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सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के साथ बायजू के 159 करोड़ के निपटान बकाया को मंजूरी के आदेश पर लगाई रोक - BCCI and Byjus Dispute

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश पर रोक लगा दी. इस आदेश में एड-टेक प्रमुख बायजू के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही को रद्द कर दिया गया था और बीसीसीआई के साथ 158.9 करोड़ के बकाये के निपटान को मंजूरी दे दी.

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सुप्रीम कोर्ट (फोटो - ANI Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 14, 2024, 7:08 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) द्वारा पारित आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें एड-टेक प्रमुख बायजू के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही को रद्द कर दिया गया और बीसीसीआई के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाये के निपटान को मंजूरी दे दी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, ने एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी. इससे पहले अमेरिका स्थित लेनदार ग्लास ट्रस्ट कंपनी एलएलसी ने न्यायाधिकरण के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

पीठ ने बीसीसीआई को बायजू से प्राप्त 158.9 करोड़ रुपये को अगले निर्देश तक एस्क्रो खाते में रखने का निर्देश दिया. बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एनसीएलएटी के फैसले पर रोक लगाने का विरोध किया. पीठ ने एनसीएलएटी के 2 अगस्त, 2024 के आदेश की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिका पर बायजू को नोटिस भी जारी किया.

सुनवाई के दौरान, अमेरिका स्थित ऋणदाता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि एनसीएलएटी का निर्णय सही नहीं था और यह प्रक्रियात्मक रूप से कमजोर था. आदेश पर रोक का विरोध करते हुए मेहता ने कहा कि रोक का मतलब है कि बीसीसीआई का समझौता खत्म हो गया. बायजू का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने भी रोक का विरोध किया.

हालांकि, पीठ ने कहा कि वह एनसीएलएटी के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की इच्छुक है और बायजू द्वारा बीसीसीआई को भुगतान की गई 158 करोड़ रुपये की समझौता राशि को इस बीच एक अलग खाते में रखा जाना चाहिए.

पीठ ने एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि "इस बीच, बीसीसीआई को निपटान के रूप में प्राप्त 158 करोड़ रुपये एक अलग खाते में रखने होंगे... 23 अगस्त को सूचीबद्ध करें." बीसीसीआई और बायजू के बीच विवाद भारतीय क्रिकेट टीम को जर्सी प्रदान करने के लिए प्रायोजन अनुबंध से संबंधित था.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) द्वारा पारित आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें एड-टेक प्रमुख बायजू के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही को रद्द कर दिया गया और बीसीसीआई के साथ 158.9 करोड़ रुपये के बकाये के निपटान को मंजूरी दे दी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, ने एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी. इससे पहले अमेरिका स्थित लेनदार ग्लास ट्रस्ट कंपनी एलएलसी ने न्यायाधिकरण के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

पीठ ने बीसीसीआई को बायजू से प्राप्त 158.9 करोड़ रुपये को अगले निर्देश तक एस्क्रो खाते में रखने का निर्देश दिया. बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एनसीएलएटी के फैसले पर रोक लगाने का विरोध किया. पीठ ने एनसीएलएटी के 2 अगस्त, 2024 के आदेश की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिका पर बायजू को नोटिस भी जारी किया.

सुनवाई के दौरान, अमेरिका स्थित ऋणदाता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि एनसीएलएटी का निर्णय सही नहीं था और यह प्रक्रियात्मक रूप से कमजोर था. आदेश पर रोक का विरोध करते हुए मेहता ने कहा कि रोक का मतलब है कि बीसीसीआई का समझौता खत्म हो गया. बायजू का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने भी रोक का विरोध किया.

हालांकि, पीठ ने कहा कि वह एनसीएलएटी के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की इच्छुक है और बायजू द्वारा बीसीसीआई को भुगतान की गई 158 करोड़ रुपये की समझौता राशि को इस बीच एक अलग खाते में रखा जाना चाहिए.

पीठ ने एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि "इस बीच, बीसीसीआई को निपटान के रूप में प्राप्त 158 करोड़ रुपये एक अलग खाते में रखने होंगे... 23 अगस्त को सूचीबद्ध करें." बीसीसीआई और बायजू के बीच विवाद भारतीय क्रिकेट टीम को जर्सी प्रदान करने के लिए प्रायोजन अनुबंध से संबंधित था.

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