावा किया गया है कि इस अवधि के दौरान गैर-जिम्मेदाराना तरीके से कचरा निपटान के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई या फिर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

एनजीटी और एनएमसीजी ले चुके संज्ञान: अमित गुप्ता ने कहा 'मैं खुद पिछले दो सालों से केदारनाथ में कचरा मुद्दे पर अधिकारियों को पत्र लिख रहा हूं. कम से कम आधा दर्जन शिकायतें केवल उन्होंने ही दर्ज कराई है. उन्होंने आगे कहा कि 'एनजीटी और एनएमसीजी ने भी मेरी शिकायतों पर ध्यान दिया है. मेरी चिंता को साझा करते हुए उन्होंने अधिकारियों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कर नाजुक हिमालय में स्थित पवित्र स्थान को अनुपचारित कचरे से मुक्त करने के निर्देश दिया है. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने भी रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन को पत्र लिखकर केदारनाथ मंदिर के पास बहने वाली मंदाकिनी नदी के बढ़ते प्रदूषण स्तर को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा है.'

केदारनाथ में मंदाकिनी नदी हो रही प्रदूषित: एनएमसीजी ने जिला प्रशासन को ये निर्देश अमित गुप्ता के आरटीआई के आधार पर दायर की गई शिकायत पर जारी किए हैं. इस शिकायत में ये भी खुलासा हुआ है कि केदारनाथ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कमी की वजह से गंगा की सहायक नदी मंदाकिनी में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. इतना ही नहीं गंदगी और कचरा सीधे इसमें छोड़ा जा रहा है.

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केदारनाथ मंदिर के पास दो लैंडफिल में डाला जा रहा कचरा: दरअसल, नोएडा स्थित एक पर्यावरणविद् ने आरटीआई यानी सूचना के अधिकार के तहत चौंकाने वाली जानकारी निकाली है. जिसमें पता चला है कि केदारनाथ में साल 2022 और 2024 के बीच 49.18 टन अप्रसंस्कृत कचरा (Untreated Waste) मंदिर के पास दो लैंडफिल साइटों पर डाला गया.

वहीं, आरटीआई में मांगी गई जानकारी के जवाब में उत्तराखंड सरकार ने बताया है कि इस अवधि के दौरान क्षेत्र में गैर-प्रसंस्कृत कचरे में भी इजाफा देखा गया. साल 2022 में केदारनाथ में 13.2 टन अनुपचारित कचरा निकला. जबकि, साल 2023 में 18.48 टन और इस साल यानी 2024 में अब तक 17.5 टन कचरा निकल चुका है.

केदारनाथ में जमा हुआ 23.3 टन अकार्बनिक कचरा: इसके अलावा हिमालयी के संवेदनशील क्षेत्र में इस अवधि में 23.3 टन अकार्बनिक कचरा भी जमा हुआ. हालांकि, इनका रिसायकल कर दिया गया. इसकी जानकारी केदारनाथ नगर पंचायत के जन सूचना अधिकारी ने अमित गुप्ता ने आरटीआई के जवाब में दी है.

केदारनाथ नगर पंचायत के जन सूचना अधिकारी ने अमित गुप्ता का कहना था कि आरटीआई की जानकारी में उत्पादित कचरे की मात्रा और जिस तरह से इसे अनुपचारित छोड़ दिया गया. वो चौंकाने वाला है. जो साबित करता है कि केदारनाथ में कोई उचित कचरा प्रबंधन प्रणाली नहीं है.

पीएम मोदी 'मन की बात' में कर चुके इसका जिक्र: अमित गुप्ता ने कहा कि केदारनाथ मंदिर करीब 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. जहां ग्लेशियर भी है. केदारनाथ में उचित कचरा प्रबंधन प्रणाली की कमी पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम में भी सामने आई थी. फिर भी अधिकारियों ने प्लास्टिक कचरे को निचले इलाके में ले जाने और इसके निस्तारण को लेकर कोई काम नहीं किया.

वहीं, आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा कि अगर हालात इसी तरह से चलते रहे तो साल 2013 की आपदा जैसी एक और त्रासदी से इनकार नहीं किया जा सकता है. चिंता की बात ये है कि आरटीआई के जवाब में दावा किया गया है कि इस अवधि के दौरान गैर-जिम्मेदाराना तरीके से कचरा निपटान के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई या फिर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

एनजीटी और एनएमसीजी ले चुके संज्ञान: अमित गुप्ता ने कहा 'मैं खुद पिछले दो सालों से केदारनाथ में कचरा मुद्दे पर अधिकारियों को पत्र लिख रहा हूं. कम से कम आधा दर्जन शिकायतें केवल उन्होंने ही दर्ज कराई है. उन्होंने आगे कहा कि 'एनजीटी और एनएमसीजी ने भी मेरी शिकायतों पर ध्यान दिया है. मेरी चिंता को साझा करते हुए उन्होंने अधिकारियों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कर नाजुक हिमालय में स्थित पवित्र स्थान को अनुपचारित कचरे से मुक्त करने के निर्देश दिया है. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने भी रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन को पत्र लिखकर केदारनाथ मंदिर के पास बहने वाली मंदाकिनी नदी के बढ़ते प्रदूषण स्तर को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा है.'

केदारनाथ में मंदाकिनी नदी हो रही प्रदूषित: एनएमसीजी ने जिला प्रशासन को ये निर्देश अमित गुप्ता के आरटीआई के आधार पर दायर की गई शिकायत पर जारी किए हैं. इस शिकायत में ये भी खुलासा हुआ है कि केदारनाथ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कमी की वजह से गंगा की सहायक नदी मंदाकिनी में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. इतना ही नहीं गंदगी और कचरा सीधे इसमें छोड़ा जा रहा है.

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