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लाल आतंक के खतरनाक मंसूबे, ग्रामीणों की मजबूरी का फायदा उठाने की फिराक में माओवादी कमांडर - Maoists plans - MAOISTS PLANS

Maoists plans in Jharkhand. झारखंड में लाल आतंक ने अपने खतरनाक मंसूबे के लिए भोले भाले ग्रामीणों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. माओवादी कमांडर ग्रामीणों का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. पुलिस लगातार ग्रामीणों से संपर्क कर रही है,

Maoists plans in Jharkhand
ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 29, 2024, 1:03 PM IST

Updated : Jun 29, 2024, 1:12 PM IST

पलामू: झारखंड-बिहार सीमा पर लगभग अंत की ओर पहुंच चुके माओवादी लगातार अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं. अब जब वे सुरक्षा बलों से खुद नहीं पार पा रहे हैं, तो उन्होंने भोले-भाले ग्रामीणों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. वे ग्रामीणों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं. माओवादी कमांडर ग्रामीण मजदूरों और छोटे कारोबारियों को अपने जाल में फंसा रहे हैं. प्रत्येक मजदूर को 30 से 40 हजार रुपये देकर माओवादी कमांडर उन्हें अपनी गतिविधियों में शामिल कर रहे हैं.

टॉप माओवादी कमांडर ऐसे ग्रामीण मजदूरों का इस्तेमाल हमले और लेवी के लिए कर रहे हैं. इसकी योजना टॉप माओवादी कमांडर और 15 लाख के इनामी नितेश यादव, 10 लाख के इनामी संजय यादव, 10 लाख के इनामी सुनील विवेक, सीता रजवार ने बनायी है. पुलिस लगातार ग्रामीणों से संपर्क कर उन्हें माओवादियों की इस मंशा के बारे में बता रही है और उनसे इसके जाल में न फंसने की अपील कर रही है.

पुलिस जांच में कई बातें आईं सामने

दरअसल, पिछले दो साल में माओवादियों ने लेवी के लिए पलामू इलाके में दो जगहों पर आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया है. दोनों घटनाओं में स्थानीय ग्रामीणों और मजदूरों का इस्तेमाल किया गया है. पुलिस ने जब घटना की जांच शुरू की तो चौंकाने वाली जानकारी मिली.

पलामू पुलिस ने जब कुछ ग्रामीणों को हिरासत में लिया तो ग्रामीणों ने बताया कि माओवादियों के टॉप कमांडरों ने उन्हें पैसे का लालच दिया था, घटना में मदद के लिए 30 हजार रुपये दिए थे. हिंसक घटना में शामिल एक ऑटो चालक ने बताया कि नितेश यादव ने उसे 40 हजार रुपये दिए थे और आगजनी की घटना में मदद करने को कहा था. इन सबसे जानकारी मिलने के बाद पुलिस अब ग्रामीणों के बीच पहुंच रही है. पलामू एसपी ने लोगों से माओवादियों के इस जाल में न फंसने की अपील की है।

"माओवादी भोले-भाले ग्रामीणों व अन्य लोगों को लालच दे रहे हैं. जो लोग लालच में आ रहे हैं, उन्हें नहीं पता कि वे किस घटना में शामिल हो रहे हैं और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है. माओवादी ग्रामीणों की मजबूरी का फायदा उठाना चाहते हैं. पुलिस माओवादियों के खिलाफ अभियान चला रही है और साथ ही एक-एक कर ग्रामीणों से संपर्क कर रही है. पुलिस लगातार ग्रामीण इलाकों में अपील कर रही है कि लोग नक्सलियों के बहकावे में न आएं. पुलिस को माओवादियों के नेटवर्क की जानकारी मिली है, जिसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है." - रीष्मा रमेशन, एसपी, पलामू

माओवादियों के सामने कैडर की समस्या

नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के सामने कैडर की समस्या है. झारखंड बिहार सीमा पर माओवादियों के कमांडरों की संख्या घटकर आधा दर्जन से भी कम रह गई है. जिसमें से चार कमांडर बिहार के पलामू चतरा और गया सीमा क्षेत्र में सक्रिय हैं. माओवादियों के पास कैडर की संख्या कम है, इसीलिए वे स्थानीय ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर अपने साथ मिलाना चाहते हैं. लेवी वसूलने के लिए माओवादी कमांडर यह तरीका अपना रहे हैं. झारखंड के पलामू चतरा और बिहार के गया, औरंगाबाद से माओवादी सालाना 70 करोड़ रुपए से अधिक की लेवी वसूलते थे. धीरे-धीरे कई इलाकों में माओवादियों को लेवी मिलनी बंद हो गई है.

यह भी पढ़ें: झारखंड में माओवादियों के दो टॉप कमांडर हुए अलग, अंदरूनी दरार या ये है असली वजह...

