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ये 5 मुद्दे हरियाणा में बीजेपी का कहीं खेल ना बिगाड़ दें, 25 को है मतदान - ISSUES AGAINST BJP IN HARYANA - ISSUES AGAINST BJP IN HARYANA

Issues Against BJP In Haryana: क्या हरियाणा में बीजेपी एक बार फिर सभी सीटों पर जीत हासिल कर पायेगी. या फिर इस बार कांग्रेस बीजेपी का खेल बिगाड़ देगी. हरियाणा में कई ऐसे मुद्दे हैं जो सरकार के लिए पहले ही मुसीबत बने हुए हैं. राजनीति के जानकार कहते हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव में इसका असर देखने को मिल सकता है. आइये आपको बताते हैं हरियाणा में वो कौन से मुद्दे हैं जो बीजेपी के संकट साबित हो सकते हैं.

Issues Against BJP IN Haryana
हरियाणा में 5 बड़े मुद्दे. (Photo- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : May 24, 2024, 6:11 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान 25 मई को है. उससे पहले सियासी पंडित नतीजों का गुणा गणित करने लगे हैं. इस समय ये जानना जरूरी है कि हरियाणा में कौन से बड़े मुद्दे हैं जिस पर जनता वोट करना चाहती है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 के चुनाव में बीजेपी के लिए सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करना आसान नहीं होगा. क्योंकि हरियाणा में कई बड़े मुद्दों का जनता पर असर है और दूसरी तरफ पार्टी एंटी इनकंबेंसी का भी सामना कर रही है. यहां हम हरियाणा के 5 बड़े मुद्दों की बात कर रहे हैं जो बीजेपी के लिए बड़े पेंच हैं.

किसान आंदोलन पार्ट-1 का असर

सितंबर 2020 से लेकर एक साल से ज्यादा चले ऐतिहासिक किसान आंदोलन के बाद ये पहला लोकसभा चुनाव है. किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर हरियाणा और पंजाब में था. आंदोलन के आगे पीएम मोदी को भी झुकना पड़ा और 19 नवंबर 2021 को सरकार ने तीनों कृषि बिल वापस ले लिया. सरकार ने कृषि कानून तो वापस ले लिया लेकिन MSP की गारंटी समेत किसानों की मांगें आज तक पूरी नहीं हुईं. इसलिए किसानों में अभी भी नाराजगी है. इसका असर लोकसभा चुनाव में दिख सकता है. कई जगह बीजेपी उम्मीदवारों को गांवों में घुसने नहीं दिया गया. हरियाणा में 65 प्रतिशत से ज्यादा आबादी किसानी से जुड़ी है.

farmer protest in haryana
हरियाणा में किसानों का ट्रैक्टर मार्च (File Photo)

सेना में अग्निवीर योजना का विरोध

देश की सेना में हर 10वां सैनिक हरियाणा का है. इसलिए सेना में शुरू की गई आग्निवीर योजना का सबसे ज्यादा विरोध भी हरियाणा में हुआ. खासकर दक्षिण हरियाणा का अहीरवाल (रेवाड़ी, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, भिवानी) भारत का Texas कहा जाता है, जहां से सबसे ज्यादा युवा सेना में भर्ती होते हैं. पीएम मोदी 23 मई को महेंद्रगढ़ रैली करने तो पहुंचे लेकिन अग्निवीर योजना का जिक्र तक नहीं किया. इसलिए हरियाणा की कम से कम दो सीटों (गुड़गांव और भिवानी-महेंद्रगढ़) पर अग्निवीर योजना के विरोध का असर दिख सकता है. राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार में इस योजना को खत्म करने का वादा किया है. रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अधिकारियों को छोड़कर भारतीय सेना में 89 हजार 88 सैनिक हरियाणा के हैं, जो पूरे देश में छठे नंबर पर आते हैं.

protest against agniveer scheme in haryana
हरियाणा में अग्निवीर योजना के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन (File Photo)

हरियाणा के सरपंचों ने किया विरोध का ऐलान

हरियाणा में सभी गांवों के सरपंच ई-टेंडरिंग को लेकर बीजेपी सरकार से नाराज हैं. पिछले साल मार्च 2023 में सरपंचों ने बड़ा आंदोलन किया. पंचकूला में आंदोलन के दौरान उनके ऊपर लाठीचार्ज किया गया लेकिन उनकी मांगों पर सरकार के साथ सहमति नहीं बनी. जिसके बाद सरपंच एसोसिएशन ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ वोट करने का ऐलान किया है. हरियाणा में कुल 6222 पंचायतें हैं. सरपंचों की नाराजगी से गांव-गांव में बीजेपी का विरोध है. इस विरोध का भी असर लोकसभा चुनाव 2024 में देखने को मिल सकता है.

