ETV Bharat / bharat

तिरुपति लड्डू विवाद मामले में SIT जांच रोकी गई, आंध्र प्रदेश के डीजीपी ने दी जानकारी - Tirupati Laddu Row - TIRUPATI LADDU ROW

Tirupati Laddu Row: तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद में मिलावट मामले में एसआईटी जांच स्थगित कर दी गई है. आंध्र प्रदेश के डीजीपी द्वारका तिरुमाला राव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट मामले में अगली सुनवाई तीन अक्टूबर को करेगी, तब तक एसआईटी जांच स्थगित रहेगी.

Tirupati Laddu prasadam case SIT investigation will be suspended until October 3
तिरुपति लड्डू विवाद मामले में SIT जांच रोकी गई (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 1, 2024, 3:59 PM IST

तिरुपति: आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में मिलने वाले में लड्डू में मिलावट मामले में एसआईटी जांच रोक दी गई है. आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारका तिरुमाला राव ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी. राव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है. मामले में अगली सुनवाई तीन अक्टूबर को होनी है, तब तक एसआईटी जांच स्थगित रहेगी.

उन्होंने कहा कि एसआईटी का गठन तिरुपति लड्डू प्रसादम मामले की जांच के लिए किया गया था और निलंबन जांच की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एक एहतियाती कदम है.

उन्होंने कहा कि किसी भी संभावित कानूनी जटिलताओं से बचने के लिए अस्थायी निलंबन जरूरी है. एसआईटी की जांच सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार आगे बढ़ेगी, जिससे निष्पक्ष जांच सुनिश्चित होगी. राव ने स्पष्ट किया कि तीन अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश जारी होने के बाद जांच फिर से शुरू होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने सीएम नायडू के बयान पर उठाए थे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के लड्डू को बनाने में मिलावटी घी के इस्तेमाल के बारे में सार्वजनिक बयान देने पर सवाल उठाए थे. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मुख्यमंत्री नायडू की आलोचना करते हुए कहा कि अभी तक इस बात का कोई निर्णायक सबूत नहीं है कि लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कम से कम भगवान को तो राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए. कोर्ट ने सबूत मांगते हुए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के इस दावे पर सवाल उठाया कि तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में पशुओं की चर्बी का प्रयोग किया गया.

पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने लड्डू प्रसादम के संबंध में दावा 18 सितंबर को किया, जबकि मामले में 25 सितंबर को एफआईआर दर्ज की गई और एसआईटी का गठन 26 सितंबर को किया गया. पीठ ने कहा कि एक उच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए सार्वजनिक रूप से ऐसा बयान देना उचित नहीं है, जो करोड़ों लोगों की भावनाओं को प्रभावित कर सकता है.

पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह निर्णय लेने में सहायता करने को कहा कि क्या राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जांच जारी रहनी चाहिए या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए. मेहता ने पीठ से कहा कि यह आस्था का मामला है, इस वजह से अगर लड्डू बनाने में दूषित घी का प्रयोग किया गया है तो यह अस्वीकार्य है.

सुप्रीम कोर्ट कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में पशु चर्बी के कथित प्रयोग की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग भी शामिल है.

यह भी पढ़ें- तिरुपति बालाजी मंदिर में कब शुरू हुई लड्डू प्रसाद की परंपरा, जानें कितनी है कीमत

तिरुपति: आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में मिलने वाले में लड्डू में मिलावट मामले में एसआईटी जांच रोक दी गई है. आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारका तिरुमाला राव ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी. राव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है. मामले में अगली सुनवाई तीन अक्टूबर को होनी है, तब तक एसआईटी जांच स्थगित रहेगी.

उन्होंने कहा कि एसआईटी का गठन तिरुपति लड्डू प्रसादम मामले की जांच के लिए किया गया था और निलंबन जांच की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एक एहतियाती कदम है.

उन्होंने कहा कि किसी भी संभावित कानूनी जटिलताओं से बचने के लिए अस्थायी निलंबन जरूरी है. एसआईटी की जांच सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार आगे बढ़ेगी, जिससे निष्पक्ष जांच सुनिश्चित होगी. राव ने स्पष्ट किया कि तीन अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश जारी होने के बाद जांच फिर से शुरू होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने सीएम नायडू के बयान पर उठाए थे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के लड्डू को बनाने में मिलावटी घी के इस्तेमाल के बारे में सार्वजनिक बयान देने पर सवाल उठाए थे. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मुख्यमंत्री नायडू की आलोचना करते हुए कहा कि अभी तक इस बात का कोई निर्णायक सबूत नहीं है कि लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कम से कम भगवान को तो राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए. कोर्ट ने सबूत मांगते हुए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के इस दावे पर सवाल उठाया कि तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में पशुओं की चर्बी का प्रयोग किया गया.

पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने लड्डू प्रसादम के संबंध में दावा 18 सितंबर को किया, जबकि मामले में 25 सितंबर को एफआईआर दर्ज की गई और एसआईटी का गठन 26 सितंबर को किया गया. पीठ ने कहा कि एक उच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए सार्वजनिक रूप से ऐसा बयान देना उचित नहीं है, जो करोड़ों लोगों की भावनाओं को प्रभावित कर सकता है.

पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह निर्णय लेने में सहायता करने को कहा कि क्या राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जांच जारी रहनी चाहिए या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए. मेहता ने पीठ से कहा कि यह आस्था का मामला है, इस वजह से अगर लड्डू बनाने में दूषित घी का प्रयोग किया गया है तो यह अस्वीकार्य है.

सुप्रीम कोर्ट कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में पशु चर्बी के कथित प्रयोग की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग भी शामिल है.

यह भी पढ़ें- तिरुपति बालाजी मंदिर में कब शुरू हुई लड्डू प्रसाद की परंपरा, जानें कितनी है कीमत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.