देहरादून (उत्तराखंड): हल्द्वानी देवभूमि उत्तराखंड का दूसरा बड़ा शहर है. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से सपनों की गठरी उठाये लोग मैदानी इलाकों में पहुंचते हैं. तब वे हल्द्वानी, देहरादून, हरिद्वार, रुद्रपुर जैसे इलाकों में अपने हिस्से की जिंदगी जीना शुरू करते हैं. मगर आजकल पहाड़ के ये मैदानी इलाके भी अशांत हो गये हैं. इनमें हल्द्वानी की चर्चाएं पिछले कुछ सालों में आम हो गई है. चाहे वो रेलवे अतिक्रमण का मामला हो या फिर बीते दिन हुई हल्द्वानी हिंसा, इन सभी के कारण हल्द्वानी चर्चाओं में है. आजकल हल्द्वानी हिंसा की तपिश में जल रहा है. जिसके कारण 'पहाड़' पर अलर्ट किया गया है.
हल्द्वानी के वनभूलपुरा इलाके में पलपल हालात बदलते रहे. हल्द्वानी हिंसा मामले में जिला अधिकारी वंदना सिंह ने बताया यह साजिश अचानक नहीं बल्कि प्लानिंग के तहत की गई है. हल्द्वानी में अचानक सुबह जब लोग सो कर उठे तो ऐसा कुछ भी नहीं था फिर ऐसा क्या हुआ और कब हुआ की 24 घंटे बाद भी हल्द्वानी दहशत में है.
जिलाधिकारी के निर्देशों पर हल्द्वानी का जिला प्रशासन वनभूलपुरा में सरकारी संपत्ति पर बनाए गए धार्मिक स्थल को हटाने गया था. एक बुलडोजर और कर्मचारियों के साथ उस इमारत को गिराया ही जा रहा था कि आसपास लोगों की भीड़ इकट्ठा होना शुरू हो गई.
यह घटना दोपहर लगभग 3:16 की है, जब प्रशासन की एक टीम मौके पर पहुंची. धार्मिक स्थल को हटाने आई टीम को यह लगने लगा था कि मामला बिगड़ सकता है. ऐसे में 4:15 पर स्थानीय थाने ने और सुरक्षा बल की मांग की. इसके बाद 15 मिनट में ही आसपास की तमाम चौकियों और कोतवाली से पुलिस 4:30 पर मौके पर पहुंची. पुलिस को देखकर कुछ स्थानीय नेता उनसे बात करने लगे. बातचीत करते हुए ही पुलिस और स्थानीय लोगों में बहस होनी शुरू हो जाती है. अभी कुछ पुलिस समझ ही पाती की एक ओर से पुलिस के बैरिकेडिंग तोड़ने की खबर पुलिस को मिली. उस वक्त घड़ी में लगभग 4:47 बजे थे.
इसके बाद जब भीड़ इकठ्ठा होती है तो लगभग 5:00 बजे भीड़ अतिक्रमण हटा रही जेसीबी को रोक लेती है. लोग उसके आगे खड़े हो जाते हैं. ड्राइवर के साथ भी बदतमीजी करने लगते हैं. तब तक स्थानीय प्रशासन और पुलिस को यह अंदाजा हो जाता है कि मामला बिगड़ सकता है. लिहाजा और अधिक फोर्स की मांग की जाती है. पुलिस के आने पर जेसीबी ने 5:00 बजे एक बार फिर से काम करना शुरू किया.
जेसीबी दोबारा चलने पर 5:10 बजे पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू हो जाती है. यह पथराव इतना अधिक नहीं था कि पुलिस उस वक्त बल प्रयोग करती. इसके बाद पुलिस और प्रशासन के तमाम बड़े अधिकारी मौके पर पहुंच जाते हैं. उस वक्त घड़ी में 5:10 बज रहे होते हैं. जिसके बाद पुलिस विरोधियों को इधर-उधर करना शुरू कर देती है. इस कार्रवाई को देखने के बाद एक तरफ से पुलिस पर फिर से पथराव शुरू हो जाता है. यह घटना थोड़ी शांत होती है. जिसके बाद जेसीबी अपना काम शुरू कर देती है. तभी 5:18 बजे भीड़ एक बार फिर से पथराव करना शुरू कर देती है. चारों तरफ से नारेबाजी और पुलिस का विरोध शुरू हो जाता है.
इसके बाद 5:25 बजे पुलिस स्पीकर के माध्यम से क्षेत्र में चेतावनी जारी करती है. 5:28 बजे पुलिस प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़ती है. इसके बाद हालत बिगड़ने चले जाते हैं. लगभग 5:45 बजे सड़क पर खड़े वाहनों में प्रदर्शनकारियों द्वारा आग लगाने की खबर आती है. इस आगजनी में 20 से अधिक वाहन जलकर राख हो जाते हैं. लगभग 6:05 बजे यह साफ हो जाता है कि इस घटना में 40 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं. सभी पुलिसकर्मियों को अस्पताल भेजा जाता है. इधर पुलिस मोर्चा संभालते हुए अपनी कार्रवाई करती है.
भीड़ की उग्रता को देखते हुए जेसीबी को वापस वहां से बुला लिया जाता है. तब तक पुलिस की गाड़ियां उस इलाके की गलियों में फंस जाती हैं. 6:40 बजे पुलिस की गाड़ियों में भी आग लगा दी जाती है. वहां पेट्रोल बम का प्रयोग किया जाता है. 7:00 बजे यह आग और भी उग्र होने लगती है. धीरे धीरे क्षेत्र में चारों तरफ अफरा तफरी का माहौल हो जाता है. 8:15 बजे जिलाधिकारी इस बात को समझाती हैं कि क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा है. ऐसे में कर्फ्यू लगाने के आदेश जारी किया जाता है. 9:00 बजे पूरे क्षेत्र में कर्फ्यू के हालात साफ दिखाई देने लगते हैं.
कर्फ्यू के बाद जो लोग रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर खड़े थे उन्हें घर भेजा जाता है. सड़क पर कोई भी एक्टिविटी न हो यह सुनिश्चित किया जाता है. रात के 10:00 बजे इलाके में पेट्रोल बम के साथ हमले की खबर आने लगी. इसके बाद पुलिस लगातार घायलों और प्रदर्शनकारियों को इधर-उधर करती रही.
रात लगभग 12:00 बजे तमाम बड़े अधिकारी शहर में निकलकर शहर का जायजा लेते हैं. इस बीच लगातार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रात 2:00 बजे तक जिले के अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात करते रहे. देर रात 3 बजे हिंसा थमती है.
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