sarpanch protest in haryana
पंचकूला में सरपंचों और पुलिस के बीच झड़प. (File Photo)

पुरानी पेंशन के लिए विरोध कर रहे सरकारी कर्मचारी

हरियाणा सरकार की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में 3 लाख 38 हजार 921 सरकारी कर्मचारी हैं. उनके साथ उनका परिवार भी जुड़ा है. वोटर के तौर पर उनकी बड़ी संख्या है. सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (OPS) के बहाली की मांग कर रहे हैं. सर्व कर्मचारी संघ और पेंशन बहाली समिति हरियाणा पूरे प्रदेश में OPS के लिए प्रदर्शन कर रही है. इसी साल 11 फरवरी को भी जींद में कर्मचारियों ने बड़ी रैली की थी. कांग्रेस ने अपनी सरकार बनने पर OPS का वादा किया है. इसलिए कर्मचारियों ने कांग्रेस को वोट करने का ऐलान किया है. जाहिर सी बात है कि कर्मचारियों की नाराजगी भी बीजेपी के लिए भारी पड़ सकती है.

ops demand in haryana
सरकारी कर्मचारियों की रैली में दीपेंद्र हुड्डा (File Photo)

आशा वर्कर और आंगनवाड़ी कर्मचारियों का विरोध

हरियाणा में करीब 20350 आशा वर्कर हैं. उनके साथ उनके परिवार को भी जोड़ लें तो वोटर की संख्या बड़ी हो जाती है. हरियाणा में आशा वर्कर अपना मेहनताना बढ़ाने समेत कई मांगों को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रही हैं. 2023 में लगातार 73 दिन तक उन्होंने प्रदर्शन किया था. इसके अलावा आंगनवाड़ी कर्मचारी भी सरकार से नाराज हैं. वहीं हरियाणा में आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स को मिलाकर इनकी संख्या करीब 50 हजार है. इस पेशे में ज्यादातर ग्रामीण स्तर की महिलाएं और कर्मचारी काम करते हैं. इनकी नाराजगी भी बीजेपी उम्मीदवारों के लिए टेंशन बनी हुई है, जो चुनाव में असर कर सकती है.

Asha Worker protest in haryana
प्रदर्शनकारी आशा वर्कर (File Photo)
ये भी पढ़ें- एक क्लिक में जानें वोटिंग से ठीक पहले हरियाणा के सभी दस लोकसभा सीट का हाल, कौन आगे है तो कौन पीछे!
ये भी पढ़ें- हरियाणा में ई टेंडरिंग पर बवाल: पंचकूला में प्रदर्शन कर रहे सरपंचों ने किया पथराव, पुलिस ने किया लाठीचार्ज
ये भी पढ़ें- जींद में कर्मचारियों की ललकार, पुरानी पेंशन बहाल न होने पर बीजेपी के विरोध का ऐलान
ये भी पढ़ें- आशा वर्कर्स ने दी राज्य स्तरीय विरोध की चेतावनी, सरकार से मांगें मानने की अपील
ये भी पढ़ें- हरियाणा में अग्निपथ पर बवाल, पलवल में फूंकी गाड़ियां, रेवाड़ी में लाठीचार्ज, रोहतक में युवक ने फांसी लगाई

चंडीगढ़: हरियाणा में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान 25 मई को है. उससे पहले सियासी पंडित नतीजों का गुणा गणित करने लगे हैं. इस समय ये जानना जरूरी है कि हरियाणा में कौन से बड़े मुद्दे हैं जिस पर जनता वोट करना चाहती है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 के चुनाव में बीजेपी के लिए सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करना आसान नहीं होगा. क्योंकि हरियाणा में कई बड़े मुद्दों का जनता पर असर है और दूसरी तरफ पार्टी एंटी इनकंबेंसी का भी सामना कर रही है. यहां हम हरियाणा के 5 बड़े मुद्दों की बात कर रहे हैं जो बीजेपी के लिए बड़े पेंच हैं.

