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देहरादून में फैली टर्किश डेजर्ट की खुशबू, बकलावा के दीवाने हुए लोग, विरासत मेले में छाई मिथिला पेंटिंग

तुर्किये के दाऊद आमीरी के टर्किश डेजर्ट स्टॉल पर 21 तरह के बकलावा, बिहार की मिथिला पेंटिंग है सदा के लिए

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 3 hours ago

Updated : 49 minutes ago

DEHRADUN HERITAGE FAIR
देहरादून में विरासत मेला (Photo- ETV Bharat)

देहरादून (उत्तराखंड): देहरादून के ओएनजीसी अंबेडकर स्टेडियम में इन दिनों विरासत मेला लगा हुआ है. 15 से 29 अक्टूबर तक चल रहे विरासत मेले में इस बार टर्किश डेजर्ट और बिहार की मिथिला पेंटिंग विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. लोग बड़ी संख्या में विरासत मेले में आ रहे हैं और खानपान से लेकर कलाकृतियों के अपने शौक को पूरा कर रहे हैं.

टर्किश बकलावा की खुशबू से खिंचे आ रहे हैं लोग: देहरादून में हर साल लगने वाले विरासत मेले में सिर्फ अपने देश के ही नहीं बल्कि विदेश के भी सांस्कृतिक रंग देखने को मिल रहे हैं. विरासत मेले में इस बार शुरुआत में ही लगी तुर्किये देश की खास मिठाइयों की स्टाल ने आ रही खुशबू लोगों को अपनी ओर खींच रही हैं. विरासत मेले में लगी इस टर्किश स्टाल में आपको दो दर्जन से ज्यादा टर्किश डेजर्ट यानी तुर्किये की ग्लोबल मार्केट में प्रसिद्ध मिठाइयां जिन्हें वहां की भाषा में बकलावा कहते हैं, वो लोगों को खास पसंद आ रही हैं.

देहरादून में विरासत मेले की धूम (Video- ETV Bharat)

तुर्किये से आए दाऊद आमीरी: टर्किश डेजर्ट स्टॉल के संचालक दाऊद आमीरी ने बताया कि उनके द्वारा बनाई गए बकलावा की उनके पास 21 से ज्यादा वैरायटी मौजूद हैं. यह सभी प्रोडक्ट वेजिटेरियन प्रोडक्ट है और एग फ्री हैं. उन्होंने बताया कि इन सभी प्रोडक्ट में शहद, घी और ड्राई फ्रूट के साथ शुद्ध कॉर्नफ्लोर का इस्तेमाल किया गया है. ये उनके देश तुर्किये के ट्रेडिशनल खाद्य पदार्थ हैं.

Dehradun heritage fair
टर्किश डेजर्ट (PHOTO- ETV BHARAT)

टर्किश डेजर्ज की है लंबी लाइफ: दाऊद आमीरी ने यह भी बताया कि उनके यह फूड प्रोडक्ट फ्रिज के बाहर 3 महीने तक खराब नहीं होते हैं. फ्रिज में रखने पर यह और भी ज्यादा दिनों तक खराब नहीं होते हैं. तुर्किश बकलावा शॉप पर खरीदारी कर रही देहरादून की अक्षिता का कहना है कि विरासत मेले में यह बिल्कुल अलग तरह का एक्सपीरियंस है. जिस तरह से उन्होंने इन स्वीट डिशेस के बारे में केवल अब तक इंटरनेट पर देखा और पढ़ा था, आज उन्हें यह मिठाइयां एक्सपीरियंस करने को मिली हैं जो कि बेहद अलग और बेहद खास है.

Dehradun heritage fair
तुर्किये से आए दाऊद अमीरी (PHOTO- ETV BHARAT)

बिहार की ट्रेडिशनल मिथिला पेंटिंग के दीवाने हुए लोग: इसी तरह से विरासत मेले में बिहार की पारंपरिक पौराणिक कलाकृति के रूप में मधुबनी पेंटिंग जो कि मिथिला पेंटिंग के रूप से भी जानी जाती है, वह भी ग्राहकों को बिल्कुल नए तरह का अनुभव दे रही है. बिहार की ट्रेडिशनल मिथिला पेंटिंग का स्टॉल लगाने वाले प्रसून कुमार जो कि बिहार से आए हैं, उन्होंने बताया कि यह बिहार की पारंपरिक वॉल पेंटिंग है. इन्हें नेचुरल रंगों से बनाया जाता है.

