रायपुर: छत्तीसगढ़ में बस्तर से रायपुर, सरगुजा से बिलासपुर और गरियाबंद से दुर्ग तक डॉक्टरों ने मरीजों का इलाज छोड़कर विरोध प्रदर्शन का रुख अख्तियार कर लिया. शनिवार को प्रदेश के साढ़े चार हजार से ज्यादा डॉक्टर्स हड़ताल पर उतर गए. इससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ा. गनीमत रही कि डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाओं को हड़ताल से अलग रखा.
कोलकाता लेडी डॉक्टर रेप मर्डर कांड को लेकर गुस्सा: छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों ने ये हड़ताल कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर से रेप की घटना के विरोध में किया है. हड़ताली डॉक्टरों ने इस केस के आरोपी को सजा देने की मांग की है. इसके साथ ही डॉक्टरों और हेल्थ वर्करों के सुरक्षा की भी मांग डॉक्टरों ने की है. कोलकाता रेप की घटना को लेकर डॉक्टरों ने विरोध किया.
"भारतीय चिकित्सा संघ आईएमए के बुलाए गए बंद का पूरे राज्य में असर देखने को मिला. राज्य में 4,500 से अधिक सरकारी और निजी डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं बंद कर दी हैं. रविवार सुबह 6 बजे तक आपातकालीन सेवा की जरूरत वाले मरीजों को छोड़कर किसी भी मरीज को नहीं देखा जाएगा.हम चाहते हैं कि सरकार हमारी मांगों पर ध्यान दें और ऐसा कानून बनाए जो कार्यस्थल पर स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को हिंसा से सुरक्षा सुनिश्चित करे": डॉक्टर राकेश गुप्ता, अध्यक्ष, आईएमए, छत्तीसगढ़
"24 घंटे की "सांकेतिक हड़ताल" कोलकाता की घटना के पीड़ित को न्याय दिलाने और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए सुरक्षा बढ़ाने की मांग को लेकर थी, ताकि देश में कहीं भी ऐसी घटनाएं दोबारा न हों":डॉक्टर मुकेश कुमार हेला, सिविल सर्जन, गरियाबंद जिला अस्पताल
हड़ताल में डॉक्टरों के कौन कौन से संघ हुए शामिल: इस हड़ताल में जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन, इंडियन डेंटल एसोसिएशन, छत्तीसगढ़ नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन शामिल रहे. इसके अलावा इंडियन फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन, फार्मासिस्ट एसोसिएशन, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव और मेडिकल कॉलेजों के छात्रों के साथ-साथ आईएमए रायपुर के सदस्य भी शामिल हुए. इससे पहले शुक्रवार को कोलकाता की घटना के विरोध में डॉक्टरों ने कैंडल मार्च निकाला था.
सौ. पीटीआई