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झारखंड दौरे पर साहिबगंज पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, परिवर्तन यात्रा को दिखाई हरी झंडी - Union Home Minister Amit Shah

Amit Shah in jharkhand. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह झारखंड दौरे पर हैं. वो साहिबगंज के भोगनाडीह पहुंचे और शहीद सिदो- कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. उन्होंने शहीद के परिजनों से मुलाकात भी की. अमित शाह ने परिवर्तन रथ को रवाना किया.

UNION HOME MINISTER AMIT SHAH
शहीद सिदो- कान्हू को नमन करते अमित शाह (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 20, 2024, 2:25 PM IST

Updated : Sep 20, 2024, 7:48 PM IST

साहिबगंज: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देवघर एयरपोर्ट से हेलीकाप्टर से जिला के बरहेट प्रखंड स्थित भोगनाडीह पहुंचे. जहां शहीद सिदो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर नमन किया. उसके बाद परिवर्तन यात्रा का शुभारंभ किया. शहीद कान्हू के वंशज से मुलाकात कर हाल जाना. सभी लोगों को अंगवस्त्र देकर सुशोभित किया.

केंद्रीय गृह मंत्री ने परिवर्तन यात्रा का शुभारंभ कर कहा कि झारखंड की जनता अब सत्ता परिवर्तन चाहती है. इसलिए रथ यात्रा का शुभारंभ किया गया है. यह जागरूकता वाहन गांव गांव में घूम कर हेमंत सरकार की नाकामियों व भाजपा के केन्द्र की योजनाओं की उपलब्धियों को गिनाएगा. इस बार झारखंड में पूर्ण बहुमत से बीजेपी की सरकार बनेगी. संथाल में भी भाजपा सभी सीटों पर परचम लहराएगी.

साहिबगंज में अमित शाह (ईटीवी भारत)

क्या है खास शहीद का भोगनाडीह

अंग्रजों के खिलाफ बिगुल फूंकने वाला सबसे पहला विद्रोह 1855 में इसी धरती से शुरू हुआ था. इस हूल का नेतृत्व बरहेट के भोगनाडीह के गांव में रहने वाले सिदो-कान्हू ,चांद भैरव, फूलों झानो ने किया था. इन्हें हर वर्ग के लोगों का साथ मिला. इनके युद्ध की कला से अंग्रेज त्राहिमाम करने लगे थे. इस लड़ाई में हजारों लोगों की जान चली गई थी. अंग्रेजों की भी मौत हो गई थी.

अंग्रेजों ने आंदोलन को दबाने के लिए सिदो कान्हू को बरहेट के पंचकठिया में बरगद के पेड़ पर खुलेआम फांसी की सजा दे दी थी, ताकि लोगो में दहशत बनी रही. अन्य लोग भी मारे गए. यह आंदोलन दो साल तक चला. अंग्रेजों ने अंत में आदिवासियों को शांत करने के लिए संथाल परगना का नाम दिया. परिवर्तन यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश, गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे, असम के मुख्यमंत्री हेमंता विश्वा मौजूद थे. गृह मंत्री के आने से पूर्व शहीद स्थल व शहीद के घर को एसपीजी अपने सुरक्षा घेरे में ले लिया था.

राजनीतिक तरीके से खास है भोगनाडीह

संथाल परगना आदिवासी बहुल है. यहां आज भी भाजपा का कई विधानसभा में कमल नहीं खिल पाया है. बरहेट में आज तक भाजपा कमल खिला नहीं सकी है. जेएमएम भी संथाल को अपना वोट बैंक मानती है. चुनाव का बिगुल फूंकना हो तो हर पार्टी के नेता सिदो कान्हू के जन्मस्थली भोगनाडीह से शुरुआत करते हैं. दिशोम गुरू व बाबूलाल मरांडी ने संथाल से राजनीति की शुरुआत की थी.

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केंद्रीय गृह मंत्री ने परिवर्तन यात्रा का शुभारंभ कर कहा कि झारखंड की जनता अब सत्ता परिवर्तन चाहती है. इसलिए रथ यात्रा का शुभारंभ किया गया है. यह जागरूकता वाहन गांव गांव में घूम कर हेमंत सरकार की नाकामियों व भाजपा के केन्द्र की योजनाओं की उपलब्धियों को गिनाएगा. इस बार झारखंड में पूर्ण बहुमत से बीजेपी की सरकार बनेगी. संथाल में भी भाजपा सभी सीटों पर परचम लहराएगी.

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अंग्रजों के खिलाफ बिगुल फूंकने वाला सबसे पहला विद्रोह 1855 में इसी धरती से शुरू हुआ था. इस हूल का नेतृत्व बरहेट के भोगनाडीह के गांव में रहने वाले सिदो-कान्हू ,चांद भैरव, फूलों झानो ने किया था. इन्हें हर वर्ग के लोगों का साथ मिला. इनके युद्ध की कला से अंग्रेज त्राहिमाम करने लगे थे. इस लड़ाई में हजारों लोगों की जान चली गई थी. अंग्रेजों की भी मौत हो गई थी.

अंग्रेजों ने आंदोलन को दबाने के लिए सिदो कान्हू को बरहेट के पंचकठिया में बरगद के पेड़ पर खुलेआम फांसी की सजा दे दी थी, ताकि लोगो में दहशत बनी रही. अन्य लोग भी मारे गए. यह आंदोलन दो साल तक चला. अंग्रेजों ने अंत में आदिवासियों को शांत करने के लिए संथाल परगना का नाम दिया. परिवर्तन यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश, गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे, असम के मुख्यमंत्री हेमंता विश्वा मौजूद थे. गृह मंत्री के आने से पूर्व शहीद स्थल व शहीद के घर को एसपीजी अपने सुरक्षा घेरे में ले लिया था.

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संथाल परगना आदिवासी बहुल है. यहां आज भी भाजपा का कई विधानसभा में कमल नहीं खिल पाया है. बरहेट में आज तक भाजपा कमल खिला नहीं सकी है. जेएमएम भी संथाल को अपना वोट बैंक मानती है. चुनाव का बिगुल फूंकना हो तो हर पार्टी के नेता सिदो कान्हू के जन्मस्थली भोगनाडीह से शुरुआत करते हैं. दिशोम गुरू व बाबूलाल मरांडी ने संथाल से राजनीति की शुरुआत की थी.

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Last Updated : Sep 20, 2024, 7:48 PM IST
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