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भारत बंद के आह्वान के बीच केंद्रीय अर्जुन राम मेघवाल का कांग्रेस पर हमला, कहा- राहुल और खड़गे भ्रम फैला रहे - Bharat bandh - BHARAT BANDH

21 अगस्त को तथाकथित भारत बंद के आह्वान के बीच केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और राज्य मंत्री अविनाश गहलोत ने कांग्रेस पर हमला बोला. मेघवाल ने जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि क्रीमीलेयर सुप्रीम कोर्ट में एक ऑब्जरवेशन था, निर्णय नहीं. अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से अपील है कि वो विपक्ष के भ्रम में नहीं आएं.

अर्जुन राम मेघवाल और अविनाश गहलोत
अर्जुन राम मेघवाल और अविनाश गहलोत (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 20, 2024, 3:24 PM IST

अर्जुन राम मेघवाल और अविनाश गहलोत (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर : देशभर में आरक्षण के मुद्दे पर एक बार फिर भारत बंद का आह्वान किया गया है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग में से क्रीमीलेयर को बाहर करने और इस वर्ग का उपवर्गीकरण के निर्णय के विरोध में 21 अगस्त को सोशल मीडिया पर भारत बंद ट्रेंड कर रहा है. भारत बंद के इस संदेश को लेकर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और राज्य सरकार के सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने विपक्ष को निशाने पर लिया. मेघवाल ने कहा कि क्रीमीलेयर सुप्रीम कोर्ट में एक ऑब्जरवेशन था, निर्णय और ऑब्जरवेशन अलग-अलग होता है. विपक्ष भ्रम फैला रहा है. राहुल गांधी और खड़गे जनभूझकर विवाद फैला रहे हैं. अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से अपील है कि वो विपक्ष के भ्रम में नहीं आएं. सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार संविधान की अवधारणा के खिलाफ कोई काम नहीं करेगी.

विपक्ष फैला रहा भ्रम : केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया वो कांग्रेस के समय से चला आ रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने अब कहा है कि भारत के संविधान के अनुसार आर्टिकल 341 में अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण या समावेश लिखा हुआ है. इसमें राज्य चाहे तो सब कैटेगरी कर सकता है. यह राज्य को अधिकार दिया है. इसमें कंडीशन है कि राज्य ऐसा करने से पहले डेटा इकट्ठा करेंगे. यह तो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हिस्सा है, लेकिन विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने इसको लेकर विवाद खड़ा कर दिया है. कोर्ट में एक ऑब्जरवेशन होता है, दूसरा निर्णय होता है.ऑब्जेक्शन को टिप्पणी कहते हैं और निर्णय को फैसला कहते हैं. क्रीमीलेयर मामला ऑब्जरवेशन है, निर्णय नहीं है. विपक्ष इसके जरिए भ्रम फैला रहा है. आरक्षण को लेकर कांग्रेस ने पहले भी गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन अनुसूचित और जनजाति वर्ग से अपील करता हूं कि वह विपक्ष के बहकावे में नहीं आएं. भारत सरकार संविधान के विपरीत कोई निणर्य नहीं करने वाली.

पढ़ें. भारत बंद के आह्वान का विरोध करने वालों की सुरक्षा की उठी मांग, समता आंदोलन समिति ने सीएम को लिखा खत - Bharat Bandh

संविधान भी वर्ग के अंदर वर्गीकरण की बात नहीं करता : राज्य सरकार में सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री से बातचीत हुई है. इसके साथ ही एसटी एससी संगठनों से भी बात हो रही है. सब से भ्रम में नहीं आने की अपील की गई है. केंद्र सरकार का जो निर्णय होगा हम उसके साथ रहेंगे. संविधान किसी भी वर्ग के अंदर वर्गीकरण के लिए नहीं कहता है. हमारी सरकार एसटी-एससी वर्ग के लोगों के साथ, उनकी भावनाओं की कदर करती है. यह तय मान कर चलिए कि हमारी सरकार संविधान की अवधारणा के खिलाफ कोई काम नहीं करेगी. बता दें कि अनुसूचित जाति,जनजाति वर्ग में से क्रीमीलेयर को बाहर करने और इस वर्ग का उपवर्गीकरण के मामले को लेकर 21 अगस्त को सोशल मीडिया पर भारत बंद संदेश चल रहा है.

अर्जुन राम मेघवाल और अविनाश गहलोत (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर : देशभर में आरक्षण के मुद्दे पर एक बार फिर भारत बंद का आह्वान किया गया है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग में से क्रीमीलेयर को बाहर करने और इस वर्ग का उपवर्गीकरण के निर्णय के विरोध में 21 अगस्त को सोशल मीडिया पर भारत बंद ट्रेंड कर रहा है. भारत बंद के इस संदेश को लेकर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और राज्य सरकार के सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने विपक्ष को निशाने पर लिया. मेघवाल ने कहा कि क्रीमीलेयर सुप्रीम कोर्ट में एक ऑब्जरवेशन था, निर्णय और ऑब्जरवेशन अलग-अलग होता है. विपक्ष भ्रम फैला रहा है. राहुल गांधी और खड़गे जनभूझकर विवाद फैला रहे हैं. अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से अपील है कि वो विपक्ष के भ्रम में नहीं आएं. सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार संविधान की अवधारणा के खिलाफ कोई काम नहीं करेगी.

विपक्ष फैला रहा भ्रम : केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया वो कांग्रेस के समय से चला आ रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने अब कहा है कि भारत के संविधान के अनुसार आर्टिकल 341 में अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण या समावेश लिखा हुआ है. इसमें राज्य चाहे तो सब कैटेगरी कर सकता है. यह राज्य को अधिकार दिया है. इसमें कंडीशन है कि राज्य ऐसा करने से पहले डेटा इकट्ठा करेंगे. यह तो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हिस्सा है, लेकिन विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने इसको लेकर विवाद खड़ा कर दिया है. कोर्ट में एक ऑब्जरवेशन होता है, दूसरा निर्णय होता है.ऑब्जेक्शन को टिप्पणी कहते हैं और निर्णय को फैसला कहते हैं. क्रीमीलेयर मामला ऑब्जरवेशन है, निर्णय नहीं है. विपक्ष इसके जरिए भ्रम फैला रहा है. आरक्षण को लेकर कांग्रेस ने पहले भी गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन अनुसूचित और जनजाति वर्ग से अपील करता हूं कि वह विपक्ष के बहकावे में नहीं आएं. भारत सरकार संविधान के विपरीत कोई निणर्य नहीं करने वाली.

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संविधान भी वर्ग के अंदर वर्गीकरण की बात नहीं करता : राज्य सरकार में सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री से बातचीत हुई है. इसके साथ ही एसटी एससी संगठनों से भी बात हो रही है. सब से भ्रम में नहीं आने की अपील की गई है. केंद्र सरकार का जो निर्णय होगा हम उसके साथ रहेंगे. संविधान किसी भी वर्ग के अंदर वर्गीकरण के लिए नहीं कहता है. हमारी सरकार एसटी-एससी वर्ग के लोगों के साथ, उनकी भावनाओं की कदर करती है. यह तय मान कर चलिए कि हमारी सरकार संविधान की अवधारणा के खिलाफ कोई काम नहीं करेगी. बता दें कि अनुसूचित जाति,जनजाति वर्ग में से क्रीमीलेयर को बाहर करने और इस वर्ग का उपवर्गीकरण के मामले को लेकर 21 अगस्त को सोशल मीडिया पर भारत बंद संदेश चल रहा है.

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