नई दिल्ली: कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोमवार को लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल पेश करेंगे. सूत्रों से खबर मिली है कि इस बिल को पहले चर्चा और आम सहमति बनाने के लिए जेपीसी (JPC) के पास भेजा जाएगा. जेपीसी सभी दलों के नेताओं संग चर्चा करेगी उसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा. अर्जुन राम मेघवाल भारत के संविधान में और संशोधन करने के लिए विधेयक पेश करने की अनुमति के लिए प्रस्ताव करेंगे.
सूत्रों से पता चला है कि पहला संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है, तथा दूसरा विधेयक दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी में विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है. इस बीच, केंद्रीय मंत्री मेघवाल संघ राज्य क्षेत्र कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 भी पेश करेंगे ताकि संघ राज्य क्षेत्र अधिनियम, 1963, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में और संशोधन करने के लिए विधेयक पेश किया जा सके.
Union Law and Justice Minister Arjun Ram Meghwal to introduce 'The Constitution (One Hundred and Twenty Ninth Amendment) Bill, 2024 on Monday, December 16 in Lok Sabha
— ANI (@ANI) December 14, 2024
First amendment bill to conduct simultaneous elections of Lok Sabha and State assemblies and another bill to… pic.twitter.com/i9K8sdHMSr
विपक्ष हुआ हमलावर
कई विपक्षी नेताओं ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' प्रस्ताव पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह अव्यावहारिक है और संघवाद पर हमला है. सीनियर कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर कोई राज्य सरकार छह महीने में गिर जाती है या अपना बहुमत खो देती है, तो क्या राज्य को बाकी के 4.5 साल बिना सरकार के रहना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य में चुनाव 6 महीने से ज़्यादा नहीं टाले जा सकते. अगर वन नेशन वन इलेक्शन की शुरुआत हो रही है और किसी राज्य में 6 महीने में सरकार गिर जाती है, अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है, तो क्या हम 4.5 साल तक बिना सरकार के रह पाएंगे? इस देश में ऐसा संभव नहीं है. पहले सरकारें 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा करती थीं, लेकिन आज कहीं सरकारें 2.5 साल में गिर जाती हैं तो कहीं 3 साल में.
वहीं, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की मांग की और कहा कि यह विधेयक लोकतंत्र को कमजोर करता है. जयराम रमेश ने कहा कि यह विधेयक संसद में पेश किया जाएगा और हम चाहते हैं कि इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जाए, जो इस पर चर्चा करेगी. पिछले साल पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की एक राष्ट्र, एक चुनाव समिति को चार पन्नों का पत्र भेजकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थिति स्पष्ट की थी, जिसमें कहा गया था कि हम इस विधेयक का विरोध करते हैं.
पूर्व राष्ट्रपति ने की समिति की अध्यक्षता
बता दें, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस उच्चस्तरीय समिति की अध्यक्षता की है. समिति ने जानकारी दी कि करीब 32 राजनीतिक दलों ने इस बिल को लेकर अपना समर्थन दिया है. वहीं, 15 पार्टियों ने विरोध जताया है. इससे पहले 12 दिसंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' विधेयक को मंजूरी दे दी थी, जिससे इसे संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया. हालांकि, संसद में पेश किए जाने से पहले ही इस विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहस शुरू हो गई थी.
बता दें, इस वर्ष सितम्बर में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य 100 दिनों के भीतर लोकसभा और विधानसभा चुनाव, शहरी निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराना है.