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केरल का एक गांव बना आकर्षण का केंद्र, योग से लाया जीवन में बड़ा बदलाव - International Yoga Day

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 21, 2024, 4:29 PM IST

'Art of Living' Idukki Kerala: केरल के इडुक्की जिले के मनकुलम ग्राम पंचायत में कोझियालक्कुडी आकर्षण का केंद्र बन गया है, जहां पंचायत के प्रत्येक सदस्य को योग का प्रशिक्षण दिया गया है. इसका पूरा श्रेय 'आर्ट ऑफ लिविंग' के प्रशिक्षक केजी अनिल कुमार को जाता है, जिन्हें ऐसा करने में तकरीबन 15 वर्ष का समय लग गया. ये तभी संभव हो पाया, जब यहां के लोगों ने योग करना शुरू किया. पढ़ें ईटीवी भारत की पूरी खबर...

'Art of Living' Idukki Kerala
योगाभ्यास करते हुए गांव वासी (ETV Bharat)

इडुक्की: इडुक्की जिले के मनकुलम ग्राम पंचायत में कोझियालक्कुडी केरल के अज्ञात आदिवासी गांवों में से एक था. आज कोझियालक्कुडी गांव ने एक असाधारण सम्मान प्राप्त किया है और दुनिया भर में आकर्षण का केंद्र बन रहा है. कोझियालक्कुडी केरल का पहला संपूर्ण योग गांव है. यह एक रात में नहीं बना. कोझियालक्कुडी को बदलने का सारा श्रेय 'आर्ट ऑफ लिविंग' के प्रशिक्षक केजी अनिल कुमार को जाता है. अनिल कुमार ने उनसे बात की, उन्हें योग का प्रशिक्षण देना शुरू किया. एक जैसी दिनचर्या का पालन करने वाले इन लोगों की जीवनशैली आज एक अलग स्तर पर है. ये बदलाव तभी आया, जब यहां के लोगों ने योग करना शुरू किया.

यहां कोझियालक्कुडी के सभी परिवार मुतावन जनजाति के हैं. इस गांव को बदलने में अनिल कुमार को 15 साल लग गए. आज से 15 वर्ष पहले अनिल कुमार घने जंगल में बसे कोझियालक्कुडी गांव पहुंचे, जहां लगभग 80 परिवार रह रहे थे. जंगल के वीरान इलाके में रहने वाले यहां के लोग बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रख रहे थे.

योग प्रशिक्षक केजी अनिलकुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि, 'वे एक-दूसरे से बात करने में झिझकते थे. वे बहुत कम बाहर जाते थे. उनका आत्मविश्वास कम था. योग ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद की. आज वे बाहर जाकर अपने प्रयासों में सफल हो सकते हैं'. ग्रामीणों ने अनिल कुमार के निर्देशों का पालन किया. अनिलकुमार आदिमली के निवासी थे. वे हर दिन योग कक्षाएं आयोजित करने के लिए 20 किलोमीटर की यात्रा करते थे. कोझियालक्कुडी के लोग जो पहले बाहरी दुनिया से घुलने-मिलने में झिझकते थे. अब बिना किसी झिझक के बाहरी लोगों से जुड़ते हैं. अपना काम करवाते हैं.

स्थानीय निवासी आशावरकर मंजू ने कहा कि, योग प्रशिक्षण ने गांव की महिलाओं को अपनी मानसिक शक्ति को बेहतर बनाने में मदद की. हम आज चीजों को महसूस कर रहे हैं. हम आज आत्मनिर्भर हैं. आत्मविश्वासी भी हैं. योग सिखाने के साथ-साथ 'आर्ट ऑफ लिविंग' फाउंडेशन इस आदिवासी गांव में शारीरिक विकास को सक्षम बनाने के लिए भी काम कर रहा है.

गांव के प्रधान इंद्रन ने बताया कि कोविड और बाढ़ के दौरान इन ग्रामीणों को पूरी मदद मिली. 3.5 लाख की लागत से यहां योगाभ्यास हॉल भी बनाया गया. 75 परिवार नियमित रूप से योग कक्षाओं में भाग लेते हैं. हमारे लिए यह सिर्फ योगाभ्यास नहीं है, बल्कि हमारी जीवनशैली है. अनिलकुमार ने काश्तकारों को आत्मनिर्भर बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया. आर्ट ऑफ लिविंग ने काश्तकारों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में उनकी मदद की और संकट के समय में उनके साथ खड़ा रहा. योगाभ्यास ने इन परिवारों के जीवन में बड़ा बदलाव किया है. यहां की महिलाएं सार्वजनिक रूप से बोलने से डरती थीं. इस गांव की महिलाएं और बुजुर्ग अब चीजों को समझ रहे हैं और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं. अनिल कुमार क्षेत्र के अन्य वनवासियों को भी योग प्रशिक्षण देने की कोशिश कर रहे हैं.

