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अटारी- वाघा बॉर्डर की तरह बिहार के पूर्णिया में आधी रात को मनता है आजादी का जश्न - Independence Day 2024

Midnight Flag Hoisting In Purnea: भारत 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. 15 अगस्त को पूरे देश में झंडारोहण किया जाएगा, लेकिन देश में 2 जगह ऐसी है जहां 14 अगस्त की रात 12 बजे तिरंगा रोहण किया जाता है. पहला वाघा बॉर्डर और दूसरा बिहार का पूर्णिया जहां 12 बजे रात में तिरंगा रोहण किया जाता है. इसकी परंपरा 1947 से चलती आ रही है. पढ़ें पूरी खबर.

पूर्णिया के झंडा चौक पर रात 12 बजे होता है ध्वजारोहण
पूर्णिया के झंडा चौक पर रात 12 बजे होता है ध्वजारोहण (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 14, 2024, 10:55 AM IST

Updated : Aug 14, 2024, 11:09 AM IST

पूर्णियाः देश की आजादी के इतिहास में बिहार के पूर्णिया झंडा चौक का इतिहास भी जुड़ा है. यहां हर साल 14 अगस्त की रात 12 बजे देश का झंडा तिरंगा रोहण किया जाता है. इसके पीछे आजादी से जुड़ी कहानी है जो आज हर किसी को प्रेरित करता है. यहां के लोग हर साल 14 अगस्त की रात 12ः01 बजे तिरंगा रोहण करने के बाद एक-दूसरे के बीच मिठाई बांटकर स्वतंत्रता मनाते हैं.

पूर्णिया में आधी रात को झंडोत्तोलन
पूर्णिया में आधी रात को झंडोत्तोलन (ETV Bharat)

पूर्णिया में आधी रात को आजादी का जश्न : बात 14 अगस्त 1947 की है. इस दिन देश आजाद होने वाला था. इसका सबको इंतजार था. 14 अगस्त को सुबह से ही पूर्णिया के लोग आजादी की खबर सुनने के लिए बेचैन थे. झंडा चौक चौक स्थित मिश्रा रेडियो की दुकान पर दिनभर भीड़ लगी रही. लेकिन काफी देर बाद भी आजादी की खबर रेडियो पर नहीं आयी तो लोग घर लौट आए, मगर मिश्रा रेडियो की दुकान खुली रही.

झंडा चौक पर आजादी का जश्न
झंडा चौक पर आजादी का जश्न (File Photo)

रात 12 बजे रेडियो से आजादी की घोषणा सुनी : रात के 11 बजे थे. इसी दौरान झंडा चौक स्थित मिश्रा रेडियो की दुकान पर रामेश्वर प्रसाद सिंह, रामजतन साह, कमल देव नारायण सिन्हा, गणेश चंद्र दास सहित उनके सहयोगी दुकान पर पहुंचे. सभी के आग्रह पर रेडियो खोला गया. रेडियो खुलते ही माउंटबेटन की आवाज सुनाई दी. आवाज सुनते ही लोग खुशी से उछल पड़े. माउंटबेटन ने घोषणा की थी कि देश आजाद हो गया है.

झंडा चौक पर आजादी का जश्न, फहराया तिरंगा : माउंटबेटन की इस घोषणा से सभी में खुशी छा गयी. सभी लोग एक दूसरे को बधाई दी गयी. इसके साथ ही पूर्णिया के उसी चौक पर झंडारोहण का विचार किया गया. आनन-फानन में बांस, रस्सी और तिरंगा झंडा मंगवाया गया. 14 अगस्त 1947 की रात 12 बजकर 01 बजे स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह ने तिरंगा रोहण किया. उसी रात इस चौराहा का नाम झंडा चौक रखा गया.

