नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार को तिरुपति के प्रसादम में मिलावट की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की. सोशल मीडिया 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि मैं तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले की जांच के लिए सीबीआई, एपी पुलिस और एफएसएसएआई के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं. सत्यमेव जयते. ओम नमो वेंकटेशाय.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी दल वाईएसआरसीपी ने इसे टीडीपी और सीएम चंद्रबाबू नायडू के लिए झटका माना है. वाईएसआरसीपी ने 'एक्स' पर पोस्ट में लिखा कि लड्डू पर राजनीतिक टिप्पणी न करें. ड्रामा न करें. चंद्रबाबू और गठबंधन सरकार के नेताओं की सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आलोचना की थी. व्यापक जांच के लिए सीबीआई निदेशक की निगरानी में पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया था.
I welcome the Honourable Supreme Court’s order of setting up SIT, comprising officers from CBI, AP Police and FSSAI to investigate the issue of adulteration of Tirupati laddu.
— N Chandrababu Naidu (@ncbn) October 4, 2024
Satyamev Jayate.
Om Namo Venkatesaya.
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि तिरुमाला प्रसादम से दुनिया भर के करोड़ों भक्तों की भावनाएं जुड़ी हैं. पीठ ने याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि हम नहीं चाहते कि यह राजनीतिक ड्रामा बन जाए. अगर कोई स्वतंत्र संस्था होगी, तो विश्वास बना रहेगा.
सर्वोच्च न्यायालय ने एक नई एसआईटी गठित की और आदेश दिया कि एसआईटी में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के दो अधिकारी शामिल होंगे जिन्हें सीबीआई निदेशक द्वारा नामित किया जाएगा. आंध्र प्रदेश राज्य पुलिस के दो अधिकारी जिन्हें राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाएगा और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) का एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल होगा.
शीर्ष अदालत ने कहा कि एसआईटी की निगरानी सीबीआई निदेशक करेंगे और नई एसआईटी राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जगह लेगी. इसने स्पष्ट किया कि उसके निर्देश को राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी के सदस्यों की विश्वसनीयता के प्रतिबिंब के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.
पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री से मंदिर में प्रसाद के लिए लड्डू तैयार करने में मिलावटी घी के इस्तेमाल के बारे में सार्वजनिक आरोप लगाने पर सवाल उठाए थे. इस मुद्दे पर सार्वजनिक बयान देने की आवश्यकता पर सवाल उठाया था, जबकि राज्य ने आरोपों की जांच के आदेश पहले ही दे दिए थे.