किसान आंदोलन पार्ट-1 का असर

सितंबर 2020 से लेकर एक साल से ज्यादा चले ऐतिहासिक किसान आंदोलन के बाद ये पहला लोकसभा चुनाव है. किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर हरियाणा और पंजाब में था. आंदोलन के आगे पीएम मोदी को भी झुकना पड़ा और 19 नवंबर 2021 को सरकार ने तीनों कृषि बिल वापस ले लिया. सरकार ने कृषि कानून तो वापस ले लिया लेकिन MSP की गारंटी समेत किसानों की मांगें आज तक पूरी नहीं हुईं. इसलिए किसानों में अभी भी नाराजगी है. इसका असर लोकसभा चुनाव में दिख सकता है. कई जगह बीजेपी उम्मीदवारों को गांवों में घुसने नहीं दिया गया. हरियाणा में 65 प्रतिशत से ज्यादा आबादी किसानी से जुड़ी है.

farmer protest in haryana
हरियाणा में किसानों का ट्रैक्टर मार्च (File Photo)

सेना में अग्निवीर योजना का विरोध

देश की सेना में हर 10वां सैनिक हरियाणा का है. इसलिए सेना में शुरू की गई आग्निवीर योजना का सबसे ज्यादा विरोध भी हरियाणा में हुआ. खासकर दक्षिण हरियाणा का अहीरवाल (रेवाड़ी, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, भिवानी) भारत का Texas कहा जाता है, जहां से सबसे ज्यादा युवा सेना में भर्ती होते हैं. पीएम मोदी 23 मई को महेंद्रगढ़ रैली करने तो पहुंचे लेकिन अग्निवीर योजना का जिक्र तक नहीं किया. इसलिए हरियाणा की कम से कम दो सीटों (गुड़गांव और भिवानी-महेंद्रगढ़) पर अग्निवीर योजना के विरोध का असर दिख सकता है. राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार में इस योजना को खत्म करने का वादा किया है. रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अधिकारियों को छोड़कर भारतीय सेना में 89 हजार 88 सैनिक हरियाणा के हैं, जो पूरे देश में छठे नंबर पर आते हैं.

protest against agniveer scheme in haryana
हरियाणा में अग्निवीर योजना के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन (File Photo)

हरियाणा के सरपंचों ने किया विरोध का ऐलान

हरियाणा में सभी गांवों के सरपंच ई-टेंडरिंग को लेकर बीजेपी सरकार से नाराज हैं. पिछले साल मार्च 2023 में सरपंचों ने बड़ा आंदोलन किया. पंचकूला में आंदोलन के दौरान उनके ऊपर लाठीचार्ज किया गया लेकिन उनकी मांगों पर सरकार के साथ सहमति नहीं बनी. जिसके बाद सरपंच एसोसिएशन ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ वोट करने का ऐलान किया है. हरियाणा में कुल 6222 पंचायतें हैं. सरपंचों की नाराजगी से गांव-गांव में बीजेपी का विरोध है. इस विरोध का भी असर लोकसभा चुनाव 2024 में देखने को मिल सकता है.

sarpanch protest in haryana
पंचकूला में सरपंचों और पुलिस के बीच झड़प. (File Photo)

पुरानी पेंशन के लिए विरोध कर रहे सरकारी कर्मचारी

हरियाणा सरकार की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में 3 लाख 38 हजार 921 सरकारी कर्मचारी हैं. उनके साथ उनका परिवार भी जुड़ा है. वोटर के तौर पर उनकी बड़ी संख्या है. सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (OPS) के बहाली की मांग कर रहे हैं. सर्व कर्मचारी संघ और पेंशन बहाली समिति हरियाणा पूरे प्रदेश में OPS के लिए प्रदर्शन कर रही है. इसी साल 11 फरवरी को भी जींद में कर्मचारियों ने बड़ी रैली की थी. कांग्रेस ने अपनी सरकार बनने पर OPS का वादा किया है. इसलिए कर्मचारियों ने कांग्रेस को वोट करने का ऐलान किया है. जाहिर सी बात है कि कर्मचारियों की नाराजगी भी बीजेपी के लिए भारी पड़ सकती है.

ops demand in haryana
सरकारी कर्मचारियों की रैली में दीपेंद्र हुड्डा (File Photo)

आशा वर्कर और आंगनवाड़ी कर्मचारियों का विरोध

हरियाणा में करीब 20350 आशा वर्कर हैं. उनके साथ उनके परिवार को भी जोड़ लें तो वोटर की संख्या बड़ी हो जाती है. हरियाणा में आशा वर्कर अपना मेहनताना बढ़ाने समेत कई मांगों को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रही हैं. 2023 में लगातार 73 दिन तक उन्होंने प्रदर्शन किया था. इसके अलावा आंगनवाड़ी कर्मचारी भी सरकार से नाराज हैं. वहीं हरियाणा में आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स को मिलाकर इनकी संख्या करीब 50 हजार है. इस पेशे में ज्यादातर ग्रामीण स्तर की महिलाएं और कर्मचारी काम करते हैं. इनकी नाराजगी भी बीजेपी उम्मीदवारों के लिए टेंशन बनी हुई है, जो चुनाव में असर कर सकती है.

Asha Worker protest in haryana
प्रदर्शनकारी आशा वर्कर (File Photo)
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