आधी रात को फहराया जाता है तिरंगा
आधी रात को फहराया जाता है तिरंगा (File Photo)

''पूरे देश में पहला झंडा बाघा बार्डर पर फहराया जाता है. इसके बाद बिहार के पूर्णिया के झंडा चौक पर झंडोत्तोलन होता है. आजादी के बाद से लगातार आज तक यहां के लोगों द्वारा झंडोतोलन होता है, हम शहीदों को याद करते है.'' - दिलीप कुमार, स्थानीय, पूर्णिया

1947 से चली आ रही परंपरा : झंडोत्तोलन के दौरान मौजूद लोगों ने शपथ ली कि इस चौराहे पर हर साल 14 अगस्त की रात सबसे पहला झंडा फहराया जाएगा. यह परंपरा इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया और इसके बाद से ही पूर्णिया के भट्ठा बाजार में झंडा चौक पर झंडारोहण की परंपरा चली आ रही है.

झंडा चौक पर ध्वजारोहण
झंडा चौक पर ध्वजारोहण (File Photo)

''सन 1947 की बात है, यहां झंडा चौक पर कुछ आजादी के दीवाने कैरम बोर्ड खेल रहे थे. रेडियो बज रहा है, तभी आवाज आई कि अंग्रेजों ने देश को आजाद कर दिया यहां से चले गए. उस वक्त जितने लोग यहां मौजूद थे, उन्होंने यहां झंडा फहराया. तब से लेकर आज तक यह सिलसिला जारी है.'' - विजय खेमका, विधायक

हर साल यहां रात 12 बजे झंडारोहण : स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोता विपुल कुमार सिंह अभी तक इस पर्व को मनाते आ रहे हैं. 14 अगस्त की रात पूर्णिया के झंडा चौक पर पूर्णिया वासियों की भीड़ देखने को मिलती है. प्रशासन के वरीय पदाधिकारी के साथ-साथ प्रशासनिक लोग भी इस मौके पर उपस्थित रहते हैं. इस मौके पर स्थानीय लोगों के बीच जलेबी वितरण भी किया जाता है.

माणिक मित्रा की रेडियो की दुकान.. और आजादी : स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोता विपुल सिंह बताते हैं कि ''मेरे दादा रामेश्वर प्रसाद सिंह बताते थे कि उस समय झंडा चौक पर माणिक मित्रा की रेडियों की दुकान थी, लार्ड माउंटबेटन ने रेडियो पर जैसे ही आजादी की घोषणा की, करीब 200 की संख्या की मौजूद लोगों ने भारत माता की जय का नारा लगाया, पूर्णिया के लोग घरों से बाहर निकल आए थे और यहां तिरंगा फहराया गया, तब से यह परंपरा चली आ रही है.''

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पूर्णियाः देश की आजादी के इतिहास में बिहार के पूर्णिया झंडा चौक का इतिहास भी जुड़ा है. यहां हर साल 14 अगस्त की रात 12 बजे देश का झंडा तिरंगा रोहण किया जाता है. इसके पीछे आजादी से जुड़ी कहानी है जो आज हर किसी को प्रेरित करता है. यहां के लोग हर साल 14 अगस्त की रात 12ः01 बजे तिरंगा रोहण करने के बाद एक-दूसरे के बीच मिठाई बांटकर स्वतंत्रता मनाते हैं.

पूर्णिया में आधी रात को झंडोत्तोलन
पूर्णिया में आधी रात को झंडोत्तोलन (ETV Bharat)

पूर्णिया में आधी रात को आजादी का जश्न : बात 14 अगस्त 1947 की है. इस दिन देश आजाद होने वाला था. इसका सबको इंतजार था. 14 अगस्त को सुबह से ही पूर्णिया के लोग आजादी की खबर सुनने के लिए बेचैन थे. झंडा चौक चौक स्थित मिश्रा रेडियो की दुकान पर दिनभर भीड़ लगी रही. लेकिन काफी देर बाद भी आजादी की खबर रेडियो पर नहीं आयी तो लोग घर लौट आए, मगर मिश्रा रेडियो की दुकान खुली रही.

