नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि एक्टिविस्ट गौतम नवलखा अपनी नजरबंदी के संबंध में सुरक्षा लागत का भुगतान करने के अपने दायित्व से बच नहीं सकते. उच्चतम न्यायालय ने आगे अपनी टिप्पणी में कहा कि, अगर आपने हाउस अरेस्ट मांगा है तो आपको इसका खर्च चुकाना होगा. जस्टिस एमएस सुंदरेश, जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की ओर से सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की तरफ से सूचित किए जाने के बाद यह टिप्पणी सामने आया है. एसवी राजू ने न्यायमूर्ति एमएस सुंदरेश की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि नवलखा पर अपनी नजरबंदी के संबंध में एजेंसी का लगभग 1.64 करोड़ रुपये बकाया है. कोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ एनआईए की अपील पर सुनवाई कर रही है, जिसमें साल 2018 के भीमा कोरेगांव दंगा मामले में आरोपी नवलखा को जमानत की गई थी.
अब कब होगी अगली सुनवाई?
वहीं, नवलखा की तरफ से पेश वकील शादान फरासत ने पीठ के समक्ष कहा कि उनका मुवक्किल भुगतान करने को तैयार है. हालांकि वकील ने आंकड़ों पर विवाद किया. उनका मानना है कि एजेंसी ने 1.64 करोड़ रुपये की गलत गणना की है. इस मामले पर कोर्ट अगले शुक्रवार को सुनवाई करेगा. बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट नवलखा की नजरबंदी की शर्तों के संबंध में एक याचिका पर भी सुनवाई कर रही है. 7 मार्च को एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को घर में नजरबंदी के दौरान उनकी सरक्षा के लिए पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने के खर्च के संबंध में 1.65 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा. वहीं नवलखा के वकील एनआईए के दावों से सहमत नजर नहीं आए. उन्होंने इसे 'जबरन वसूली' करार दिया. पीठ ने कहा कि वह पक्षों को एक सप्ताह का समय देगी और कहा, 'आप दोनों को जो भी आरोप कहना है, कहें...फैसला हम करेंगे…"
भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी नवलखा को जमानत मिली थी
एसवी राजू ने बताया था कि 70 साल के एक्टिविस्ट ने सुरक्षा के लिए किए गए खर्च के लिए अब तक केवल 10 लाख रुपये का भुगतान किया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि नवलखा को कुछ और राशि का भुगतान करना होगा. गौतम नवलखा नवंबर 2022 से मुंबई की एक सार्वजनिक लाइब्रेरी में नजरबंद हैं. पिछले साल दिसंबर में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवलखा को जमानत दी थी, लेकिन एनआईए की तरफ से शीर्ष अदालत के समक्ष अपील दायर करने के लिए समय मांगने के बाद अपने आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी. इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि नवलखा को आगे भी घर में नजरबंद रखने से 'गलत मिसाल' कायम होगी. शीर्ष अदालत ने नवंबर 2022 में एक्टिविस्ट नवलखा की नजरबंदी का आदेश देते हुए उन्हें उनकी नजरबंदी के संबंध में पुलिस कर्मियों की तैनाती के लिए राज्य द्वारा वहन किए जाने वाले खर्च के लिए 2.4 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया था. बाद में कोर्ट ने उन्हें फिर खर्च के तौर पर 8 लाख रुपये और जमा करने का निर्देश दिया.
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