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नए कानूनों पर विपक्ष झूठ फैला रहा है: अमित शाह - AMIT SHAH ON NEW CRIMINAL LAWS

Amit Shah On new criminal laws: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज तीन नए कानूनों पर विपक्ष के आरोपों पर कड़ा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि विपक्ष नए कानूनों पर झूठ फैला रहा है.

Union Home Minister Amit Shah On the new criminal laws
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (ANI VIDEO)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 1, 2024, 1:53 PM IST

Updated : Jul 1, 2024, 3:37 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज संसद भवन परिसर में नए आपराधिक कानूनों के लागू किए जाने को लेकर मीडिया को संबोधित किया. इस दौरान शाह ने कहा कि विपक्ष नए कानूनों पर झूठ फैला रहा है. उन्होंने कहा कि इसपर राजनीतिक रंग देना ठीक नहीं है. कानूनों का बहिष्कार कोई रास्ता नहीं है.

अमित शाह ने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे पर राज्यसभा में 6 सभी सांसदों और मुख्यमंत्रियों से सुझाव मांगे गए थे. सभी जजों से सुझाव मांगे गए थे. 93 बदलाव के बाद बिल पारित किया गया. लोकसभा में 9 घंटे और राज्यसभा में 6 घंटे से अधिक की चर्चा हुई.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज से लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों में सजा की जगह न्याय ने ले ली है. शाह ने कहा कि आजादी के 77 साल बाद भी देश में पूरी तरह से स्वदेशी कानूनी व्यवस्था है. औपनिवेशिक काल की आपराधिक संहिता में बदलाव के साथ न्याय व्यवस्था में एक 'भारतीय आत्मा' जुड़ गई है.

उन्होंने कहा, 'प्रावधान ऐसे हैं कि कई समूहों को लाभ होगा. ब्रिटिश काल की कई धाराओं को आज के समय के अनुरूप धाराओं से बदल दिया गया है. महिलाओं के खिलाफ हिंसा से संबंधित अपराधों पर शाह ने कहा कि नए कानून में पीड़िता के घर पर ही उसका बयान दर्ज करने का प्रावधान है और ऑनलाइन एफआईआर सुविधा का भी उल्लेख किया जो उन्हें सामाजिक कलंक से बचाएगी. मॉब लिंचिंग का भी नए आपराधिक कानून में प्रावधान है. इसके साथ ही महिलाओं के खिलाफ अपराध को और अधिक कठोर बनाया गया है.

अमित शाह ने कहा, 'एक नए दृष्टिकोण के साथ ये तीन कानून आधी रात से लागू हो गए हैं. अब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS ) होगी. दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) होगी. भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) होगा.

अमित शाह ने स्पष्ट किया कि नए आपराधिक कानूनों के तहत पहला मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दर्ज किया गया. नई दिल्ली के कमला मार्केट थाने में दर्ज मामला नए कानूनों के तहत दिल्ली में दर्ज किए गए पहले मामलों में से एक था. उन्होंने कहा कि पहला मामला चोरी का मामला था. किसी की मोटरसाइकिल चोरी हो गई थी. मामला रात 12.10 बजे दर्ज किया गया. दिल्ली से जुड़े मामले के बारे में कहा कि ​यह ​एक विक्रेता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.

संविधान विशेषज्ञ ने क्या कहा?
जाने-माने संविधान विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सत्यप्रकाश सिंह ने नए कानूनों को भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव बताया. हालांकि, उन्होंने माना कि कानूनों के पूर्ण कार्यान्वयन में कुछ समय लगेगा.

सिंह ने कहा, "स्वतंत्रता-पूर्व कानूनों की जगह लेने वाले नए कानून स्वागत योग्य हैं. यह निश्चित रूप से भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लाएगा, क्योंकि कानून समयबद्ध न्याय प्रदान करने की बात करते हैं." उन्होंने कहा कि चूंकि हम पुरानी आपराधिक न्याय प्रणाली का पालन कर रहे हैं, इसलिए प्रक्रिया में पूर्ण परिवर्तन में कुछ समय लगेगा."

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस संवाददाता को बताया कि सभी राज्यों को नए कानूनों के उचित और पहले कार्यान्वयन के लिए अपने संबंधित पुलिस अधिकारियों को उचित प्रशिक्षण देने की सलाह दी गई है.

उल्लेखनीय है कि क्षमता निर्माण के लिए, पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (BPR&D) ने ट्रेनिंग मॉड्यूल विकसित किए और उन्हें सभी हितधारकों के साथ साझा किया. बीपीआरएंडडी ने 250 ट्रेनिंग कोर्स, वेबिनार और सेमिनार भी आयोजित किए हैं, जिनमें 40317 अधिकारियों और कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 584174 लोगों की क्षमता निर्माण का काम भी शुरू किया है, जिसमें जेल, फोरेंसिक, न्यायिक और अभियोजन से जुड़े 565746 पुलिस अधिकारी और कार्मिक शामिल हैं.