झंडा चौक पर आजादी का जश्न
झंडा चौक पर आजादी का जश्न (File Photo)

रात 12 बजे रेडियो से आजादी की घोषणा सुनी : रात के 11 बजे थे. इसी दौरान झंडा चौक स्थित मिश्रा रेडियो की दुकान पर रामेश्वर प्रसाद सिंह, रामजतन साह, कमल देव नारायण सिन्हा, गणेश चंद्र दास सहित उनके सहयोगी दुकान पर पहुंचे. सभी के आग्रह पर रेडियो खोला गया. रेडियो खुलते ही माउंटबेटन की आवाज सुनाई दी. आवाज सुनते ही लोग खुशी से उछल पड़े. माउंटबेटन ने घोषणा की थी कि देश आजाद हो गया है.

झंडा चौक पर आजादी का जश्न, फहराया तिरंगा : माउंटबेटन की इस घोषणा से सभी में खुशी छा गयी. सभी लोग एक दूसरे को बधाई दी गयी. इसके साथ ही पूर्णिया के उसी चौक पर झंडारोहण का विचार किया गया. आनन-फानन में बांस, रस्सी और तिरंगा झंडा मंगवाया गया. 14 अगस्त 1947 की रात 12 बजकर 01 बजे स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह ने तिरंगा रोहण किया. उसी रात इस चौराहा का नाम झंडा चौक रखा गया.

आधी रात को फहराया जाता है तिरंगा
आधी रात को फहराया जाता है तिरंगा (File Photo)

''पूरे देश में पहला झंडा बाघा बार्डर पर फहराया जाता है. इसके बाद बिहार के पूर्णिया के झंडा चौक पर झंडोत्तोलन होता है. आजादी के बाद से लगातार आज तक यहां के लोगों द्वारा झंडोतोलन होता है, हम शहीदों को याद करते है.'' - दिलीप कुमार, स्थानीय, पूर्णिया

1947 से चली आ रही परंपरा : झंडोत्तोलन के दौरान मौजूद लोगों ने शपथ ली कि इस चौराहे पर हर साल 14 अगस्त की रात सबसे पहला झंडा फहराया जाएगा. यह परंपरा इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया और इसके बाद से ही पूर्णिया के भट्ठा बाजार में झंडा चौक पर झंडारोहण की परंपरा चली आ रही है.

झंडा चौक पर ध्वजारोहण
झंडा चौक पर ध्वजारोहण (File Photo)

''सन 1947 की बात है, यहां झंडा चौक पर कुछ आजादी के दीवाने कैरम बोर्ड खेल रहे थे. रेडियो बज रहा है, तभी आवाज आई कि अंग्रेजों ने देश को आजाद कर दिया यहां से चले गए. उस वक्त जितने लोग यहां मौजूद थे, उन्होंने यहां झंडा फहराया. तब से लेकर आज तक यह सिलसिला जारी है.'' - विजय खेमका, विधायक

हर साल यहां रात 12 बजे झंडारोहण : स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोता विपुल कुमार सिंह अभी तक इस पर्व को मनाते आ रहे हैं. 14 अगस्त की रात पूर्णिया के झंडा चौक पर पूर्णिया वासियों की भीड़ देखने को मिलती है. प्रशासन के वरीय पदाधिकारी के साथ-साथ प्रशासनिक लोग भी इस मौके पर उपस्थित रहते हैं. इस मौके पर स्थानीय लोगों के बीच जलेबी वितरण भी किया जाता है.

माणिक मित्रा की रेडियो की दुकान.. और आजादी : स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोता विपुल सिंह बताते हैं कि ''मेरे दादा रामेश्वर प्रसाद सिंह बताते थे कि उस समय झंडा चौक पर माणिक मित्रा की रेडियों की दुकान थी, लार्ड माउंटबेटन ने रेडियो पर जैसे ही आजादी की घोषणा की, करीब 200 की संख्या की मौजूद लोगों ने भारत माता की जय का नारा लगाया, पूर्णिया के लोग घरों से बाहर निकल आए थे और यहां तिरंगा फहराया गया, तब से यह परंपरा चली आ रही है.''

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Last Updated : Aug 14, 2024, 11:09 AM IST
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