उन्होंने बताया कि इन पेंटिंग्स को बनाने के लिए प्राकृतिक वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे कि हरे रंग के लिए पालक का पत्ता, पीले रंग के लिए कच्ची हल्दी, काले रंग के लिए मोमबत्ती का सुरमा प्रयोग किया जाता है. इसी तरह से चुकंदर और गुलाब जैसे पदार्थों से भी इन पारंपरिक मधुबनी पेंटिंग को हाथों से उकेरा आ जाता है.

Dehradun heritage fair
विरासत मेले में मिथिला पेंटिंग (PHOTO- ETV BHARAT)

प्रसून के परिवार को मिथिला पेंटिंग के लिए मिल चुका है पद्मश्री: उन्होंने बताया कि 1971 में बिहार की इन ट्रेडिशनल कलाकृतियों को पहचान मिली. उसके बाद लगातार बिहार से इस तरह की हैंड क्राफ्ट वॉल पेंटिंग्स को देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. उन्होंने बताया कि इन पारंपरिक पेंटिंग में महारत हासिल करने के चलते उनकी सास शांति देवी और ससुर शिवम पासवान को राष्ट्रपति के द्वारा 22 अप्रैल 2024 को पद्मश्री भी दिया जा चुका है.

Dehradun heritage fair
मिथिला पेंटिंग के कलाकार प्रसून कुमार (PHOTO- ETV BHARAT)

मिथिला पेंटिंग के ये हैं रेट: प्रसून कुमार ने बताया कि बिहार की यह विश्व प्रसिद्ध मिथिला या फिर मधुबनी पेंटिंग अपने खास तरह के रामायण महाभारत की कलाकृतियों के साथ-साथ पर्यावरण और राजा शैलेश की कहानियों के लिए बेहद प्रसिद्ध है. बाजार में उनकी डिमांड के बारे में उन्होंने बताया कि आज जो लोग हैंड क्राफ्ट और लंबे समय तक चलने वाली पेंटिंगों की अहमियत समझते हैं, वह इन्हें ढूंढते हुए उन तक पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि आज यह पेंटिंग मार्केट में ₹200 से लेकर के ₹10,000 तक में बिकती है. यह लोगों के घरों में सजावट के साथ-साथ धार्मिक महत्व के लिए भी बेहद प्रचलित है.
ये भी पढ़ें: विरासत महोत्सव का आज से होगा आगाज, देवभूमि और अन्य राज्यों की संस्कृति की दिखेगी झलक

देहरादून (उत्तराखंड): देहरादून के ओएनजीसी अंबेडकर स्टेडियम में इन दिनों विरासत मेला लगा हुआ है. 15 से 29 अक्टूबर तक चल रहे विरासत मेले में इस बार टर्किश डेजर्ट और बिहार की मिथिला पेंटिंग विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. लोग बड़ी संख्या में विरासत मेले में आ रहे हैं और खानपान से लेकर कलाकृतियों के अपने शौक को पूरा कर रहे हैं.

टर्किश बकलावा की खुशबू से खिंचे आ रहे हैं लोग: देहरादून में हर साल लगने वाले विरासत मेले में सिर्फ अपने देश के ही नहीं बल्कि विदेश के भी सांस्कृतिक रंग देखने को मिल रहे हैं. विरासत मेले में इस बार शुरुआत में ही लगी तुर्किये देश की खास मिठाइयों की स्टाल ने आ रही खुशबू लोगों को अपनी ओर खींच रही हैं. विरासत मेले में लगी इस टर्किश स्टाल में आपको दो दर्जन से ज्यादा टर्किश डेजर्ट यानी तुर्किये की ग्लोबल मार्केट में प्रसिद्ध मिठाइयां जिन्हें वहां की भाषा में बकलावा कहते हैं, वो लोगों को खास पसंद आ रही हैं.

देहरादून में विरासत मेले की धूम (Video- ETV Bharat)

तुर्किये से आए दाऊद आमीरी: टर्किश डेजर्ट स्टॉल के संचालक दाऊद आमीरी ने बताया कि उनके द्वारा बनाई गए बकलावा की उनके पास 21 से ज्यादा वैरायटी मौजूद हैं. यह सभी प्रोडक्ट वेजिटेरियन प्रोडक्ट है और एग फ्री हैं. उन्होंने बताया कि इन सभी प्रोडक्ट में शहद, घी और ड्राई फ्रूट के साथ शुद्ध कॉर्नफ्लोर का इस्तेमाल किया गया है. ये उनके देश तुर्किये के ट्रेडिशनल खाद्य पदार्थ हैं.

