समस्तीपुर : बिहार के समस्तीपुर में एक ऐसा शिवालय है जहां गर्भगृह में शिवलिंग हैं तो ठीक दो हाथ की दूरी पर एक मुस्लिम महिला की मजार है. गंगा-जमुनी तहजीब का ये नजारा बेहद ही दुर्लभ है. इस स्थान का नाम है खुदनेश्वर धाम. मजार और शिवलिंग का प्राकट्य लगभग एक साथ ही है. इसकी कथा भी काफी रोचक और प्रेरणादायी है.
शिवालय के गृर्भगृह में मजार : शिवलिंग के बगल में जिसकी मजार है, वह एक मुस्लिम महिला थी, जिसका नाम खुदनी बीबी था. मंदिर के पुजारी के मुताबिक खुदनी बीबी रोज गायों को चराने के लिए जंगल में जाया करती थीं. लेकिन दिनभर गायों को चराने के बाद, जहां आज शिवलिंग है उस पत्थर पर गाय का सारा दूध झड़ जाता था. या कहिए दुग्धाभिषेक होता था. यह प्रक्रिया रोज शाम को 5 बजे होती थी.
प्रेरक है खुदनेश्वर महादेव की कथा : एक दिन खुदनी बीबी के परिवार वालों ने महिला पर आरोप लगाया कि ''गाय रोज लेकर जंगल चराने जाती हो लेकिन गाय दूध क्यों नहीं दे रही? क्या कहीं तुम दूध को बेच देती हो या फिर खैरात बांट देती हो?'' खुदनी बीबी पूछे गए सवाल का जवाब न देकर चुप रहती हैं. क्योंकि उनको स्वप्न आया था कि अगर इसका जवाब उन्होंने दिया तो वह काल ग्रसित (मर जाना) हो जाएंगी.
जब हुआ चमत्कार : अगले दिन फिर यही सवाल पूछे जाने पर उन्होंने पूरा कहानी घर वालों को बता दिया. रात में जब उनके प्राण छूट रहे थे तो उन्होंने अपने माता-पिता को बुलाया और कहा कि ''मैं जहां पर गाय चराकर आती थी और गायें दुग्धाभिषेक करतीं थीं वहीं पर मुझे दफना देना.'' ये कहते ही खुदनी बीबी का शरीर छूट गया. परिवार के लोगों ने उनकी इच्छानुरूप उसे उसी पत्थर के पास दफनाने के लिए जैसे ही फावड़ा चलाया. शिवलिंग पर फावड़ा लगते ही विस्फोट के साथ चमत्कार हुआ.
इबादत और पूजा एक साथ : गांव वालों ने पूरा घटनाक्रम हिन्दू भाइयों को बताया, हिन्दू वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वहां पर एक अलौकिक पत्थर है जो शिवलिंग की तरह है. उस पत्थर के आकर्षण को देखते हुए वहां एक शिवलिंग का गर्भगृह तैयार किया गया. खुदनी बीबी के नाम पर ही इस मंदिर का नाम खुदनेश्वर धाम पड़ा. ये ऐसी जगह है जहां इबादत और प्रार्थना दोनों एक ही जगह पर होती है.
हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है ये मंदिर : भाईचारे की मिसाल देखना हो तो मोरवा के खुदनेश्वर धाम आइए. यहां पर मुस्लिम और हिन्दू भाई मिलकर एक साथ बिना किसी भेदभाव के रहते हैं. सावन में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ काफी बढ़ जाती है. यह तस्वीर तब और भी जरूरी हो जाती है जब कांवड़ पथ के नाम पर पहचान उजागर करने की 'सियासी दुकान' सजी हुई है. खुदनेश्वर धाम ऐसे लोग और सोच वालों को बड़ा संदेश देते दिखाई दे रहे हैं.
दो समुदायों की आस्था का नजीर है खुदनेश्वर धाम : मंदिर के पास पूजा का सामान बेचने वाले अब्दुल सत्तार का मानना है कि इस मंदिर को हिन्दू और मुस्लिम एक ही नजर से देखते हैं. खुदनेश्वर धाम मंदिर हिन्दू और मुस्लिम दोनों की आस्था का केंद्र है. हालांकि उन्हें मलाल इस बात का है कि सरकार ने मंदिर परिसर और इलाके के विकास के लिए कुछ नहीं किया.
सरकारी उपेक्षा का शिकार हुआ मंदिर क्षेत्र : देश व बिहार में ख़ास स्थान रखने वाले इस मंदिर को लेकर मंदिर बोर्ड के अध्यक्ष व ग्रामीणों की माने तो सरकारी तंत्र हो या फिर हमारे जनप्रतिनिधि, सब उदासीन बने हुए हैं. बिहार के मुख्यमंत्री ने भी इस स्थल के विकास का वादा किया था लेकिन लेकिन धरातल पर उसका कोई ख़ास असर नहीं दिख रहा है. वहीं स्थानीय राजद के विधायक हो या फिर इस संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के सांसद, मंदिर के विकास को लेकर सभी की नीयत पर सवाल उठाया जा रहा.
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