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उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेज को SC का नोटिस, ओरिजिनल डॉक्यूमेंट वापस पाने के लिए छात्रों की याचिका, जानें पूरा मामला

बकाया होने के कारण कॉलेज ने रोक लिए थे दस्तावेज, छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

SC Notice to Medical College
उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेज को SC का नोटिस (ETV BHARAT)
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By PTI

Published : Nov 7, 2024, 1:14 PM IST

नई दिल्ली: बुधवार (6 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने चार मेडिकल छात्रों की याचिका पर उत्तराखंड सरकार, मेडिकल कॉलेज समेत अन्य से जवाब मांगा है. मामला छात्रों के मूल दस्तावेजों वापस पाने से जुड़ा है. छात्र हीना नंदवानी, जानदीप सिंह, अवंतिका और रितिका अनेजा ने कोर्ट में ये याचिका दायर की है. इन चारों छात्रों ने याचिका में मेडिकल कॉलेज से अपने मूल डॉक्यूमेंट्स वापस पाने के लिए अतिरिक्त भुगतान की गई लगभग 18 लाख रुपये की राशि वापस किए जाने की मांग की है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे.

याचिका के अनुसार, NEET-PG काउंसलिंग और नौकरी के लिए अप्लाई करने को लिए उनको अपने ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट वापस चाहिएं, इसलिए छात्रों को अखिल भारतीय कोटे के लिए ₹25.77 लाख और राज्य कोटे के लिए ₹17.26 लाख रुपये की पूरी राशि कॉलेज को चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ा. याचिका में कहा गया कि शीर्ष अदालत के 9 सितंबर के आदेश के अनुपालन में छात्रों ने कॉलेज से 7.5 लाख रुपये की कटौती के बाद शेष राशि वापस करने की मांग की लेकिन मेडिकल कॉलेज ने छात्रों को राशि वापस करने से इनकार कर दिया.

दरअसल, बीती 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह के एक मामले में 91 छात्रों को राहत देते हुए संबंधित मेडिकल कॉलेज से ₹7.5 लाख के भुगतान पर छात्रों के रोके गए मूल दस्तावेज जारी करने को कहा था. इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने छात्रों को पूरी राशि का भुगतान नौ किस्तों में करने का निर्देश दिया था.

वहीं, कॉलेज के इनकार के बाद इन छात्रों ने इस फैसले को चुनौती दी. वो इस मामले में लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. जिसमें छात्रों ने कहा मूल दस्तावेज न होने के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके कारण वे कहीं काम नहीं कर पा रहे हैं और वो घर पर बैठने को मजबूर हैं. इसके अलावा बिना डॉक्यूमेंट के वे NEET-PG की काउंसलिंग में भी भाग नहीं ले सकते हैं. इन मूल दस्तावेजों में छात्रों की एमबीबीएस डिग्री और इंटर्नशिप पूरा करने के प्रमाण पत्र जैसे जरूरी शैक्षणिक डॉक्यूमेंट्स हैं. इन दस्तावेजों के बिना छात्र महत्वपूर्ण गतिविधियों में भाग नहीं ले सकते.

मामले में कोर्ट ने छात्रों की ओर से पेश वकील तन्वी दुबे की दलीलों को सुनने हुए उत्तराखंड सरकार, देहरादून स्थित श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज कॉलेज और श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किए.

बता दें कि, इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में भी मुकदमा दर्ज है. इसके साथ ही शुल्क वृद्धि से जुड़ी याचिका भी नैनीताल हाईकोर्ट में लंबित है. छात्रों के वकील की ओर से दी गई दलीलों से संतुष्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले में छात्रों के हक में फैसला लिया. सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों के मूल डॉक्यूमेंट जारी करने के आदेश दिये.

पढ़ें- SC का NEET-UG 2024 नए सिरे से कराने के अनुरोध को खारिज करने के निर्णय की समीक्षा से इनकार

नई दिल्ली: बुधवार (6 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने चार मेडिकल छात्रों की याचिका पर उत्तराखंड सरकार, मेडिकल कॉलेज समेत अन्य से जवाब मांगा है. मामला छात्रों के मूल दस्तावेजों वापस पाने से जुड़ा है. छात्र हीना नंदवानी, जानदीप सिंह, अवंतिका और रितिका अनेजा ने कोर्ट में ये याचिका दायर की है. इन चारों छात्रों ने याचिका में मेडिकल कॉलेज से अपने मूल डॉक्यूमेंट्स वापस पाने के लिए अतिरिक्त भुगतान की गई लगभग 18 लाख रुपये की राशि वापस किए जाने की मांग की है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे.

याचिका के अनुसार, NEET-PG काउंसलिंग और नौकरी के लिए अप्लाई करने को लिए उनको अपने ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट वापस चाहिएं, इसलिए छात्रों को अखिल भारतीय कोटे के लिए ₹25.77 लाख और राज्य कोटे के लिए ₹17.26 लाख रुपये की पूरी राशि कॉलेज को चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ा. याचिका में कहा गया कि शीर्ष अदालत के 9 सितंबर के आदेश के अनुपालन में छात्रों ने कॉलेज से 7.5 लाख रुपये की कटौती के बाद शेष राशि वापस करने की मांग की लेकिन मेडिकल कॉलेज ने छात्रों को राशि वापस करने से इनकार कर दिया.

दरअसल, बीती 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह के एक मामले में 91 छात्रों को राहत देते हुए संबंधित मेडिकल कॉलेज से ₹7.5 लाख के भुगतान पर छात्रों के रोके गए मूल दस्तावेज जारी करने को कहा था. इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने छात्रों को पूरी राशि का भुगतान नौ किस्तों में करने का निर्देश दिया था.

वहीं, कॉलेज के इनकार के बाद इन छात्रों ने इस फैसले को चुनौती दी. वो इस मामले में लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. जिसमें छात्रों ने कहा मूल दस्तावेज न होने के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके कारण वे कहीं काम नहीं कर पा रहे हैं और वो घर पर बैठने को मजबूर हैं. इसके अलावा बिना डॉक्यूमेंट के वे NEET-PG की काउंसलिंग में भी भाग नहीं ले सकते हैं. इन मूल दस्तावेजों में छात्रों की एमबीबीएस डिग्री और इंटर्नशिप पूरा करने के प्रमाण पत्र जैसे जरूरी शैक्षणिक डॉक्यूमेंट्स हैं. इन दस्तावेजों के बिना छात्र महत्वपूर्ण गतिविधियों में भाग नहीं ले सकते.

मामले में कोर्ट ने छात्रों की ओर से पेश वकील तन्वी दुबे की दलीलों को सुनने हुए उत्तराखंड सरकार, देहरादून स्थित श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज कॉलेज और श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किए.

बता दें कि, इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में भी मुकदमा दर्ज है. इसके साथ ही शुल्क वृद्धि से जुड़ी याचिका भी नैनीताल हाईकोर्ट में लंबित है. छात्रों के वकील की ओर से दी गई दलीलों से संतुष्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले में छात्रों के हक में फैसला लिया. सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों के मूल डॉक्यूमेंट जारी करने के आदेश दिये.

पढ़ें- SC का NEET-UG 2024 नए सिरे से कराने के अनुरोध को खारिज करने के निर्णय की समीक्षा से इनकार

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