यह भी पढ़ें: माओवादी कमांडरों को भूतों का खौफ! अनजान सायों से परेशान नक्सली, कर रहे अजीबोगरीब हरकतें

यह भी पढ़ें: बीड़ी पत्ता के पैसे से माओवादी खरीदते थे हथियार और विस्फोटक! लेवी वसूलने के फिराक में माओवादी, रोकने के लिए पुलिस की ये है तैयारी

पलामू: झारखंड-बिहार सीमा पर लगभग अंत की ओर पहुंच चुके माओवादी लगातार अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं. अब जब वे सुरक्षा बलों से खुद नहीं पार पा रहे हैं, तो उन्होंने भोले-भाले ग्रामीणों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. वे ग्रामीणों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं. माओवादी कमांडर ग्रामीण मजदूरों और छोटे कारोबारियों को अपने जाल में फंसा रहे हैं. प्रत्येक मजदूर को 30 से 40 हजार रुपये देकर माओवादी कमांडर उन्हें अपनी गतिविधियों में शामिल कर रहे हैं.

टॉप माओवादी कमांडर ऐसे ग्रामीण मजदूरों का इस्तेमाल हमले और लेवी के लिए कर रहे हैं. इसकी योजना टॉप माओवादी कमांडर और 15 लाख के इनामी नितेश यादव, 10 लाख के इनामी संजय यादव, 10 लाख के इनामी सुनील विवेक, सीता रजवार ने बनायी है. पुलिस लगातार ग्रामीणों से संपर्क कर उन्हें माओवादियों की इस मंशा के बारे में बता रही है और उनसे इसके जाल में न फंसने की अपील कर रही है.

पुलिस जांच में कई बातें आईं सामने

दरअसल, पिछले दो साल में माओवादियों ने लेवी के लिए पलामू इलाके में दो जगहों पर आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया है. दोनों घटनाओं में स्थानीय ग्रामीणों और मजदूरों का इस्तेमाल किया गया है. पुलिस ने जब घटना की जांच शुरू की तो चौंकाने वाली जानकारी मिली.

पलामू पुलिस ने जब कुछ ग्रामीणों को हिरासत में लिया तो ग्रामीणों ने बताया कि माओवादियों के टॉप कमांडरों ने उन्हें पैसे का लालच दिया था, घटना में मदद के लिए 30 हजार रुपये दिए थे. हिंसक घटना में शामिल एक ऑटो चालक ने बताया कि नितेश यादव ने उसे 40 हजार रुपये दिए थे और आगजनी की घटना में मदद करने को कहा था. इन सबसे जानकारी मिलने के बाद पुलिस अब ग्रामीणों के बीच पहुंच रही है. पलामू एसपी ने लोगों से माओवादियों के इस जाल में न फंसने की अपील की है।

"माओवादी भोले-भाले ग्रामीणों व अन्य लोगों को लालच दे रहे हैं. जो लोग लालच में आ रहे हैं, उन्हें नहीं पता कि वे किस घटना में शामिल हो रहे हैं और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है. माओवादी ग्रामीणों की मजबूरी का फायदा उठाना चाहते हैं. पुलिस माओवादियों के खिलाफ अभियान चला रही है और साथ ही एक-एक कर ग्रामीणों से संपर्क कर रही है. पुलिस लगातार ग्रामीण इलाकों में अपील कर रही है कि लोग नक्सलियों के बहकावे में न आएं. पुलिस को माओवादियों के नेटवर्क की जानकारी मिली है, जिसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है." - रीष्मा रमेशन, एसपी, पलामू

माओवादियों के सामने कैडर की समस्या

नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के सामने कैडर की समस्या है. झारखंड बिहार सीमा पर माओवादियों के कमांडरों की संख्या घटकर आधा दर्जन से भी कम रह गई है. जिसमें से चार कमांडर बिहार के पलामू चतरा और गया सीमा क्षेत्र में सक्रिय हैं. माओवादियों के पास कैडर की संख्या कम है, इसीलिए वे स्थानीय ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर अपने साथ मिलाना चाहते हैं. लेवी वसूलने के लिए माओवादी कमांडर यह तरीका अपना रहे हैं. झारखंड के पलामू चतरा और बिहार के गया, औरंगाबाद से माओवादी सालाना 70 करोड़ रुपए से अधिक की लेवी वसूलते थे. धीरे-धीरे कई इलाकों में माओवादियों को लेवी मिलनी बंद हो गई है.

यह भी पढ़ें: झारखंड में माओवादियों के दो टॉप कमांडर हुए अलग, अंदरूनी दरार या ये है असली वजह...

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यह भी पढ़ें: बीड़ी पत्ता के पैसे से माओवादी खरीदते थे हथियार और विस्फोटक! लेवी वसूलने के फिराक में माओवादी, रोकने के लिए पुलिस की ये है तैयारी

Last Updated : Jun 29, 2024, 1:12 PM IST
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