पढ़ें: 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर श्रीनगर में बोले प्रधानमंत्री मोदी- विश्व देख रहा है कि योग की नई अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है

इडुक्की: इडुक्की जिले के मनकुलम ग्राम पंचायत में कोझियालक्कुडी केरल के अज्ञात आदिवासी गांवों में से एक था. आज कोझियालक्कुडी गांव ने एक असाधारण सम्मान प्राप्त किया है और दुनिया भर में आकर्षण का केंद्र बन रहा है. कोझियालक्कुडी केरल का पहला संपूर्ण योग गांव है. यह एक रात में नहीं बना. कोझियालक्कुडी को बदलने का सारा श्रेय 'आर्ट ऑफ लिविंग' के प्रशिक्षक केजी अनिल कुमार को जाता है. अनिल कुमार ने उनसे बात की, उन्हें योग का प्रशिक्षण देना शुरू किया. एक जैसी दिनचर्या का पालन करने वाले इन लोगों की जीवनशैली आज एक अलग स्तर पर है. ये बदलाव तभी आया, जब यहां के लोगों ने योग करना शुरू किया.

यहां कोझियालक्कुडी के सभी परिवार मुतावन जनजाति के हैं. इस गांव को बदलने में अनिल कुमार को 15 साल लग गए. आज से 15 वर्ष पहले अनिल कुमार घने जंगल में बसे कोझियालक्कुडी गांव पहुंचे, जहां लगभग 80 परिवार रह रहे थे. जंगल के वीरान इलाके में रहने वाले यहां के लोग बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रख रहे थे.

योग प्रशिक्षक केजी अनिलकुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि, 'वे एक-दूसरे से बात करने में झिझकते थे. वे बहुत कम बाहर जाते थे. उनका आत्मविश्वास कम था. योग ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद की. आज वे बाहर जाकर अपने प्रयासों में सफल हो सकते हैं'. ग्रामीणों ने अनिल कुमार के निर्देशों का पालन किया. अनिलकुमार आदिमली के निवासी थे. वे हर दिन योग कक्षाएं आयोजित करने के लिए 20 किलोमीटर की यात्रा करते थे. कोझियालक्कुडी के लोग जो पहले बाहरी दुनिया से घुलने-मिलने में झिझकते थे. अब बिना किसी झिझक के बाहरी लोगों से जुड़ते हैं. अपना काम करवाते हैं.

स्थानीय निवासी आशावरकर मंजू ने कहा कि, योग प्रशिक्षण ने गांव की महिलाओं को अपनी मानसिक शक्ति को बेहतर बनाने में मदद की. हम आज चीजों को महसूस कर रहे हैं. हम आज आत्मनिर्भर हैं. आत्मविश्वासी भी हैं. योग सिखाने के साथ-साथ 'आर्ट ऑफ लिविंग' फाउंडेशन इस आदिवासी गांव में शारीरिक विकास को सक्षम बनाने के लिए भी काम कर रहा है.

गांव के प्रधान इंद्रन ने बताया कि कोविड और बाढ़ के दौरान इन ग्रामीणों को पूरी मदद मिली. 3.5 लाख की लागत से यहां योगाभ्यास हॉल भी बनाया गया. 75 परिवार नियमित रूप से योग कक्षाओं में भाग लेते हैं. हमारे लिए यह सिर्फ योगाभ्यास नहीं है, बल्कि हमारी जीवनशैली है. अनिलकुमार ने काश्तकारों को आत्मनिर्भर बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया. आर्ट ऑफ लिविंग ने काश्तकारों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में उनकी मदद की और संकट के समय में उनके साथ खड़ा रहा. योगाभ्यास ने इन परिवारों के जीवन में बड़ा बदलाव किया है. यहां की महिलाएं सार्वजनिक रूप से बोलने से डरती थीं. इस गांव की महिलाएं और बुजुर्ग अब चीजों को समझ रहे हैं और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं. अनिल कुमार क्षेत्र के अन्य वनवासियों को भी योग प्रशिक्षण देने की कोशिश कर रहे हैं.

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