नई दिल्ली: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. आय से अधिक संपत्ति मामले में घिरे डीके शिवकुमार की जांच पर कर्नाटक सरकार की जांच की सहमति वापस लेने के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है, जिसमें डिप्टी सीएम के खिलाफ सीबाआई जांच के लिए कर्नाटक सरकार की सहमति वापस लेने को चुनौती दी गई है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि, वह उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा सहमति वापस लेने को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर चार सप्ताह बाद सुनवाई करेगा.
यह मामला जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष आया. इसी मुद्दे पर कर्नाटक भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने एक और याचिका दायर की है. सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष दलील दी कि चूंकि केंद्रीय एजेंसी ने भी याचिका दायर की है, इसलिए अदालत दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई कर सकती है.
सीबीआई और भाजपा नेता ने कर्नाटक हाई कोर्ट के 29 अगस्त, 2024 के आदेश को चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों याचिकाओं पर चार सप्ताह बाद एक ही दिन सुनवाई निर्धारित की है. हाई कोर्ट ने शिवकुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले की जांच के लिए सहमति वापस लेने के कांग्रेस सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली भाजपा नेता और सीबीआई द्वारा दायर याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
हाई कोर्ट ने शिवकुमार की कथित अवैध संपत्तियों की जांच के लिए सहमति वापस लेने के राज्य के 28 नवंबर, 2023 के फैसले को सीबीआई की चुनौती को भी खारिज कर दिया था. केंद्रीय एजेंसी के अनुसार, शिवकुमार ने पिछली कांग्रेस सरकार में ऊर्जा मंत्री के रूप में कार्य करते हुए अप्रैल 2013 से अप्रैल 2018 तक आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक 74.93 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की थी. सितंबर 2024 में यतनाल की याचिका पर शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार और शिवकुमार से उनकी याचिका पर जवाब मांगा था.
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