Dehradun heritage fair
टर्किश डेजर्ट (PHOTO- ETV BHARAT)

टर्किश डेजर्ज की है लंबी लाइफ: दाऊद आमीरी ने यह भी बताया कि उनके यह फूड प्रोडक्ट फ्रिज के बाहर 3 महीने तक खराब नहीं होते हैं. फ्रिज में रखने पर यह और भी ज्यादा दिनों तक खराब नहीं होते हैं. तुर्किश बकलावा शॉप पर खरीदारी कर रही देहरादून की अक्षिता का कहना है कि विरासत मेले में यह बिल्कुल अलग तरह का एक्सपीरियंस है. जिस तरह से उन्होंने इन स्वीट डिशेस के बारे में केवल अब तक इंटरनेट पर देखा और पढ़ा था, आज उन्हें यह मिठाइयां एक्सपीरियंस करने को मिली हैं जो कि बेहद अलग और बेहद खास है.

Dehradun heritage fair
तुर्किये से आए दाऊद अमीरी (PHOTO- ETV BHARAT)

बिहार की ट्रेडिशनल मिथिला पेंटिंग के दीवाने हुए लोग: इसी तरह से विरासत मेले में बिहार की पारंपरिक पौराणिक कलाकृति के रूप में मधुबनी पेंटिंग जो कि मिथिला पेंटिंग के रूप से भी जानी जाती है, वह भी ग्राहकों को बिल्कुल नए तरह का अनुभव दे रही है. बिहार की ट्रेडिशनल मिथिला पेंटिंग का स्टॉल लगाने वाले प्रसून कुमार जो कि बिहार से आए हैं, उन्होंने बताया कि यह बिहार की पारंपरिक वॉल पेंटिंग है. इन्हें नेचुरल रंगों से बनाया जाता है.

उन्होंने बताया कि इन पेंटिंग्स को बनाने के लिए प्राकृतिक वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे कि हरे रंग के लिए पालक का पत्ता, पीले रंग के लिए कच्ची हल्दी, काले रंग के लिए मोमबत्ती का सुरमा प्रयोग किया जाता है. इसी तरह से चुकंदर और गुलाब जैसे पदार्थों से भी इन पारंपरिक मधुबनी पेंटिंग को हाथों से उकेरा आ जाता है.

Dehradun heritage fair
विरासत मेले में मिथिला पेंटिंग (PHOTO- ETV BHARAT)

प्रसून के परिवार को मिथिला पेंटिंग के लिए मिल चुका है पद्मश्री: उन्होंने बताया कि 1971 में बिहार की इन ट्रेडिशनल कलाकृतियों को पहचान मिली. उसके बाद लगातार बिहार से इस तरह की हैंड क्राफ्ट वॉल पेंटिंग्स को देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. उन्होंने बताया कि इन पारंपरिक पेंटिंग में महारत हासिल करने के चलते उनकी सास शांति देवी और ससुर शिवम पासवान को राष्ट्रपति के द्वारा 22 अप्रैल 2024 को पद्मश्री भी दिया जा चुका है.

Dehradun heritage fair
मिथिला पेंटिंग के कलाकार प्रसून कुमार (PHOTO- ETV BHARAT)

मिथिला पेंटिंग के ये हैं रेट: प्रसून कुमार ने बताया कि बिहार की यह विश्व प्रसिद्ध मिथिला या फिर मधुबनी पेंटिंग अपने खास तरह के रामायण महाभारत की कलाकृतियों के साथ-साथ पर्यावरण और राजा शैलेश की कहानियों के लिए बेहद प्रसिद्ध है. बाजार में उनकी डिमांड के बारे में उन्होंने बताया कि आज जो लोग हैंड क्राफ्ट और लंबे समय तक चलने वाली पेंटिंगों की अहमियत समझते हैं, वह इन्हें ढूंढते हुए उन तक पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि आज यह पेंटिंग मार्केट में ₹200 से लेकर के ₹10,000 तक में बिकती है. यह लोगों के घरों में सजावट के साथ-साथ धार्मिक महत्व के लिए भी बेहद प्रचलित है.
ये भी पढ़ें: विरासत महोत्सव का आज से होगा आगाज, देवभूमि और अन्य राज्यों की संस्कृति की दिखेगी झलक

Last Updated : 49 minutes ago
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