ये भी पढ़ें- लोकसभा दोपहर 2 बजे और राज्यसभा 2:15 तक के लिए स्थगित, मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर निशाना साधा, राज्यसभा में मणिपुर, NEET-UG पेपर लीक का मुद्दा उठाया

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज संसद भवन परिसर में नए आपराधिक कानूनों के लागू किए जाने को लेकर मीडिया को संबोधित किया. इस दौरान शाह ने कहा कि विपक्ष नए कानूनों पर झूठ फैला रहा है. उन्होंने कहा कि इसपर राजनीतिक रंग देना ठीक नहीं है. कानूनों का बहिष्कार कोई रास्ता नहीं है.

अमित शाह ने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे पर राज्यसभा में 6 सभी सांसदों और मुख्यमंत्रियों से सुझाव मांगे गए थे. सभी जजों से सुझाव मांगे गए थे. 93 बदलाव के बाद बिल पारित किया गया. लोकसभा में 9 घंटे और राज्यसभा में 6 घंटे से अधिक की चर्चा हुई.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज से लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों में सजा की जगह न्याय ने ले ली है. शाह ने कहा कि आजादी के 77 साल बाद भी देश में पूरी तरह से स्वदेशी कानूनी व्यवस्था है. औपनिवेशिक काल की आपराधिक संहिता में बदलाव के साथ न्याय व्यवस्था में एक 'भारतीय आत्मा' जुड़ गई है.

उन्होंने कहा, 'प्रावधान ऐसे हैं कि कई समूहों को लाभ होगा. ब्रिटिश काल की कई धाराओं को आज के समय के अनुरूप धाराओं से बदल दिया गया है. महिलाओं के खिलाफ हिंसा से संबंधित अपराधों पर शाह ने कहा कि नए कानून में पीड़िता के घर पर ही उसका बयान दर्ज करने का प्रावधान है और ऑनलाइन एफआईआर सुविधा का भी उल्लेख किया जो उन्हें सामाजिक कलंक से बचाएगी. मॉब लिंचिंग का भी नए आपराधिक कानून में प्रावधान है. इसके साथ ही महिलाओं के खिलाफ अपराध को और अधिक कठोर बनाया गया है.

अमित शाह ने कहा, 'एक नए दृष्टिकोण के साथ ये तीन कानून आधी रात से लागू हो गए हैं. अब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS ) होगी. दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) होगी. भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) होगा.

अमित शाह ने स्पष्ट किया कि नए आपराधिक कानूनों के तहत पहला मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दर्ज किया गया. नई दिल्ली के कमला मार्केट थाने में दर्ज मामला नए कानूनों के तहत दिल्ली में दर्ज किए गए पहले मामलों में से एक था. उन्होंने कहा कि पहला मामला चोरी का मामला था. किसी की मोटरसाइकिल चोरी हो गई थी. मामला रात 12.10 बजे दर्ज किया गया. दिल्ली से जुड़े मामले के बारे में कहा कि ​यह ​एक विक्रेता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.

संविधान विशेषज्ञ ने क्या कहा?
जाने-माने संविधान विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सत्यप्रकाश सिंह ने नए कानूनों को भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव बताया. हालांकि, उन्होंने माना कि कानूनों के पूर्ण कार्यान्वयन में कुछ समय लगेगा.

सिंह ने कहा, "स्वतंत्रता-पूर्व कानूनों की जगह लेने वाले नए कानून स्वागत योग्य हैं. यह निश्चित रूप से भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लाएगा, क्योंकि कानून समयबद्ध न्याय प्रदान करने की बात करते हैं." उन्होंने कहा कि चूंकि हम पुरानी आपराधिक न्याय प्रणाली का पालन कर रहे हैं, इसलिए प्रक्रिया में पूर्ण परिवर्तन में कुछ समय लगेगा."

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस संवाददाता को बताया कि सभी राज्यों को नए कानूनों के उचित और पहले कार्यान्वयन के लिए अपने संबंधित पुलिस अधिकारियों को उचित प्रशिक्षण देने की सलाह दी गई है.

उल्लेखनीय है कि क्षमता निर्माण के लिए, पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (BPR&D) ने ट्रेनिंग मॉड्यूल विकसित किए और उन्हें सभी हितधारकों के साथ साझा किया. बीपीआरएंडडी ने 250 ट्रेनिंग कोर्स, वेबिनार और सेमिनार भी आयोजित किए हैं, जिनमें 40317 अधिकारियों और कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 584174 लोगों की क्षमता निर्माण का काम भी शुरू किया है, जिसमें जेल, फोरेंसिक, न्यायिक और अभियोजन से जुड़े 565746 पुलिस अधिकारी और कार्मिक शामिल हैं.

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Last Updated : Jul 1, 2024, 3:37 PM IST
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